लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने एक एनजीओ से एमओयू साइन कर 100 प्राइवेट गार्डों को चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए उतारा था। इन गार्ड्स को कांट्रैक्ट पर 20 चौराहों पर अपनी सेवाएं देनी थीं।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी की सड़कों पर यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने प्राइवेट गार्ड्स की तैनाती की थी। छह महीने पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में शहर के प्रमुख 20 चौराहों को चुना गया था। यहां पर 5-5 गार्ड्स लगाए गए यानि करीब 100 गार्ड्स। पर जैसे-जैसे दिन बीते, ये प्राइवेट गार्ड्स भी गायब होते गए। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये प्राइवेट गार्ड्स कहां गए, जबकि दावा था कि इनको लगाने से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन लगता है कि यह वादा भी हवा हवाई हो गया।शुरुआती दिनों में लगती रही ड्यूटी


बता दें कि लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट ने एक एनजीओ से एमओयू साइन कर 100 प्राइवेट गार्डों को चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए उतारा था। इन गार्ड्स को कांट्रैक्ट पर 20 चौराहों पर अपनी सेवाएं देनी थीं। इसे लेकर बुधवार को जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम हजरतगंज, लालबाग, कैसरबाग, चारबाग, अवध चौराहा समेत अलग-अलग चौराहों का हाल जानने पहुंची, तो वहां एक भी गार्ड्स नहीं दिखा। वहीं चौराहों पर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों ने बताया कि शुरुआती दिनों में गार्ड्स की ड्यूटी लगती थी, लेकिन अब वे नहीं आते।10 घंटे रहती थी ड्यूटी

इन प्राइवेट गार्ड्स को उन जगहों पर तैनात किया जाता था, जहां पर ट्रैफिक लोड अधिक रहता है। चौराहों पर ये ट्रैफिक पुलिस की मदद करते थे। इनमें महिला और पुरुष, दोनों गार्डों की ड्यूटी चौराहों पर लगती थी। इनका ड्यूटी टाइम सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक था, लेकिन अब ये प्राइवेट गार्ड्स सड़कों से लापता हो गए हैं। इतना ही नहीं, इन गार्डों की निगरानी के लिए दो सुपरवाइजर भी रखे गए थे। इनपर 10-10 चौराहों की पूरी जिम्मेदारी रहती थी, ये ही गार्डों की चौराहों पर ड्यूटी लगाते हैं। इन गार्डों को एक दिन ट्रैफिक पुलिस लाइन और दो दिन आईजीपी में ट्रेनिंग मिली थी।इसलिए लगाए थे प्राइवेट गार्ड्स

बताया गया कि पीआरडी व होमगार्ड्स की पर्याप्त संख्या है, लेकिन उसके बाद भी प्राइवेट गार्ड्स को ट्रैफिक ड्यटी में तैनात करने के पीछे सरकारी खजाने की बचत के रूप में देखा जा रहा है। एनजीओ की तरफ से प्राइवेट गार्ड्स को हर महीने 10 हजार 700 रुपये का भुगतान किया जा रहा था। जबकि पीआरडी व होमगार्ड्स का एक दिन का भुगतान 500 रुपये से ज्यादा है। इसके चलते बड़ी सरकारी रकम की न केवल बचत हो रही थी बल्कि बिना खर्च के ट्रैफिक कंट्रोलर के रूप में 100 गार्ड्स की पुलिस को मदद मिली थी।इन मुख्य चौराहों पर भी थी ड्यूटी-हजरतगंज-अवध चौराहा-सिकंदरबाग चौराहा-चारबाग-तेलीबाग-बालागंज-चौक-लालबत्ती चौराहा-महानगरये था मकसद- शहर की सड़कों पर जाम लगने से बचाया जा सके- ट्रैफिक पुलिस की मदद के लिए फोर्स बढ़े- किसी भी मुसीबत पर पुलिस की भी मदद करें- जिन जगहों पर ज्यादा जाम लगे तो इन्हें भेजा जा सकेफैक्ट फाइल- 100 प्राइवेट गार्ड्स- 20 चौराहे हुए थे चिन्हित- 05 गार्ड्स हर चौराहे पर- 06 महीने पहले शुरू था प्रोजेक्टयातायात को सुगम बनाने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई थी। इसके लिए प्राइवेट गार्ड्स तैनात किए गए थे, लेकिन अब इनको ट्रैफिक जागरूकता को लेकर ड्यूटी लगाई जा रही है। जरूरत पड़ने पर इन्हें फिर से सड़कों पर उतारा जाएगा।-आशीष श्रीवास्तव, डीसीपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive