-आरके चौधरी ने भी बसपा को किया बॉय-बॉय

-बसपा को रियल एस्टेट कंपनी करार दिया

- मायावती पर टिकटों का सौदा करने का आरोप

- 11 जुलाई को बुलाया कार्यकर्ताओं का सम्मेलन

LUCKNOW: स्वामी प्रसाद मौर्या के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रमुख दलित नेता आरके चौधरी ने भी पार्टी छोड़ दी है। गुरुवार को उन्होंने मायावती पर टिकटों का सौदा करने का आरोप लगाया। कहा कि बसपा अब आंदोलन नहीं, मायावती की निजी रियल एस्टेट कंपनी बन चुकी है। पार्टी में प्रॉपर्टी डीलर, ठेकेदार और भूमाफिया ही टिकट पा रहे हैं। उन्होंने बसपा को टिकटों की मंडी करार देते हुए कहा कि बदलते परिवेश में वे खुद को बसपा में फिट नहीं मान रहे थे। वे मायावती के पास पैसों वाले लोगों को नहीं ले जा सके, जिसकी वजह से उन्हें लगातार दरकिनार किया जाता रहा।

11 जुलाई को बुलाया सम्मेलन

मौर्या की तर्ज पर आरके चौधरी ने भी आगामी 11 जुलाई को अपने समर्थकों का सम्मेलन बुलाया है। इसके बाद ही वे अपने नये कदम का खुलासा करेंगे। उन्होंने दावा किया कि बसपा के तमाम नेता उनके संपर्क में हैं। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्या का साथ देने पर कहा कि अभी उनसे इस विषय में कोई बात नहीं हुई है। गुरुवार को प्रेस क्लब में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मायावती की लगातार बदलती कार्य प्रणाली से तंग आकर मैंने पार्टी छोड़ी है। वे अब जमीनी कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनती, बल्कि अपने चाटुकारों के कहने पर उल्टे सीधे फैसले करती हैं। महात्मा फुले, डॉ। अंबेडकर और कांशीराम के अनुयायी कार्यकर्ताओं में बैचेनी है कि मायावती पार्टी के भविष्य को अंधकार में झोंक कर धुंआधर धन उगाही में क्यों जुट गयी हैं। गलत नीतियों और कार्यशैली के कारण देश भर में पार्टी का ग्राफ गिरता जा रहा है। उन्हें धन उगाही का शौक है। काशीराम जी एक बार खुद कह चुके है कि मायावती को पैसा बटोरने की हवस है।

कांशीराम के पुराने साथी

कांशीराम द्वारा बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के दौरान आरके चौधरी भी साथ थे। उन्हें दलित समाज का कद्दावर नेता माना जाता है। वे राजधानी की मोहनलालगंज सीट से तीन बार विधानसभा और एक बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं। पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। इस सीट पर पार्टी चार बार उम्मीदवार भी बदल चुकी है। इससे क्षुब्ध होकर चौधरी ने गुरुवार को बसपा का दामन छोड़ने का फैसला लिया। मालूम हो कि इससे पहले विगत 22 जून को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व बसपा विधानमंडल दल के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी थी। आठ दिन के भीतर बदले घटनाक्रम को बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी पड़ना तय है।

बनाई थी राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी

आरके चौधरी को वर्ष 2001 में बसपा से अनुशासनहीनता के आरोप में निकाला गया था। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी का गठन किया और बीएस 4 नाम से मूवमेंट भी शुरू किया, लेकिन लंबे समय तक पार्टी को चला नहीं सके। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले वर्ष 23 अप्रैल 2013 को उन्होंने अपनी पार्टी का विलय बसपा में कर दिया। उन्हें पार्टी में दोबारा शामिल करने के बाद मोहनलालगंज सीट से लोकसभा चुनाव का टिकट भी दिया गया। मोहनलालगंज इलाके में खासा लोकप्रिय होने के बावजूद वे चुनाव नहीं जीत सके थे। वे बसपा में फिलहाल इलाहाबाद और मिर्जापुर के जोनल कोआर्डिनेटर के पद पर थे। चौधरी ने दावा किया कि मायावती के करीबियों ने उन्हें खुद बुलाकर पार्टी ज्वाइन करायी थी। दोबारा बसपा में जाना उनकी बड़ी भूल थी।

टिकट न मिलने पर छोड़ी पार्टी : बसपा

आरके चौधरी के पार्टी छोड़ने पर बसपा ने पलटवार करते हुए कहा कि मोहनलालगंज सीट से टिकट न मिलने की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। इससे पहले भी उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित किया गया था। पूर्व राज्यसभा सांसद व वरिष्ठ बसपा नेता ब्रजेश पाठक ने कहा कि आरके चौधरी वर्ष 2013 में माफी मांगकर पार्टी में वापस आए थे। खुद को लगातार बीमार बताकर पार्टी संगठन का कोई काम नहीं कर रहे थे, बल्कि मोहनलालगंज से चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटे थे और टिकट के लिए दबाव बना रहे थे। उन्हें पांच महीने पहले ही जोनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया गया था। चौधरी द्वारा मायावती पर लगाए गये आरोपों पर कहा कि जो भी पार्टी छोड़कर जाता है, वह ऐसे ही आरोप लगाता है। दरअसल बागियों के पास बसपा के खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने दावा किया कि पार्टी से जाने वालों से ज्यादा आने वालों की संख्या है। चौधरी के जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा। बसपा पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी।

Posted By: Inextlive