Meerut : सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने कई अफसाने लिखे हैं. अन्ना आंदोलन एफबी की बदौलत परवान चढ़ा. दामिनी केस में इसकी अहम भूमिका रही. अब जरा सिक्के के दूसरे पहलू पर भी गौर करें. यहां माइनर्स भी अकाउंट खोल रहे है. अपराध पनप रहा है. फ्रॉड के किस्से आम हैं. इसके बावजूद एफबी पर माइनर्स की एक्टिविटी को पेरेंट्स भी इग्नोर कर रहे है. एक्सपर्ट की सलाह है कि सावधान रहें. कहीं ऐसा न हो कि बच्चा खता करे और कीमत आप चुकाएं...


छोटी सी उमर में लग गया रोगक्या आपके बच्चे का सोशल नेटवर्किंग साइट्स, खासकर फेसबुक पर अकाउंट है? क्या आप खुद इसे बढ़ावा दे रहे है? कई लोग एफबी पर बच्चों की एक्टिविटी को सोसाइटी के लिए खतरा मान रहे है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी नोटिस लेते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर माइनर्स की एक्टिविटी पर रोक लगाने की बात कही है, लेकिन क्या ये काम पेरेंट्स या सोसाइटी का नहीं है? देते है गलत जानकारी कई केसेज में फेसबुक अकाउंट नहीं खोलता तो बच्चे गलत डेट ऑफ बर्थ मेंशन करते हैं। अपने बारे में गलत जानकारी देते हैैं। कई लोग फेक अकाउंट खोलने के लिए तैयार रहते हैं। अपने फोटोग्राफ की जगह प्रोफाइल पिक्चर के लिए बहुत सारे ऑप्शन हैं इसलिए कोई जरूरी नहीं है कि पर्सन अपनी ओरिजनल फोटोग्राफ ही अटैच करे।इनका क्या होगा


आज के बच्चे टेक्नीकली काफी साउंड होते हैं। छोटी क्लासेज से ही कंप्यूटर और इंटरनेट के टच में आने से उन्हें इन चीजों की बखूबी जानकारी होती है। जबकि देखा जाए तो अभी भी ऐसे बहुत सारे पेरेंट्स हैं जो इंटरनेट के लिए अपने बच्चों पर डिपेंड हैं। कई पेरेंट्स हैं जिनका सोशल नेटवर्किंग एकाउंट या ईमेल को डील करने के लिए वो बच्चों पर ही डिपेंड रहते हैं। बच्चे ही उनके अकाउंट को अपडेट करते हैं, उसमें चीजें टैग करते हैं और चैटिंग या कमेंट भी करते हैं।याचिका से उठा सवालदिल्ली हाईकोर्ट में बीजेपी के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य ने एक याचिका दायर की, जिसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक समेत सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एकाउंट खोलने को भारतीय कानून के विरूद्ध बताया। इनकी याचिका पर विचार करके जस्टिस ने 10 दिनों के भीतर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। साथ ही फेसबुक और गूगल दोनों अमेरिकी कंपनियों को प्रतिवादी के तौर पर उन्हें भी पक्षकार बनाया गया है जिसमें नए पक्षकारों को भी नोटिस जारी करने का भी आदेश दिया है। बेटा डील करता है अकाउंटडॉ। संजीव अग्रवाल बताते हैं कि उनका फेसबुक पर अकाउंट है। उस अकाउंट को मैंने देखा तो कई बार है मगर उसे डील मेरा 17 साल का बेटा शौर्य ही करता है। मेरे पास किसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आई है या किसने क्या टैग किया है और उस पर मेरा क्या कमेंट होना चाहिए ये सब वो मुझे बताता जरूर है। मगर मैं खुद ये सब नहीं करता।बेटा यश इसमें एक्सपर्ट है

संजीव गुप्ता और कल्पना गुप्ता का बेटा यश इलेक्ट्रॉनिक चीजों में बहुत एक्टिव है। इसके साथ ही इंटरनेट पर भी उसकी बहुत अच्छी कमांड है। 7वीं क्लास में पढऩे वाला यश अपने पेरेंट्स के इंटरनेट अकाउंट्स को डील करता है। संजीव बताते हैं हमने एक टैबलेट बुक ऑनलाइन शापिंग से ऑर्डर किया था। उसमें थोड़ी सी प्रॉब्लम थी सो मेरे बेटे ने उसे खुद खोल दिया और सही भी कर दिया।   घर में सबका अकाउंट हैराजेश सिंघल के परिवार में सभी का सोशल नेटवर्किंग साइट पर अकाउंट है। परिवार में राजेश सिंघल, उनकी पत्नी रीना सिंघल, बेटी पंखुरी सिंघल और बेटा प्रखर सिंघल सभी का सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अकाउंट है। रीना बताती हैं कि हमारा अकाउंट हमारे बच्चों ने ही बनाया था। शुरुआत में तो हमारे एकाउंट को पूरी तरह से बच्चे ही टैकल किया करते थे और अब भी ये सिलसिला जारी है। हालांकि पंखुरी और प्रखर ज्यादातर अपने पेरेंट्स के अकाउंट को डील करते हैं। मगर पेरेंट्स को भी इसकी पूरी जानकारी रहती है। बल्कि किन चीजों को टैग करना है ये भी अक्सर पेरेंट्स ही बताते हैं।

'आप किसी को भी अभिव्यक्ति के लिए नहीं रोक सकते हैं, ये मौलिक अधिकारों का हनन है। अगर आपको लगता है कि बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से उन चीजों को देख रहा है जो अभी उसके लिए नहीं हैं तो इसे रोकने की जिम्मेदारी पेरेंट्स की है और ऐसा नहीं है कि इंटरनेट या सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सबकुछ गलत है। अगर हम नर्सरी क्लास से बच्चे को कंप्यूटर एजुकेशन दिलाने के हक में हैं तो कंप्यूटर सीखने के कुछ साल बाद बच्चा इंटरनेट और सोशल साइट्स पर भी आना ही चाहेगा.'- डॉ। दीप्ति कौशिक, समाज शास्त्री, इस्माईल डिग्री कॉलेज

Posted By: Inextlive