नहीं बजा 'बाजा' तो बजा दिया बाजा
- संप्रेषण गृह में 12 घंटे जुवेनाइल ने की तोड़फोड़
-सीसीटीवी, स्क्रीन तोड़े, अधीक्षक की अलमारियां चटकाई -14 घंटे बाद हुए बातचीत को राजी, सभी 13 फरार जुवेनाइल पकड़े गए Meerut: साथी के बर्थ डे पर डीजे बजाने की मांग नहीं मानी तो निरुद्ध 61 जुबेनाइल ने राजकीय संप्रेषण गृह का बाजा बजा दिया। संप्रेक्षण गृह और बाल संरक्षण गृह में जुबेनाइल ने ऐसी तोड़फोड़ मचाई कि कुछ भी नहीं छोड़ा, यहां तक कि अपने केस की फाइल तक जला डाली। भूख-प्यास से अकुलाए जुवेनाइल करीब 14 घंटे बाद काबू में आए। डीएम, सीजेएम, एसएसपी समेत सभी अफसर इस दौरान उपद्रवियों को मनाने का नाकाम प्रयास करते रहे। शुरू किया तांडवसूरजकुंड स्थित राजकीय संप्रेषण गृह में निरुद्ध एक जुबेनाइल का बर्थडे था। फरमाइश आई कि डीजे का बंदोबस्त किया जाए। जिला प्रोवेशन विभाग ने साफ इनकार कर दिया तो निरुद्ध सभी 61 जुबेनाइल भड़क गए और करीब 11 बजे हंगामा और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इस बीच पुलिस-प्रशासन जुट गया तो सबके सामने ही दीवार तोड़कर जुबेनाइल ने बाल संरक्षण गृह में तांडव शुरू कर दिया। यहां अलमारियां तोड़कर रखा सामान, वाद्य यंत्र तोड़ दिए, संप्रेषण गृह और संरक्षण गृह में लगे 16 सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए, दो डिस्प्ले तोड़ दिए। प्रिंटर तोड़ दिए, बायोमैट्रिक मशीन तोड़ दी। पांच कम्प्यूटर उठा ले गए। छत पर चढ़कर उपद्रवियों ने पानी की टंकियां नीचे फेंक दीं, पाइप लाइन तोड़ दी।
कुछ नहीं छोड़ा अधीक्षक मिथलेश सिंह के कार्यालय में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की, अलमारियां के ताले चटका दिए, सामान उठा ले गए। बाल कल्याण समिति के दफ्तर में तोड़फोड़ की। संप्रेषण गृह के कार्यालय का ताला तोड़ दिया, अपनी कोर्ट फाइलें फाड़ दी, कुछ जला दीं। तख्त के पाए तोड़कर जमकर तोड़फोड़ की। राशन फेंक दिया। पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बना खड़ा रहा और उपद्रवियों के हाथ जो लगा उन्होंने उसे ध्वस्त किया। 14 घंटे की कवायद में पुलिस 14 इंच आगे नहीं बढ़ सकी। बस इंतजार था तो उनकी भूख का। डीएम-सीजेएम भी नाकाम -जिला प्रोवेशन अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह समझा ही रहे थे कि जुवेनाइल उग्र हो गए। -सोमवार रात्रि 11 बजे से शुरू हुए उपद्रव की जानकारी जिला प्रशासन को दी। -करीब साढ़े 12 बजे सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार पहुंचे और 1:30 बजे एडीएम सिटी एसके दुबे दलबल के साथ पहुंचे। -तीन थानों की पुलिस गेट पर थी किंतु कोई भी जुबेनाइल की घेराबंदी नहीं कर पा रहा था।-दीवार फांदकर कूद रहे 13 जुवेनाइल को पुलिस पकड़कर थाना नौचंदी ले गए।
