Lucknow News: लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में कुल 53 पुलिस स्टेशन हैं और अपराध पर लगाम लगाने के लिए कुल 123 पीआरवी हैं। इसमें 2 व्हीलर और 4 व्हीलर गाड़ियां शामिल हैं। इस हिसाब से हर एक थाने में औसतन दो पीआरवी मौजूद हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। हत्या, लूट, स्नैचिंग, छेड़छाड़, मारपीट आदि जैसी क्राइम की कोई घटना होने पर सबसे पहले पुलिस रिस्पांस व्हीकल यानी पीआरवी पहुंचती है। पर एक सच्चाई ये भी है कि तकरीबन हर 40 हजार की आबादी पर एक ही पीआरवी मौजूद है। ऐसे में कई बार इमरजेंसी कॉल आने के बाद मौके पर पहुंचने में देरी भी हो जाती है, जिसके चलते इन गाड़ियों के लखनऊ पुलिस के बेड़े में शामिल करने की जरूरत है ताकि रिस्पांस टाइम और बेहतर हो सके।पीआरवी के जल्द पहुंचने के फायदेकेस-1-जून 2023बीकेटी थाना क्षेत्र से पीआरवी को सूचना मिली कि 4 साल का बच्चा लापता हो गया है। पीआरवी नंबर-479 तुरंत मौके पर पहुंची और बच्चे की फोटो लेकर आसपास तलाश की। कुछ ही देर बाद बच्चा मिल गया।केस-2-अगस्त 2023


कृष्णानगर थाना क्षेत्र से सूचना मिली कि तीन लोग बाइक खड़ी करके पड़ोसी के घर से दूसरे घर में चोरी के नियत से घुसे हैं। पीआरवी नंबर-475 तुरंत मौके पर पहुंची और तीन आरोपियों को धर दबोचा और कृष्णानगर थाने के हवाले कर दिया।केस-3-अक्टूबर 2023

गोसाईंगंज से एक कॉलर ने बताया कि उसके पिता तमंचा लेकर उसे मारने के लिए दौड़ा रहे हैं। सूचना पर पीआरवी नंबर-2456 मौके पर पहुंची और आरोपी को पकड़कर थाने के हवाले कर दिया।केस-4-सितंबर 2023मड़ियांव से सूचना मिली कि एक व्यक्ति नदी में कूद रहा है, जिसके बाद पीआरवी-3383 मौके पर पहुंच गई। तबतक व्यक्ति नदी में कूद गया था। पुलिस ने नाविकों की मदद से उसे बाहर निकाला गया।9 मिनट का रिस्पांस टाइमलखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में कुल 53 पुलिस स्टेशन हैं और अपराध पर लगाम लगाने के लिए कुल 123 पीआरवी हैं। इसमें 2 व्हीलर और 4 व्हीलर गाड़ियां शामिल हैं। इस हिसाब से हर एक थाने में औसतन दो पीआरवी मौजूद हैं। इनको अधिक क्राइम वाले स्पॉट या फिर थाना प्रभारी के कहने पर चिन्हित जगहों पर लगाया जाता हैं। हर एक थाने में तकरीबन पांच से छह ऐसे स्पॉट होते हैं, जहां पर ये घटनास्थल पर जल्दी और आसानी से जा सकते हैं। पुलिस अधिकारियों की माने तो वर्तमान में एक घटनास्थल तक पहुंचने के लिए पीआरवी औसतन करीब साढ़़े आठ से नौ मिनट लगा रही है।40 हजार पर सिर्फ एक गाड़ी

एक आंकड़ों के मुताबिक, शहर में औसत 50 लाख की आबादी है। इसमें फोर व्हीलर और टू व्हीलर यानी दोनों पीआरवी को मिला दिया जाए तो लगभग 40 हजार की आबादी पर एक पीआरवी मौजूद है। ऐसे में अगर पीआरवी की संख्या बढ़ा दी जाए तो इनका रिस्पांस टाइम बेहतर होगा ही साथ ही क्राइम पर भी अंकुश लग सकेगा। लगभग 30 से 40 पीआरवी बढ़ाए जाने की जरूरत महसूस हो रही है।रिस्पांस टाइम घटाने की कवायदपुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हाल ही में आई रिपोर्ट से पता चला है कि लखनऊ पुलिस की पीआरवी सबसे पहले क्राइम स्पॉट पर पहुंच रही है। इसका समय घटाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। आने वाले दिनों में पीआरवी का रिस्पांस टाइम सात मिनट तक ले जाना है।शहर के अलग-अलग हिस्सों में पीआरवी की तैनाती रहती है, ताकि वे क्राइम स्पॉट पर फौरन पहुंच सकें। इसके अलावा नाइट में इनसे पेट्रोलिंग भी की जाती है। मकसद होता है कि किसी भी क्राइम स्पॉट पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके। ताकि घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।-अपर्णा रजत कौशिक, डीसीपी, डायल-112

Posted By: Inextlive