Meerut : पाकिस्तान पर सबसे बड़ी जीत की 42वीं वर्षगांठ के मौके पर सोमवार को मेरठ छावनी में भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ. पश्चिम यूपी सब एरिया मुख्यालय की ओर से सोमवार को शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसमें कैंट में तैनात मौजूदा और रिटायर्ड सैनिकों ने इस जीत के नायक रहे उन वीरों को नमन किया जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति देकर दुश्मनों को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया था.


शहीदों को दी श्रद्धांजलि मॉल रोड स्थित शहीद स्मारक पर विभिन्न यूनिट्स के आर्मी ऑफिसर्स ने एक लाइन से शहीदों की बेदी पर पुष्पचक्र अर्पित किए और सलामी ली। अहम तौर पर सब एरिया के जीओसी का कार्यभार देख रहे ब्रिगेडियर एसके वर्मा ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को नमन किया। श्रद्धांजलि अर्पण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ऐसे भी रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर्स रहे, जिन्होंने भारत-पाक युद्ध में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था और उसकी निशाने उनके सीने पर मेडल के रूप में चमक रही थी। गौरव का दिन इस मौके पर ब्रि। एसके वर्मा ने कहा कि यह हमारे लिए बेहद गौरव का दिन है। पूरे देशवासी इस जश्न में शरीक हों, ऐसी


हमारी कामना है। हम यही प्रण करते हैं कि जो भरोसा राष्ट्र ने हमसे रखा है, उस पर खरा उतरने के लिए हम हर समय तैयार हैं।इन्होंने भी किया नमनले। जनरल मैथ्यू थॉमस, ले। जनरल शांतनु चौधरी, मेजर जनरल एसएस अहलावत, मेजर जनरल वीरेंद्र सिंह पुनिया, मेजर जनरल केएस सोलंकी, मेजर जनरल जितेंद्र सिंह, ब्रिगेडियर रनवीर सिंह, मेजर पद्म सिंह वर्मा सहित कई और भूतपूर्व सैन्य अफसर मौजूद थे। इस दौरान 1971 के युद्धवीरों ने पुरानी यादें भी ताजा कीं।

गर्व महसूस हो रहा हैशहीद दिवस के मौके पर लेफ्टिनेंट तरुण नैय्यर की माताजी शशि नैय्यर और उनकी बहन शालू मदान भी मौजूद थीं। जब दोनों शहीदों की फेहरिस्त में अपने बेटे और भाई का नाम देखा तो आंखों में थोड़ी नमी आ गई। अपने आपको संभाला और मीडिया से मुखातिब होते हुए शशि नैय्यर ने कहा कि अपने बेटे को इस तरह से याद होता देख बड़ा ही गर्व महसूस होता है। जिस समय लेफ्टिनेंट तरुण नैय्यर शहीद हुए उनकी उम्र महज साढ़े 22 ही थी। एक मां होने के नाते अपने बेटे की मौत का गम होता ही है। लेकिन इस बात पर गर्व भी है देश की सीमा की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। बहन शालू मदान ने अपने भाई के बारे में कहा कि उन्होंने तीन आतंकवादियों को मारकर अपने साथियों की जान बचाई थी। ऐसे भाई की बहन होने का गौरव हर किसी को हासिल नहीं होता है। मुझे इस बात फक्र है कि जब-जब शहीदों का नाम लिया जाएगा तो मेरे भाई का नाम भी उनमें शामिल होगा। जोड़े गए शहीदों के नाम

पश्चिम यूपी सब एरिया मुख्यालय ने कारगिल विजय की बरसी के दिन एक नाम पट्टिका का अनावरण किया गया था, जिसमें अब तक के शहीदों के नाम दर्शाए गए थे। इस प्रक्रिया में कुछ शहीदों का नाम भूलवश छूट गया था। इन शहीदों के भी नाम को विजय दिवस की वर्षगांठ पर एक नाम पट्टिका लगाकर प्रकाशित किया गया।शहीदों के नाम भारत-पाक युद्ध 1965 : सिपाही धर्मवीर सिंहभारत-पाक युद्ध 1971 : मेजर जगदीश पाल, राइफलमैन शीशपाल, हवलदार दीप सिंहऑपरेशन रक्षक : लेफ्टिनेंट तरुण नैय्यर, मेजर अमित राठी, सिपाही राजकुमार, पीटीआर नरेंद्र सिंहशांति मिशन, कांगो : हवलदार ओंकार सिंह

Posted By: Inextlive