-डीएम पंकज कुमार और एसएसपी डीसी दूबे रात्रि 3:30 बजे पहुंचे, गेट पर खड़े रहे। -सीजेएम संजय कुमार सिंह सुबह सात बजे पहुंचे, जुबेनाइल उनसे बात करने के लिए भी राजी नहीं हुए। -टंकी तोड़ दी सो एक बाल्टी पानी नहीं था, खाना भी नहीं मिला तो करीब 14 घंटे बाद जुबेनाइल को गुस्सा ठंडा हुआ। -बातचीत को राजी हुए, शांत रहने का भरोसा दिलाया तब जाकर कहीं प्रशासन को सांस में सांस आई। -डीपीओ ने संप्रेषण गृह परिसर में घुसकर जुबेनाइल से बातचीत की। करीब दो बजे स्थिति नियंत्रण में आई। जुबेनाइल का आरोप -उनकी तारीख जल्दी नहीं लगाई जाती। -उनके परिजनों से रिश्वत ली जाती है। पेशी के भी पैसे लगते हैं। -आटे और राशन में कीड़े निकलते हैं। उनके टीवी हटा लिए गए हैं। -उन्हें समय से खाना नहीं मिलता, मारपीट होती है। मनोरंजन के साधन नहीं है। -सर्दियों में गर्म पानी नहीं मिलता, हम पर निगरानी रखी जाती है। बॉक्स 1 आज होंगे पेशपलायन कर गए 13 जुबेनाइल जो फिलहाल थाना नौचंदी में हैं, को बुधवार को मेडिकल कराने के बाद किशोर न्याय बोर्ड में पेश किया जाएगा। 13 में से दस जुबेनाइल बागपत के हैं जबकि तीन मेरठ के हैं।
बॉक्स 2 आ रहे हैं डायरेक्टर मेरठ के संप्रेषण गृह में लगातार हो रहे पलायन पर शासन की नजर है। सोमवार रात्रि की घटना के बाद शासन के निर्देश पर महिला एवं बाल कल्याण विभाग के डायरेक्टर आरके श्रीवास्तव मेरठ आ रहे हैं। देर रात्रि वे संप्रेषण गृह पहुंचेंगे। तारीख देर से लगती है, पेशी का पैसा लिया जाता है, ऐसी कुछ शिकायतें जुबेनाइल ने की हैं। जांच की जा रही है, कम आवाज में चलाने के निर्देश के साथ टीवी लगवा दिया जाएगा। -पंकज यादव, डीएम, मेरठ --- जुबेनाइल साथी के बर्थडे पर डीजे की मांग कर रहे थे, ऐसा संभव नहीं था। जमकर तोड़फोड़ की है, अधीक्षक को तोड़फोड़ का ब्योरा बनाने के लिए कहा गया है। शासन को बता दिया है। -पुष्पेंद्र सिंह, डीपीओ, मेरठ जब मन चाहा भाग गए 14 फरवरी 2016- राजकीय संप्रेक्षण गृह से शनिवार को आधा दर्जन किशोर भाग निकले। 15 जनवरी-सूरजकुंड स्थित संप्रेक्षण गृह से गुरुवार दोपहर चार किशोर छत से कूदकर फरार हो गए। 4 जून-राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह (किशोर) से चार किशोर फिर फरार हो गए।14 दिसंबर 14- संप्रेषण गृह से दो जुबेनाइल फरार।
1 अक्टूबर 14- बाल संप्रेषण गृह से सुबह दो किशोर फरार हुए। हत्या भी कर चुके हैं 24 जुलाई 15 राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह (किशोर) में किशोरों ने नशीली वस्तु पर रोक लगाने से उत्तेजित होकर छत से पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसमें एक दीवान लहुलूहान हो गया है। 21 जुलाई 15 स्टाफ को बंधक बनाकर पिटाई की गई। पुलिस पर छत से पथराव किया गया। 12 दिसंबर 14 राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह के खूंखार किशोर बंदियों ने बुलंदशहर से पेशी पर ला रहे पुलिसकर्मियों पर हमला बोलकर सिपाही की पीट-पीट कर मार डाला। 1 सितंबर 14 बाल संप्रेषण गृह में किशोर हुए पूरी तरह अराजक, भीड़ पर पथराव करते हुए बाइकों में तोड़फोड़ की। 22 अगस्त 14 संप्रेषण गृह के किशोरों ने कई घंटों तक बवाल काट पुलिस को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। एसओ नौचंदी विनोद कुमार को बंधक बना लिया। 03 जून 14 किशोर गृह के किशोरों ने प्रदर्शन व नारेबाजी करते हुए भूख हड़ताल कर दी थी। 29 जनवरी 14 संप्रेषण गृह में किशोरों ने फर्नीचर तोड़कर गाजियाबाद पुलिस पर हमला बोल दिया, जिसमें सिपाही लहूलुहान हो गया था।