--शिकायत मिलने के बाद वीसी ने दिए पासवर्ड लॉक करने के आदेश

--रजिस्ट्री सेल भी भंग, अधिकारियों के अधीन बाबुओं को मिलेंगे नए पासवर्ड

-- 1000 से ज्यादा फाइलों में हुआ अरबों का घोटाला

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में समायोजन घोटाले को रोकने के लिए सख्त रुख अख्तियार करते हुए एलडीए वीसी ने ब्ख् बाबुओं के पासवर्ड लॉक करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, रजिस्ट्री सेल को भी खत्म कर दिया गया है। अब घोटाले में शामिल अधिकारी और बाबुओं की गर्दन फंसनी तय है। अधिकारियों से कहा गया है कि वे बताएं किस-किस कर्मचारी को पासवर्ड देना है।

लॉक किए पासवर्ड

सूत्रों के मुताबिक एलडीए वीसी सत्येन्द्र सिंह के पास शासन द्वारा एक रिपोर्ट और शिकायत मिली है। जिसमें, एलडीए में बड़े पैमाने पर समायोजन के घोटाले की शिकायत की गई है। इसके बाद वीसी ने अधिकारियों को मामले की जांच और तुरंत से बाबुओं के पासवर्ड लॉक करने के आदेश दिए। इसी के साथ ब्ख् बाबुओं के कम्प्यूटर पासवर्ड लॉक कर दिए गए। यह आदेश शुक्रवार को ही जारी किया गया था। शुक्रवार और शनिवार को कोई भी बाबू अपने पासवर्ड से कम्प्यूटर में लॉगइन नहीं कर सका। इन बाबुओं पर ही ऑनलाइन पत्रावलियों को अपडेट करने का जिम्मा है। इनमें से क्भ् बाबू ऐसे हैं जो समायोजन घोटाले में जांच के घेरे में है। हालांकि, अधिकारी कह रहे हैं कि अभियंताओं के वर्क डिस्ट्रीब्यूशन बदलने के कारण बाबुओं के पासवर्ड लॉक किए गए हैं।

क्या है समायोजन घोटाला?

सीतापुर रोड स्थित विवादित बसंत कुंज योजना में बहुत से लोगों को कब्जा नहीं मिल पाया। इसके बाद आवंटियों के लिए अधिकारियों ने समायोजन योजना निकाली। आवंटित प्लॉट के बराबर गोमती नगर विस्तार, जानकीपुरम व शारदा नगर योजना में समायोजन के आधार पर प्लॉट दिए गए। जिसमें, था कि आवंटियों को वर्तमान दर के हिसाब से भुगतान करना होगा। तय समय के बाद योजना बंद कर दी गई। बस इसी के बाद शुरू हुआ समायोजन घोटाले का खेल। योजना बंद होने के बाद भी बैक डेट में कम्प्यूटर में हेरफेर करके समायोजन किए जाते रहे। बैक डेट में प्लॉट की कॉस्टिंग की फीडिंग के बाद ही समायोजन हो सकता था। इसलिए कम्प्यूटर के पासवर्ड का सबसे अहम रोल होता था। फाइलों पर भी सिर्फ सचिव और बाबू का ही साइन होता था।

क्000 फाइलों में हुआ घोटाला

एक लाख के प्लॉट की जगह 80-90 लाख के प्लॉट उसी कीमत में दे दिए गए। इसके लिए ब्0 से भ्0 लाख रुपए तक की वसूली की गई। सूत्रों के मुताबिक गोमती नगर विस्तार के 90 परसेंट प्लॉट समायोजन की भेंट चढ़ गए और एलडीए को करोड़ों का नुकसान हुआ। कम्प्यूटर में फीडिंग करने वाला बाबू ही अकेले सिर्फ फीडिंग के लिए ख् लाख रुपए तक वसूलता था। सूत्रों की मानें तो बैक डेट में ही लगभग क्000 तक फाइलों में हेरफेर किया गया। गोमती नगर योजना में समायोजन किया गया।

