MEERUT: स्कूलों की मनमानी लगातार जारी है. अब से नहीं सालों से. न जाने कितनी सरकारें आई और कितनी गई. पर कोई स्कूलों पर लगाम नहीं लगा पाया. ऐसा क्यों?


 स्कूलों की मनमानी लगातार जारी है। अब से नहीं सालों से। न जाने कितनी सरकारें आई और कितनी गई। पर कोई स्कूलों पर लगाम नहीं लगा पाया। ऐसा क्यों? हमने बात की राजनीतिक पार्टियों के जिला अध्यक्षों से। पर उनके जवाब भी जनता की पीड़ा को समझने वाले नहीं लगे। आप भी पढ़ेजयवीर सिंह, जिला अध्यक्ष, सपा  सवाल : क्या आपका या आपकी पार्टी के किसी मेंबर का स्कूल चलता है?जवाब : हमारी सरोजनी अग्रवाल का सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल है।सवाल : क्या इसी वजह से स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आप और पार्टी शांत बैठी है? जवाब : कहां चल रही है मनमानी मुझे तो पता नहीं। मैं अखबार में पार्टी की खबरें पढ़ता हूं। हमें किसी ने कुछ बताया ही नहीं। जब तक कोई बताएगा नहीं तो मुझे सपना तो आएगा नहीं।


सवाल : ये कोई बताने वाली बात नहीं है, ये तो हर साल का किस्सा है।जवाब : मुझे तो पता नहीं ये हर साल होता है।सवाल : अगर नहीं तो फिर आज तक पेरेंट्स के हक में क्या किया?जवाब : आपको जो छापना है छाप दो, जब मुझे टाइम मिलेगा और कोई शिकायत करेगा तो देखेंगे।

सवाल : वैसे तो आप लोग छोटी छोटी बातों पर हंगामा और प्रदर्शन करने पहुंच जाते हैंं? अब चुप क्यों?जवाब : हमें प्रॉब्लम होगी तो हंगामा किया जाएगा। किसी को प्रॉब्लम हो तो बताए उस पर भी कार्रवाई कराने का प्रयास करेंगे।जगदीश शर्मा, जिला अध्यक्ष कांग्रेस सवाल : क्या आपका या आपकी पार्टी के किसी मेंबर का स्कूल चलता है?जवाब : हमारे सतीश शर्मा के कई हाई स्कूल चलते हैं और अशोक त्यागी का कॉलेज चलता है।सवाल : क्या इसी वजह से आप लोग स्कूलों की मनमानी पर शांत हैं?जवाब : नहीं हमारे तो सरकारी कॉलेज है। स्कूल भी इतनी फीस नहीं लेता है। हम इस मुद्दे पर आई नेक्स्ट से सहमत हैं। लेकिन अभी तक इस बारे में कुछ नहीं किया गया है। लेकिन अब हम इस बारे में कुछ करेंगे।योगेंद्र जाटव, जिला अध्यक्ष, बसपा सवाल : क्या आपका या आपकी पार्टी के किसी मेंबर का स्कूल चलता है?जवाब : विनय कुराली का शांति पॉलीटेक्निक और इंटर स्कूल है। ताराचंद शास्त्री का एमपीजीए, एमपीए कई स्कूल है।सवाल : क्या इसी वजह से पार्टी ने आज तक इनके खिलाफ कुछ नहीं किया। जबकि पेरेंट्स इतने परेशान हैं?

जवाब : हमारी सरकार में ऐसा कोई मामला नहीं आया था। वहीं सपा सरकार में तो हद हो गई है। अब कमीशनबाजी हो रही है सरकार करा रही है।सवाल : आपकी सरकार में भी तो ये मामले लगातार हुए हैं?जवाब : नहीं हमारी सरकार में एक ही दुकान से किताबें खरीदने का दबाव नहीं होता था। दुकानदार का नाम सिर्फ सजेस्ट करते थे। सवाल : भले ही आप सरकार में नहीं हों, लेकिन जनता से जुड़े मुद्दे पर शांत रहना कहा तक उचित है?जवाब : नहीं किसी को भी दिक्कत हो तो मुझे बताए। मैं स्वंय आकर मदद करुंगा।सवाल : वैसे तो आप लोग छोटी छोटी बातों पर हंगामा और प्रदर्शन करने पहुंच जाते हैं। अब चुप क्यों?जवाब : नहीं हमने कई बार इस बारे में डीएम और कमिश्नर को ज्ञापन दिया है।चरण सिंह लिसाड़ी, महानगर अध्यक्ष, भाजपा प्रश्न : क्या आपकी पार्टी के लोगों के भी स्कूल चलते हैं?जवाब : सभी पार्टियों में व्यापारी और स्कूल चलाने वाले हैं।प्रश्न : तो क्या इसी वजह से स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कुछ नहीं किया गया है?जवाब : नहीं, चाहे स्कूल मेरे भाई का हो, मनमानी नहीं चलेगी।सवाल : पब्लिक इतनी परेशान है। आपने और पार्टी ने पब्लिक के लिए क्या किया?
जवाब : हमारे पास कोई आया ही नहीं तो हम क्या करें।सवाल : अखबारों में लगातार सब कुछ छप रहा है उसके बाद भी किसी को आना पड़ेगा?जवाब : अगर कोई आएगा नहीं तो हम क्या कर पाएंगे।

Posted By: Inextlive