Meerut: शारीरिक कमी हो तो इंसान कई बार निराश हताश हो जाता है और जीवन से हार मान लेता है लेकिन हमारे आस-पास में कुछ ऐसे लोग हैं जो हमें जीने का मतलब सिखाते हैं. कुछ ऐसे ही युवाओं से मुलाकात हुई.


सचिन चौधरीपॉवरलिफ्टर (पैराओलंपिक 2012 में लंदन में किया देश का प्रतिनिधित्व)सचिन हाल ही में पैरा ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया। वो कहते हैं कि शरीर में भले ही कमी हो हार नहीं माननी चाहिए। मेरे साथ भी कुदरत ने बेरूखी दिखाई, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।
गौतम जागृति विहार में अपना इंस्टीट्यूट चलाते हैं। पैर में पोलियो है मगर खुद को किसी से कम नहीं माना। आई नेक्स्ट से बोले, मुझे कुछ लोगों ने कहा कि मैं एक्सरसाइज नहीं कर सकता, उन लोगों को मैंने हेल्थ जिम खोलकर दिखाया। जहां मैंने बॉडी बिल्डिंग की और वेट लिफ्टिंग में कई प्राइज लेकर दिखाए। इसके बाद मैंने एजुकेशन फील्ड में उतरने का फैसला किया। मेरठ कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने लाइब्रेरी साइंस में मास्टर्स किया और अपना इंस्टीट्यूट खोला। जिसमें माखन लाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी और राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी की मान्यता के साथ कई कोर्स शुरू किए। इस इंस्टीट्यूट को शुरू करने के लिए मैंने अपने पिता से मात्र 30 हजार रुपए लिए और आज निजी बिल्डिंग में इंस्टीट्यूट चला रहा हूं। साथ ही मैंने राजनीति में भी कदम बढ़ाया।दीपक कुमार तालान, रिसर्च स्कॉलर

Posted By: Inextlive