..तो ऐसे चलेगी मेट्रो?
-एमडीए के साथ 30 जून 2016 से नहीं हुआ सरकार का पत्राचार
-नोडल अधिकारी के तबादले के बाद नहीं हुई नियुक्ति -एमडीए स्थित मेट्रो सेल के कार्यालय पर लटका ताला आई इनवेस्टीगेटिव अखिल कुमार मेरठ: मेरठ में मेट्रो की तैयारियां दम तोड़ रही हैं। बेशक लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ ने मेट्रो मैन श्रीधरन की सिफारिश पर आगरा और मेरठ मेट्रो की डीपीआर को रिवाइज करने के आदेश दिए हो किंतु धरातल पर कुछ भी नहीं है। मेरठ मेट्रो स्कीम पिछले एक साल से प्लेटफार्म पर ही खड़ी है। 30 जून 2016 से फुलस्टॉपपूर्व अखिलेश सरकार के कार्याकाल में तैयार मेरठ मेट्रो परियोजना को लेकर आए दिन बयान आ रहे हैं। किंतु हकीकत यह है कि 30 जून 2016 से मेरठ मेट्रो को लेकर किसी भी तरह का पत्राचार मेरठ प्राधिकरण के साथ सरकार का नहीं है। गत वर्ष 30 जून को मेट्रो की डीपीआर को सरकार में लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) ने प्रोड्यूस किया था।
मेट्रो सेल का ताला बंदमेरठ में मेट्रो को लेकर जंबो तैयारियों में मेट्रो सेल की स्थापना भी शामिल थी। प्राधिकरण कार्यालय की दूसरी मंजिल पर मेट्रो सेल की स्थापना तत्कालीन सरकार के निर्देश पर की गई थी। एटीपी विवेक भास्कर को बतौर नोडल अफसर नियुक्त किया था। फिलहाल इस सेल पर ताला पड़ा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की पड़ताल में निकलकर आया कि सेल में आउटसोर्स किए गए कर्मचारी भी हटा दिए गए हैं तो वहीं एटीपी के तबादले के बाद नोडल अफसर का पद भी खाली है।
'फुटबाल' बनी योजना 30 जून 2016 को तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन के साथ लखनऊ में हुई मीटिंग में मेरठ मेट्रो की न सिर्फ डीपीआर एप्रूव हुई थी बल्कि मुख्य सचिव ने कैबिनेट से पास कराने से लेकर केंद्र सरकार की मंजूरी और परियोजना की शुरुआत तक की तिथियां तय की थीं। मुख्य सचिव के रिटायरमेंट के बाद तत्काल सपा सरकार मेरठ मेट्रो को भूल गई। इसी सिलसिले को बढ़ाते सूबे की मौजूदा योगी सरकार लखनऊ से आए दिन घोषणाएं कर रही हैं किंतु धरातल पर कुछ भी नहीं है। आई आई डीएमआरसी मेरठ मेट्रो की नोडल एजेंसी डीएमआरसी के अधिकारी 30 जून 2016 के बाद मेरठ नहीं आए। हालांकि इससे पहले 2 बार डीएमआरसी के एमडी और 3 बार नामित अधिकारियों में मेरठ में दौरा कर मेट्रो की फिजिबिलिटी चेक करने से लेकर ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट का परीक्षण किया था। प्रमुख तिथियां फरवरी 2015-मेरठ मेट्रो की लांचिंगजुलाई 2015-फिजिबिलिटी चेक होने के बाद डीपीआर का काम शुरू
मई 2016-मेट्रो की डीपीआर लखनऊ भेजी जून 2016-मुख्य सचिव के समक्ष डीपीआर प्रोड्यूस एक नजर कारीडोर एक परतापुर से मोदीपुरम (19.4 किमी) -परतापुर से शताब्दीनगर तक व एमईएस से मोदीपुरम तक फ्लाईओवर पर -शताब्दीनगर से बेगमपुल होते हुए एमईएस तक भूमिगत ट्रैक कारीडोर दो गोकलपुर से श्रद्धापुरी (15.8 किमी) -गोकलपुर से रजबन बाजार तक फ्लाईओवर पर -रजबन बाजार से श्रद्धापुरी फेज दो तक भूमिगत कुछ अन्य तथ्य -पीक ऑवर में हर घंटे 51 हजार यात्री चढ़ेगे। -मेट्रो ट्रेन के कुल 32 स्टेशन बनाए जाएंगे। --- सपा कार्यकाल में मेट्रो परियोजना गति पकड़े थी। सरकार बदलते ही मेट्रो सिर्फ नेताओं के बयानों में दौड़ रही है। -शाहिद मंजूर, पूर्व कबीना मंत्री --- मेट्रो परियोजना के लिए मुख्यमंत्री को लिखा गया है, डीपीआर की केंद्र सरकार में जोरदार पैरवी होगी। -राजेंद्र अगवाल, सांसद, मेरठ --- मेरठ मेट्रो पर आए दिन बयानबाजी करके सरकार जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। डीपीआर को जल्द कैबिनेट से पास होनी चाहिए। -रफीक अंसारी, विधायक, शहर विधानसभा ---न्यू मेट्रो पॉलिसी के गठन के बाद डीपीआर को दोबारा देखा जाएगा। जल्द ही मेरठ में मेट्रो परियोजना धरातल पर दिखाई देगी।
-सत्यप्रकाश अग्रवाल, विधायक कैंट --- मेट्रो परियोजना को लेकर सरकार की ओर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। निर्देश मिलते ही अग्रिम कार्यवाही को आरंभ कर दिया जाएगा। -सीताराम यादव, वीसी, प्राधिकरण