तेजी से बिगड़ती शहर की आबोहवा डेंगू मलेरिया और बुखार से ज्यादा शहर के लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रही है। शुद्ध हवा में कमी के कारण ब्रेन स्ट्रोक से लेकर अस्थमा सांस की बीमारी समेत फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। खासकर बुजुर्गों और बच्चों की सेहत पर यह पॉल्यूशन संक्रमण के रूप में काफी नुकसान पहुंचा रहा है। पॉल्यूशन के कारण सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। हालत यह है कि मेडिसन और फिजीशियन चिकित्सकों के पास मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

मेरठ (ब्यूरो)। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले लोगों में फेफड़ों से जुड़े संक्रमण का खतरा अधिक बढ़ जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों ने मास्क लगाने में लापरवाही बरती तो सदीं के साथ बिगड़ा पर्यावरण पेट में इंफेक्शन से लेकर ब्रेन स्ट्रोक जैसी घातक बीमारी को बुलावा दे सकता है। इसलिए घातक साबित होने वाले पर्यावरण के खतरे से उबरने के लिए घर के बाहर मास्क लगाना होगा।

कोरोना संक्रमण बना परेशानी
वहीं कोरोना वायरस से ग्रस्त हो चुके मरीजों के लिए तो यह हवा ओर अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। कोरोना वायरस से कमजोर हो चुके फेफड़ों और श्वसन तंत्र पर पॉल्यूशन अधिक तेजी से हमला करता है। ऐसे में पॉल्यूशन के बढऩे से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ रहा है।

दिल के लिए भारी पॉल्यूशन
पीएम 2.5 का स्तर 400 पार करने के बाद हवा में विषाक्त कणों निकिल, क्रोमियम, कैडमियम व सल्फर, नाइट्रस और मोनो ऑक्साइड गैसों की मात्रा ज्यादा होने से हवा भारी होने से फेफड़ों पर लोड बढ़ा देती है। जिन अस्थमा मरीजों की आक्सीजन 91-93 रहती थी, उनका सेचुरेशन 85 प्रतिशत तक रह गया है। कई मरीज रेस्पिरेटरी फेल्योर के शिकार हो रहे हैं।

फैक्ट
फैक्ट जिला अस्पताल में पेट के मरीजों की संख्या - 261
मेडिकल कॉलेज में पेट के मरीजों की संख्या - 163

मेडिकल कॉलेज मेडिसिन वार्ड में पेट की बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। 30 प्रतिशत तक मरीज पेट की बीमारियों के आ रहे हैं। पॉल्यूशन का इस इंफेक्शन पर पूरा असर है। पॉल्यूशन पेट की आंतों में इंफेक्शन को बढ़ाता है। मास्क पहने सुरक्षित रहें।
डॉ। तुंगवीर आर्य, प्रभारी, मेडिसिन विभाग

इस मौसम में खट्टे और रिफाइंड व तेल में तली हुई चीजों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। इससे गले में इंफेक्शन से शुरूआत होती है और यह फेफड़े और पाचन प्रक्रिया पर सीधा असर डालती है। इससे पेट में इंफेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है।
डॉ। विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजीशियन

Posted By: Inextlive