एक दिन में 70 रजिस्ट्री

एलडीए अधिकारियों के मुताबिक समायोजन में घोटाले इतने बड़े स्तर तक किए गए कि एक पूर्व वीसी के विदेश दौरे के समय नीचे के अधिकारियों ने एक-एक दिन में 70-70 रजिस्ट्री तक की। लेकिन, मामले में कुछ नहीं हुआ। अधिकारियों ने बाबुओं के साथ मिलकर एक-एक दिन करोड़ों की जमीन कौडि़यों के भाव समायोजित कर दी और घूस की अरबों की रकम डकार गए।

आरोपियों को मलाईदार तैनाती

एलडीए में समायोजन घोटाले पर कभी किसी अफसर ने सख्त कार्रवाई नहीं की। आलम यह रहा कि घोटाले के आरोपी ही हमेशा मलाईदार पदों पर काबिज रहे। आरोपी बाबुओं और इंजीनियरों को ही गोमती नगर विस्तार और जानकीपुरम का काम मिला। समायोजन घोटाले का एक आरोपी सहारनपुर में तैनात है। यह बैक डेट के हिसाब से प्रॉपर्टी की कॉस्टिंग करके समायोजन करने का खेल कर रहे थे। ये बाबू भी क्भ्-क्भ् सालों से एक ही पद पर जमे हुए थे।

मांगी अनुपालन आख्या

सूत्रों के मुताबिक सिस्टम इंचार्ज एसबी भटनागर ने कम्प्यूटर एनालिस्ट से अनुपालन आख्या भी मांगी है। साथ ही, वीसी ने एनालिस्ट व कई अन्य कर्मचारियों को एलडीए की मेन बिल्डिंग से हटाकर लालबाग स्थित भवन में ही बैठने के आदेश दिए हैं। शनिवार को ही नया आदेश जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि अधिकारी बताएं कि किसको-किसको पासवर्ड जारी करना है ताकि जिम्मेदारी बाबुओं के साथ साथ अफसरों पर भी रहे और पारदर्शिता बनी रहे।

ब्0 लाख की घूस, ख् लाख फीडिंग का

एलडीए के सूत्रों की मानें तो समायोजन घोटाले में शामिल बाबू और अधिकारी मिलकर फ्0 से भ्0 लाख रुपए लेकर एक प्लॉट का समायोजन करते थे। प्लाट की मार्केट वैल्यू 70 लाख होती थी तो उसके लिए ब्0 लाख तक घूस ली जाती थी और ख् लाख रुपए तक कम्प्यूटर में फीडिंग के लिए वसूले जाते थे। इस कारण वर्तमान कम्प्यूटर का काम सम्भालने वाले कुछ कर्मियों को लालबाग में बैठने का आदेश दे दिया गया है और उनके सीनियर भटनागर को जांच का जिम्मा दिया गया है।

चर्चा में है तिग्गी का खेल

समायोजन घोटाले में तिग्गी शब्द का भी बड़ा रोल रहा है। एलडीए के सूत्रों की मानें तो पूर्व सचिव का सिग्नेचर तीन के आकार का होने के कारण समायोजन में होने वाले खेल को तिग्गी का खेल कह दिया गया। सचिव के जाने के बाद भी समायोजन पूर्व डेट में होते रहे और उन पर वह पूर्व सचिव अपनी तिग्गी बैठाते रहे। पासवर्ड के दम पर बाबू करोड़ों रुपए का हेरफेर करते रहे।

बैकडेट में गड़बड़ करने सम्बंधित शिकायत मिली थी। इस कारण ही यह कदम उठाया गया है। जल्द ही पासवर्ड कर्मचारियों को दे दिए जाएंगे।

-सत्येन्द्र सिंह

वीसी, एलडीए।

Posted By: Inextlive