आपको सिर्फ स्विच बंद करना है
- रोज डेढ़ यूनिट बिजली घरों में हो जाती है बेकार
- स्टडी रूम से ड्राइंग रूम तक में ऑन रहती हैं लाइट्स - सालाना 71 करोड़ की बिजली हो जाती है बेकार रोज डेढ़ यूनिट बिजली घरों में हो जाती है बेकार - स्टडी रूम से ड्राइंग रूम तक में ऑन रहती हैं लाइट्स - सालाना 7क् करोड़ की बिजली हो जाती है बेकार sharma.saurabh@inext.co.in Meerut sharma.saurabh@inext.co.inMeerut : प्रिय उपभोक्ताओं, क्या आपको वक्त पर बिल भरने के बावजूद छह घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। जब आप दिन भर काम करने के बाद रात को सोने के लिए लेटते हैं तो पसीना आपको भिगो देता है। आपकी समस्या जायज है, मगर क्यों आप अक्सर बाथरूम का बल्ब ऑन छोड़ देते हैं? स्टडी रूम से निकलने के बाद लाइट और फैन को बंद करना भूल जाते हैं? रात को टीवी देखते-देखते सो जाते हैं? जी हां, ये सब किसी न किसी के साथ रोज होता है, जिन्हें हम इग्नोर कर देते हैं, लेकिन आपको इस बात का अनुमान नहीं कि देश का कितना बड़ा नुकसान कर रहे हैं
रोज डेढ़ यूनिट बेकारआप अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि इस तरह की लापरवाही से रोजाना हम लोग घरों में डेढ़ यूनिट को बरबाद कर देते हैं। यानि उस डेढ़ यूनिट बिजली का फायदा हम नहीं उठा पाते हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो सिटी में तीन लाख बिजली के कनेक्शन हैं। इस हिसाब से रोजाना ब्.भ् लाख बिजली की यूनिट्स बेकार हो जाती है। महीने में यही यूनिट्स क्.फ्भ् करोड़ हो जाते हैं।
करोड़ों का नुकसान मौजूदा दरों के हिसाब से बिजली की एक यूनिट की अधिकतम कीमत ब्.ब्0 रुपए हैं। यानि एक दिन में क्9.80 लाख रुपए की बिजली हम लोग बर्बाद कर देते हैं। वहीं महीने के हिसाब से भ्.9ब् करोड़ रुपए की बिजली बेकार हो जाती है। वहीं सालाना हम 7क्.ख्8 करोड़ रुपए क बिजली का इस्तेमाल ही नहीं करते हैं। ये रुपया कहीं और से नहीं बल्कि हमारी ही जेब से जाता है, जिसका हम बिल्कुल भी उपयोग नहीं कर पाते हैं। होना अवेयर जरूरी बिजली अधिकारियों की मानें तो ये बातें बहुत ही छोटी-छोटी हैं, लेकिन इनके ध्यान रखने से काफी फायदा होता है। अगर कोई एक यूनिट सेव करता हैं तो इसका मतलब दो यूनिट की अपने आप ही बचत हो रही है। क्योंकि बिजली सप्लाई के दौरान खर्च होने वाली यूनिट इसमें इनक्लूड होगी। सीएफएल करें यूजअधिकारियों के अनुसार अधिकतर घरों के बाथरूम, स्टेयर्स और बालकनी में बल्ब का इस्तेमाल होता है। जिन्हें कभी भी ऑफ नहीं किया जाता है, जबकि बल्ब बाकी चीजों के मुकाबले ज्यादा बिजली खर्च करता है। इसे बिल्कुल भी यूज न करें। इससे बेहतर है कि उपभोक्ता सीएफएल का इस्तेमाल करें। इनसे बल्ब के मुकाबले रोशनी भी ज्यादा होती है और बिजली भी कम खर्च होती है।
कंपनी प्रोडक्ट्स यूज अक्सर घरों में लोकल आइटम की भरमार होती है। यहां तक की सस्ते के चक्कर में लोग ट्यूब लाइट भी लोकल लगा लेते हैं, जिसका खामियाजा उन्हें बिजली बिल के रूप में भुगतना पड़ता है। लोकल प्रोडक्ट्स का बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें। इनमें बिजली ब्रांडेड प्रोडक्ट्स मुकाबले ज्यादा खर्च होती है। जब हम बिजली का बिल दे ही रहे हैं तो इसमें कंजूसी क्यों करें? सन लाइट का करें इस्तेमालअब ये आम बात हो गई है कि दिन में भी घरों में काफी लाइट का यूज होता है। घरों के खिड़की और दरवाजे बंद रहते हैं। उनमें अंदर से पर्दे लगे होने से घर में अंधेरा हो जाता है। अगर हम खिड़की के पर्दे हटाकर रहे तो पूरा घर सन लाइट की रोशनी में भर जाएगा। न तो ट्यूब लाइट की जरूरत पड़ेगी और न ही सीएफएल की। इस तरह से हम लोग काफी यूनिट बिजली सेव कर सकते हैं।
विभाग अखबारों के माध्यम से बिजली को सेव करने के कई तरह के विज्ञापन निकालता है। वहीं पब्लिक को भी अवेयर होने की काफी जरुरत है। अगर कोई बल्ब यूज करता है तो उसे तुरंत इसका यूज बंद कर देना चाहिए। अगर पूरी फैमिली कुछ दिन के लिए बाहर जा रही है तो घर के सारे सॉकेट्स निकाल दें। साथ ही मेन स्विच भी बंद कर दें। - विजय विश्वास पंत, पीवीवीएनएल मेरठ ख्ब् घंटे में ये इतना करते हैं ये खर्च इक्विप्मेंट यूनिट टीवी फ् फैन ख् ट्यूब लाइट ख् इनवर्टर क् कूलर फ् बल्ब फ् लैपटॉप ख् कंप्यूटर फ् म्यूजिक सिस्टम ब् क्0 इंडीकेटर्स ख् फैक्ट्स एंड फिगर- मेरठ में 7भ्0 मेगावाट बिजली की आवश्यकता।
- मेरठ को मिल पाती है 7ख्क्.ब्ख् मेगावाट बिजली। - मेरठ सिटी में कुल फ् लाख कनेक्शन। - एक साल में बढ़ गए भ्0 हजार कनेक्शन। - विभाग को मिलता है लगभग ब्0 करोड़ रुपए का रेवेन्यू। - रोज हर घर या दुकान में बेकार हो जाती है डेढ़ यूनिट बिजली। - सिटी में हो रहा रोजाना ब्.भ् लाख लाख यूनिट्स बिजली का मिसयूज। - महीने में हो जाती है क्.फ्भ् करोड़ यूनिट्स बिजली बेकार। - एक दिन में क्9.80 लाख रुपए की बिजली हो जाती है बर्बाद। - महीने के हिसाब से भ्.9ब् करोड़ रुपए की बिजली बेकार। - साल में 7क्.ख्8 करोड़ रुपए क बिजली बेकार चली जाती है।