- अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान गीता फोगाट ने साझा किए जिंदगी के पहलू

- सात बहनें और सभी हैं अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त पहलवान

LUCKNOW: हम सात बहनें हैं, सभी पहलवान, दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है। हम सबको बेटी होने पर फº है। हम चाहते हैं कि अगले जन्म में हम बेटी ही बनें, ताकि देश की सेवा कर सकें। ये बोल हैं अंतरराष्ट्रीय पहलवान गीता फोगाट के। गीता शनिवार को भारतीय कुश्ती टीम का ट्रायल देने के लिए राजधानी में मौजूद थीं। उन्होंने अपने जीवन के अहम पहलुओं को साझा किया। आइनेक्स्ट से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि बेटी होना हमारे घर ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व की बात है।

पूरा गांव मांगता है बेटियों के लिए दुआ

गीता बताती हैं कि उनके घर में बेटी होना जश्न की बात होती है। ये केवल उनके घर की ही बात नहीं है, बल्कि पूरा गांव बेटियों के जन्म के लिए दुआ मांगता है। गीता और उनकी बहनों में केवल कुश्ती के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए भी जुनून है। गीता ने कहा कि अगर वो कुश्ती नहीं खेल रही होतीं कुछ और कर रही होतीं तो वो भी देश की सेवा से जुड़ा होता। गीता ने बताया कि हम चार बहनें सगी हैं। दो चाचा की बेटियां हैं और एक ताऊ की बेटी। यानी कुल मिलाकर सात और ये सातों बहनें साथ मिलकर देश के लिए कुश्ती खेल रही हैं। गीता कहती हैं कि वो खुशनसीब हैं कि उन्होंने हरियाणा के भिवानी गांव में जन्म लिया, वहां बेटियों को बोझ नहीं। ईश्वर का वरदान माना जाता है।

तेजी से बदल रहा है नजरिया

गीता की बहन बबिता फोगाट ने भी हमसे चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाएं मौजूद न हों। वो पुरुषों के साथ-साथ बराबरी से अपना योगदान दे रही हैं। इसी का नतीजा है कि देश में महिलाओं के प्रति नजरिया भी बेहद तेजी से बदला है। बेटियों को बोझ नहीं, घर की शान समझा जाता है। बेटियों ने हर मोर्चे पर अपनी ताकत का अहसास कराया। बिनेश फोगाट भी यहीं मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि हमारे घरों में बेटियों पर दोहरी जिम्मेदारी होती है। यहां घर के साथ-साथ वो बाहर का काम भी संभालती हैं। उन्होंने कहा कि वो लोग बेहद संकीर्ण मानसिकता वाले होते हैं जो बेटा-बेटी में भेद करते हैं।

Posted By: Inextlive