आइवरमैक्टिन पर एक्सपर्ट की रिपोर्ट को डब्यूएचओ ने दी मान्यता
- एक्सपर्ट की रिपोर्ट पर दी मान्यता
- केजीएमयू के डॉ। सूर्यकांत समेत अन्य कई डॉक्टर ने किया काम - डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर हुई अपलोड द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ रुष्टयहृह्रङ्ख: केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। सूर्यकांत एवं अन्य प्रदेशों के एक्सपर्ट द्वारा आइवरमेक्टीन श्वेत पत्र तैयार किया है, जिसको डब्ल्यूएचओ ने मान्यता देने के साथ वेबसाइट पर अपलोड भी किया है। आइवरमेक्टिन 40 वर्ष से भी अधिक देशों में फाइलेरिया तथा अन्य बीमारियों के इलाज में यूज की जा रही है। यह दवा फाइलेरिया एवं रिवर ब्लाइंडनेस जैसी बीमारियों में काफी कारगर साबित हुई है। मृत्यु दर में भी कमी देखी गईडॉ। सूर्यकांत ने बताया कि आइवरमेक्टिन फाइलेरिया तथा अन्य बीमारियों के अतिरिक्त कई वायरस जनित बीमारियों में भी कारगर होती है। दवा का असर कोरोना वायरस के खिलाफ प्रयोगशाला में भी देखा गया है। साथ ही कई देशों में इसके प्रभाव से कोविड बीमारी पर रोकथाम के साथ होने वाली मृत्यु दर में भी कमी देखी गई है।
वायरस पर करती है असरडॉ। सूर्यकांत के मुताबिक आइवरमेक्टिन कई प्रकार से कोरोना वायरस पर असर करती है। यह वायरस को संक्रमित मनुष्य के अंदर जाने से रोकती है। साथ ही कोशिका के अंदर न्यूक्लीयस में भी जाने से रोकती है। यह अन्य दवाओं जैसे डॉक्सीसाइक्लीन व हायड्रोक्सी क्लोरोक्यून के साथ मिलकर भी प्रभावी कार्य करती है।
इन्होंने किया अध्ययन आइवरमेक्टिन के प्रभावों एवं उपयोग को देखते हुए डॉ। सूर्यकांत, दिल्ली के डॉ। वीके अरोरा, चंडीगढ़ के डॉ। दिगंबर बेहरा, मुंबई के डॉ। अगम बोरा, कोयंबटूर के डॉ। टी मोहन कुमार, केरल के डॉ। नारायणा प्रदीप द्वारा एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया गया, जिसपर अब तक सौ से अधिक देशों के चिकित्सक एवं वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है।