पीजीआई में अब कृत्रिम त्वचा से भी होगा प्रत्यारोपण
- एसजीपीजीआई में भी अब लेटेस्ट इंटिगरा तकनीक उपलब्ध
LUCKNOW:देश के कई बड़े संस्थानों में प्लास्टिक सर्जरी में यूज होने वाली लेटेस्ट इंटिगरा तकनीक अब एसजीपीजीआई में भी उपलब्ध है। अमेरिका में विकसित की गई इंटिगरा तकनीक जालीदार थ्री-डायमेंशनल कृत्रिम डर्मिस विधि पर काम करती है जो घाव भरने के काम आती है। पीजीआई में प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न विभाग के हेड डॉ। राजीव अग्रवाल की देखरेख में कई मरीजों पर इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। छोटे घाव भरने में मददगारडॉ। राजीव अग्रवाल ने बताया कि इस कृत्रिम त्वचा का कुछ रोगियों पर प्रयोग किया गया जो सफल रहा। बस्ती निवासी रामरूप को मुंह का कैंसर था। आमतौर पर ऐसी रोगियों का आपरेशन दो फेज में किया जाता है। पहले फेज में कैंसर निकाला जाता है और दूसरे फेज में घाव पर त्वचा प्रत्यारोपित की जाती है। इस प्रक्रिया में चार घंटे तक का समय लगता है। इस रोगी में कैंसर निकालने के बाद कृत्रिम त्वचा का सफल यूज किया गया, जिससे रोगी का घाव जल्द भर गया। इस तकनीक से प्लास्टिक सर्जरी और भी आसान हो गई है।
समय की होगी बचतडॉ। राजीव ने बताया कि इस तकनीक में न सिर्फ समय की बचत होती है और इसके परिणाम भी अच्छे मिलते हैं। पीजीआई में इस ऑपरेशन में 35 से 40 हजार का खर्च आया है, जबकि प्राइवेट में खर्च एक लाख से पांच लाख रुपए तक का आता है।
कोट इंटिगरा तकनीक देश के चुनिंदा संस्थानों में ही हो रही है। इसका लाभ अब पीजीआई में भी मिलेगा। प्राइवेट के मुकाबले यहां इसमें काफी कम खर्च आएगा। डॉ। राजीव अग्रवाल, हेड, प्लास्टिक सर्जरी एंड बर्नस विभाग पीजीआई