नौचंदी मैदान में स्थित बाले मियां मजार और नवचंडी मंदिर

¨हदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द का ऐतिहासिक उदाहरण

Meerut। ¨हदू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द का सबसे बड़ा उदाहरण नौचंदी मैदान स्थित बाले मियां मजार और नवचंडी मंदिर है। अयोध्या मामले पर फैसले के बाद यहां एकजुटता और आपसी सद्भाव की मिसाल देखने को मिली। लोगों ने एक-दूसरे को लडडू खिलाकर बधाई दी।

एक-दूसरे का सहयोग

एक ओर मंदिर में नवचंडी देवी के जयकारे गूंजते हैं, तो दूसरी तरफ मजार पर बाले शाह की शान में कव्वाली गाई जाती है। मंदिर और मजार के लोग आपस में एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। हर धार्मिक आयोजन में शामिल भी होते हैं।

यह है पौराणिक मान्यता

नवचंडी मंदिर की स्थापना रावण और उसकी पत्‍‌नी मंदोदरी ने करके यहां पूजा की थी। तभी से यहां मेला लगता है। कहा जाता है कि अलाउदीन खिलजी के सेनापति सैयद सलार मसूद ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया था। तब नवचंडी देवी मंदिर के पुजारी की बेटी ने अपनी तलवार से मसूद की उंगली काट दी थी। मसूद का मन युद्ध से विरत हो गया। वह फकीर बन गया और बाले शाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जहां मसूद की उंगली कटकर गिरी थी वहां मजार बना दी गई।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। अब एकता और ज्यादा मजबूत होगी।

मुफ़्ती अशरफ, मौलवी, बाले मियां मजार

मंदिर और मजार को लेकर कभी भी विवाद नहीं हुआ। दोनों ही पक्ष एक दूसरे की सहायता करते हैं।

महेंद्र नाथ शर्मा, पुजारी, नवचंडी मंदिर

Posted By: Inextlive