Junk food हमारी सेहत को जंग लगा रहे हैं. CBSE board के बाद अब state government ने भी schools और उसके आसपास junk foods की बिक्री पर रोक लगा दी है. कुछ schools पहले से ही aware थे तो कुछ ने अब कदम उठाए हैं. Parents भी बच्चों की सेहत को लेकर सजग हैं पर स्कूल के बाहर junk food की बहार है. i next ने city के schools के आसपास की जो तस्वीर देखी है उससे तो यही लगता है कि जरूरत school canteen से आगे बढ़कर बाहर बिक रहे junk food पर रोक लगाने की है


Lucknow: अप्रैल को एक खास रिपोर्ट आई जिसमें स्टेट गवर्नमेंट ने बच्चों की सेहत का ख्याल करते हुए स्कूल्स के आसपास जंक फूड लगाने पर रोक लगा दी थी। स्कूलों के आसपास जंक फूड न बेचा जाए इसके लिए सख्त हिदायत दी गई थी। कोल्ड ड्रिंक्स और हाई शुगर कोटिंग फूड की बिक्री न हो इसके लिए प्रिंसिपल्स को लेटर्स जारी किये जा चुके हैं। साथ ही इसकी जिम्मेदारी डीआईओएस को दी गई है। सीबीएसई ने पहले ही जंग फूड पर सख्ती कर चुका था और अब बारी स्टेट बोर्ड की है.
क्या यह आदेश आने के बाद बच्चों की पहुंच से फास्ट फूड दूर हुआ? क्या स्कूलों ने इसके लिए कड़े कदम उठाए? क्या अब स्कूल से निकलते समय बच्चे फास्ट फूड खाते नजर नहीं आते? जब हमने सिटी के स्कूलों के आसपास की पड़ताल की तो तस्वीर पहले जैसे ही ही थी बस स्कूलों की कैंटीन में ही कुछ फर्क आया था। कुछ पेरेंट्स ने सख्ती अपनाई लेकिन बच्चों की पहुंच में आज भी फास्ट फूड बड़े ही फास्ट अंदाज में नजर आया.
चिप्स और बर्गर हैं सबके फेवरेट
पॉश इलाके में शहर के दो बड़े नामी स्कूल। दोनों स्कूलों के छुट्टी के टाइम में कुछ ही देर का फासला। बात शुरू करते हैं प्राइमरी के बच्चों से जो बड़े बच्चों से थोड़ा पहले निकलते हैं। कैथेड्रल गेट के बाहर बच्चों के लेने के लिए पेरेंट्स मौजूद हैं। बच्चों के बाहर आते ही उनकी नजरें पहले बाहर खड़े कैंण्डी, टिंग टांग बेचने वाले पर गई.
जो स्कूल के बाहर ही बच्चों के निकलने के इंतजार में थे। जुबिन महेश अपनी फेवरेट आईस कैण्डी खाते हुए कहते हैं कि गर्मी में इसे खाता हूं। फास्ट फूड के सवाल पर जुबिन कहते हैं कि बाहर का फास्ट फूड नहीं खाता मम्मा बनाती है तब ही खाता हूं। वहीं  अर्चित कहते हैं कि सैटरडे को टिफिन में मैगी या पास्ता लेकर आता हूं।
अब बारी थी बड़े बच्चों की
छोटे बच्चे अपनी फेवरेट आईस्क्रीम, चिप्स और पेटीज लेकर खाते हुए घर की ओर निकल चुके थे और अब बारी थी बड़े बच्चों की। कैथेड्रल और सेंटफ्रांसिस, भारती बालिका इंटर कॉलेज तीनों स्कूल के अगल बगल फास्ड फूड कार्नर के साथ रंगीन बर्फ की चुस्की के ठेले, इमली के ठेले नजर आते हैं। सेंटफ्रासिंस से निकलते ही 8 क्लास में पढऩे वाले अक्षित स्कूल के सामने बने फास्ट फूड कार्नर में जाते हैं। एक बर्गर लेते हैं और आराम से खाते नजर आते हैं.
अक्षित से जब हम सवाल करते हैं कि आपको फास्ट फूड कितना पसंद है? तो अक्षित यही जवाब देते हैं कि मुझे बर्गर पसंद है और वीक में दो बार खा ही लेता हूं। इस कार्नर पर सिर्फ अक्षित ही नहीं छुट्टी होते ही स्कूली बच्चों का यहां जमावड़ा देखा जा सकता है।
स्कूल के बाहर से ही लेता हूं
