लखनऊ (ब्यूरो)। निदेशक ने बताया कि कोरोना और फैटी लिवर दोनों में एकमात्र अंतर यह है कि कोविड महामारी एक महीने की अवधि में हुई। जबकि फैटी लिवर महामारी दशकों से हो रही है। उन्होंने विशेष रूप से लिवर की बीमारियों का शीघ्र पता लगाने पर जोर दिया ताकि सिरोसिस और लिवर कैंसर को बढऩे से रोका जा सके। वहीं, प्रो। गोयल ने लिवर रोग की रोकथाम और प्रबंधन में स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका के बारे में बात की।

शराब से बढ़ रही समस्या
प्रो। अजय कुमार ने बताया कि हमारे समाज में शराब के सेवन की बढ़ती समस्या और शराब के सेवन से होने वाले विभिन्न प्रकार के लिवर रोगों के लिए बड़ी वजह है। डॉ। सुरेंद्र सिंह ने कहा कि शरीर के वजन का 5 पर्सेंट वजन घटाने से फैटी लिवर को उलटा किया जा सकता है और अगर हम अपने वजन का 10 पर्सेंट भी कम कर सकते हैं तो लिवर की चोट और लिवर पुइब्रोसिस को भी ठीक किया जा सकता है।

नमक का सेवन कम करना चाहिए
वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ अर्चना ने बताया कि लिवर सिरोसिस के रोगियों को अपने आहार में नमक का सेवन सीमित करना चाहिए और अपने आहार में प्रोटीन बढ़ाना चाहिए। इन रोगियों को अधिक बार आहार लेने की आवश्यकता होती है। जिसमें सब्जियों, फलों और मांसाहारी आहार का अच्छा मिश्रण होना चाहिए। सिरोसिस के रोगी के लिए रात भर का उपवास उतना ही हानिकारक है जितना एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए तीन दिन का उपवास। इसलिए सिरोसिस के रोगियों को उपवास से बचना चाहिए और अधिक बार खाना चाहिए।