Meerut : इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स और कॉलेज की क्वालिटी ऑफ एजुकेशन की हालत बेहद खराब है. कम से कम मेरठ के कॉलेजों के बारे में तो ये कहा ही जा सकता है.


यहां के अधिकतर कॉलेज तो यूनिवर्सिटी एवरेज को भी क्वालीफाई नहीं कर पा रहे हैं।क्या है मामलायूपीटीयू ने अपने 2011-12 बैच की एवरेज रिपोर्ट जारी की है। यूनिवर्सिटी ने फस्र्ट इयर और सेकेंड इयर की रिपोर्ट एक साथ। वहीं थर्ड और फोर्थ इयर की रिपोर्ट एक साथ दो भागों में जारी की है। फस्र्ट और सेकेंड इयर की कंपाइल्ड रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी एवरेज स्कोर 33.55 परसेंट है। जबकि थर्ड इयर और फोर्थ इयर की कंपाइल्ड रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी एवरेज 45.94 परसेंट है।एवरेज से भी नीचे मेरठ


रिपोर्ट से साफ जाहिर है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में जाने वाले स्टूडेंट फर्स्ट और सेकेंड इयर में सिर्फ मस्ती करते हैं। मेरठ के कॉलेजों की बात की जाए तो इस फस्र्ट और सेकेंड इयर में क्वालीफाई करने वालों की लिस्ट में मेरठ का एक भी कॉलेज नहीं है। यानी कि मेरठ के कॉलेजों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स में से 33 परसेंट भी फस्र्ट और सेकेंड इयर में पास नहीं हो पाते हैं.बाद में पढ़ते हैं

आगे की बात करें तो सेकेंड थर्ड इयर में जाते-जाते स्टूडेंट्स को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होता है। उन्हें भविष्य की थोड़ी चिंता होती है और परफॉर्मेंस में भी सुधार आता है। थर्ड और फोर्थ इयर की कंपलाइल्ड रिपोर्ट में मेरठ के करीब 25 कॉलेजों ने क्वालीफाई किया है। जाहिर है कि लास्ट इयर में जाकर ही स्टूडेंट्स का रुझान पढ़ाई की तरफ बढ़ता है, लेकिन इससे खुश होने की जरूरत नहीं है। मेरठ में करीब चालीस इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिनमें से सिर्फ 25 ने ही यूनिवर्सिटी की एवरेज मार्किंग 45.94 परसेंट को क्वालीफाई किया है। अभी भी क्वालिटी ऑफ एजुकेशन के मामले में मेरठ काफी पीछे है.कैसे किया रैंकिंगयूपीटीयू ने कॉलेजों को एवरेज माक्र्स के आधार पर रैंकिंग दी है। यानी कि एग्जाम में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स ने जितना स्कोर किया। उनके टोटल माक्र्स जोड़ कर। एग्जाम में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स की संख्या से भाग दे दिया।हुआ था हंगामाबता दें कि पिछले दिनों जब सर छोटू राम इंजीनियरिंग कॉलेज का रिजल्ट जारी हुआ। रिजल्ट में फस्र्ट इयर के 85 परसेंट स्टूडेंट फेल हो गए, जिसके बाद कॉलेज में जमकर हंगामा भी हुआ था।

Posted By: Inextlive