कथेड्रल में क्लास 8 में पढऩे वाले वैभव ने बताया कि स्कूल से निकलने के बाद अक्सर वो सामने फास्टफूड कार्नर से बर्गर और पेटीज लेते हैं। स्कूल में टिफिन खत्म हो जाता है और फिर फास्ट फूड तो स्कूल वैन में खाते हुए घर चला जाता हूं। वहीं सीएमएस गोमती नगर में पढऩे वाली शेफाली फास्ट फूड को सबसे टेस्टी फूड बताती हैं। वो कहती हैं मम्मी टिफिन तो देती हैं, लेकिन स्कूल के बाहर कई बार चाइनीज बनाने वाला आता है। हम फ्रेंड्स मिलकर चाऊमिन खाते हैं।
स्कूल में अलाऊ नहीं है
स्कूलों की मानें तो हर जगह यही जवाब दिया गया कि हमारे स्कूल में टिफिन तक में फास्ट फूड अलाऊ नहीं है। पेरेंट्स का भी यही मानना है। कैथेड्रल से अपने बच्चे को लेने आई फरहत जाफरी ने बताया कि मैं फास्ट फूड को बिलकुल भी नहीं पसंद करती और न अपने बच्चे को अलाऊ करती हूं। उसके स्कूल में भी फास्ट फूड अलाऊ नहीं है.
अब कहीं दोस्तों के साथ एक दो बार खा लिया तो अलग बात है वरना कभी नहीं। रेड स्कूल की प्रिंसिपल सीमा राजबीर कहती हैं कि हमने बच्चों के टिफिन में जंक फूड को पूरी तरह से बैन किया हुआ है। एडमीशन टाइम पर ही हम पेरेंट्स को इस बारे में इनफार्म करते हैं। लंच से पहले टीचर्स लंच बॉक्स चेक करती हैं अगर मैगी वगैरह कोई बच्चे के बॉक्स में आ जाती है तो हम पेरेंट्स को बुलाते हैं और उन्हें इसके लिए मना करते हैं.
हमारे फार्म में भी ईटिंग हैबिट का कॉलम है। यहां तक किसी बच्चे के बर्थ डे सेलीब्रेशन पर भी हम कोल्ड ड्रिंक और जंक फूड को अलाऊ नहीं करते।
अब बारी प्रशासन की ही है
पेरेंट्स अवेयर हो चुके हैं, स्कूलों में काफी हद तक पाबंदी लग चुकी हैं, लेकिन फास्ट फूड यानी जंक फूड बच्चों तक तो पहुंच ही रहा है। यानी सवाल फिर जहां का तहां है कि आखिर इसे कैसे रोका जाए? आखिर इतनी कड़े आदेशों के बावजूद स्कूलों के आसपास से इन बिक्री करने वालों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती?
वक्त मिलते ही होगी कार्रवाई
इस बारे में जब डीआईओएस उमेश सिन्हा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि पिछले कई साल से स्कूलों के सामने जंक फूड कार्नर स्टैब्लिश हैं जिनको हटाने के लिए बकायदा मशक्कत करनी पड़ेगी। हमने भी इसे देखा कि स्कूलों के बाहर इस तरह की बिक्री हो रही है। हमारे पास आदेश आ चुके हैं क्योंकि अभी परीक्षा के चलते काफी व्यस्तता है। जल्द ही जिला अधिकारी से मिलकर इस बारे में बात करके एक टीम गठित की जाएगी और स्कूलों के बाहर बिकने वाली इस प्रकार की खाद्य सामग्री करने वालों पर कार्यवाई की जाएगी।

फास्ट फूड या जंक फूड में मेनली कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। जो हाई कैलोरी के होते हैं इनमें प्रोटीन कम होती है। इसके कारण बच्चों में ओबेसिटी की समस्या बढ़ती है। ओबेसिटी के कारण बच्चों में डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम्स बढ़ती हैं। इसलिए बच्चों को पिज्जा, बर्गर जैसे फास्ट फूड कतई न दें। बच्चों को स्कूल के लिए टिफिन में ये फास्ट फूड अलाउ नहीं करना चाहिए। बच्चे की टिफिन में घर का बना खाना जैसे दाल, चावल, वेजीटेबल्स, रोटी, फ्रूट्स और मिल्क, एग, से बने व्यंजन ही दें।
डॉ। संजय निरंजन
इंदिरा नगर

Posted By: Inextlive