मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग ने 23 वर्षीय महिला का लेबर एनाल्जेसिया विधि से एपीड्यूरल एनेस्थीसिया देकर पीड़ा रहित प्रसव कराया। निजी अस्पतालों में इस तकनीक में लाखों रुपए का खर्च आता है। जबकि अब मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा निशुल्क मिलेगी।

मेरठ (ब्यूरो)। मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉक्टर वी डी पाण्डेय ने बताया कि जागृति विहार निवासी 23 वर्षीय सोनिया की बिना प्रसव पीड़ा के नॉर्मल प्रसव (डिलीवरी) कराई गई। मरीज की यह प्रथम प्रेग्नेंसी थी। वह प्रसव पीड़ा के कारण वह बहुत परेशान हो रही थी। उसे एपीड्यूरल एनएसथीसिया के लिए डॉक्टरों ने समझाया।

पीड़ा रहित प्रसव कराया
इसके बाद उसने सहर्ष स्वीकृति प्रदान की। इसके बाद स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉक्टर रचना चौधरी और उनकी टीम की डॉक्टर मोनिका, डॉ नेहा, डॉक्टर हेमा, डॉक्टर राजेश, डॉक्टर नैंसी द्वारा इस प्रकार का मेरठ का प्रथम प्रसव एनेस्थीसिया विभाग के आचार्य डॉक्टर सुभाष दहिया के मार्गदर्शन में लेबर एनाल्जेसिया विधि से एपीड्यूरल एनेस्थीसिया देकर पीड़ा रहित प्रसव कराया गया।

मरीज की कमर में लगाई जाती है सुई
गौरतलब है कि लेबर एनाल्जेसिया मरीज को कई विधियों द्वारा दिया जा सकता है मगर एपीड्यूरल एनेस्थीसिया एक सबसे नवीनतम तकनीक में से एक है। इसमें मरीज की कमर में सुई लगाकर एपिड्यूरल कैथेटर के द्वारा एनेस्थीसिया दिया जाता है जिसमें मरीज को प्रसव के दौरान व बाद में कोई पीड़ा नहीं होती मरीज की नार्मल डिलीवरी में कोई पीड़ा नहीं होती एवं प्रसव आसानी से हो जाता है। अगर मरीज को इसके बाद भी सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा प्रसव कराना पड़ता है तो भी इसी एनेस्थीसिया के द्वारा सिजेरियन प्रसव भी कराया जा सकता है अलग से मरीज को कोई बेहोशी नहीं दी जाती है। एपिड्यूरल एनेस्थीसिया का एक और लाभ यह भी है कि मरीज को सिजेरियन के बाद भी दर्द नहीं होता है जिससे कि मरीज के द्वारा पैदा हुए बच्चे को जल्दी से मां का दूध आसानी से उपलब्ध हो जाता है क्योंकि मां प्रसव के बाद पीड़ा ग्रस्त नहीं रहती है इसलिए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करती है। यानी मां का दूध आसानी से प्राप्त हो जाता है।

Posted By: Inextlive