छह हजार बेडरोल गंदे हैं
-कैंट स्टेशन के वाशिंग लाइन में लांड्री तो बन गयी, लेकिन नहीं हो सका बिजली का कनेक्शन
-चार महीने से बिजली सप्लाई ठप होने से डेली गंदे हो रहे बेडशीट व पिलो कवर की नहीं हो रही धुलाईकैंट स्टेशन पर पैसेंजर को साफ कंबल, बेडशीट, पीलो कवर व तौलिया उपलब्ध कराने के लिए बने लॉड्री को बिजली कनेक्शन का इंतजार है। जबकि पिछले चार महीने से लांड्री बनकर तैयार है। जिसके चलते लांड्री में लगी मशीनें चल नहीं पा रही हैं। मशीन न चलने से 4000 चादर व दो हजार पीलो कवर की सफाई नहीं हो पायी है। इन्हें स्टोर में रखा गया है। अच्छा यह कि कोविड के चलते ट्रेंस के एसी कोच में पैसेंजर को बेडरोल देने पर रोक लगा है। वरना बेडरोल दूसरे शहर में ही धुलवाना पड़ता या किसी प्राइवेट वेंडर से ही सफाई करवाने की जरूरत पड़ती। बहरहाल लॉड्री में कब बिजली कनेक्शन जुड़ेगा यह बता पाना टेढ़ी खीर है। बावजूद इसके रनिंग स्टॉफ के लिए किसी तरह बेडशीट व पीलो कवर अरेंज किया जा रहा है।
गंदे बेडरोल की बढ़ रही संख्यापब्लिक की सुविधा के लिए रेलवे ने जून से ही ट्रेन का संचालन स्टार्ट कर दिया। तब से लेकर अब तक कोविड को देखते हुए पैसेंजर को बेडरोल देने पर रोक लगी हुई है। लेकिन ट्रेन के रनिंग स्टॉफ को डेली 150 से 200 बेडशीट व पीलो कवर दिया जाता है। उन्हें साफ बेडशीट व पीलो कवर तो किसी तरह एजेंसी उपलब्ध करा दे रहा है लेकिन जो गंदी चादर व तकिया का कवर वापस लॉड्री में आ रहा है, उनकी सफाई नहीं हो पा रही है। जिससे बैकलाग बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में 4000 बेडशीट व 2000 तकिया गंदा पड़ा हुआ है। इनकी सफाई का कोई इंतजाम नहीं है।
सितंबर में शिफ्ट हुई लॉड्रीबेडरोल की सफाई के लिए स्टेशन के यार्ड में सन् 2015 में लॉड्री बनाया गया था। जिसका नार्दन रेलवे के जीएम ने इनागरेशन किया था। इस बीच यार्ड की रिमॉडलिंग पर रेलवे मंत्रालय की मुहर लगने के बाद लॉड्री को कोचिंग डिपो में शिफ्ट करने का प्लॉन बनाया गया। सन् 2020 सितंबर में लॉड्री का नया पता कोचिंग डिपो हो गया। कोरोना के दौरान लॉड्री को किसी तरह नये स्थान पर शिफ्ट तो कर दिया गया। लेकिन उसको बिजली की सप्लाई नहीं दी गयी। जिससे लॉड्री में लगी मशीन नहीं चल पा रही है। ऐसे में कई महीनों से बंद मशीनों के खराब होने का खतरा है। सोर्सेस के मुताबिक लॉड्री में लगी कई मशीनों में टेक्निकल फॉल्ट भी आ चुका है। यदि इन्हें समय से नहीं बनवाया गया तो ये कंडम हो जाएंगी। बता दें कि लॉड्री में बेडरोल धुलाई का जिम्मा पटना की एजेंसी खगोल कोआपरेटिव सोसाइटी को सौंपा गया है।
24 घंटे में 12 हजार बेडशीट लॉड्री में लगी मशीनों से 24 घंटे में 12 हजार बेडशीट की वाशिंग होती है। इसके अलावा 4000 हजार पीलो कवर व 2000 फेस टावेल की धुलाई यहां डेली होती है। लेकिन बिजली की सप्लाई न होने से मशीनें बंद हैं। हालांकि इस समय ट्रेन में कंबल, बेडशीट, तकिया व तौलिया पैसेंजर को नहीं दी जा रही है। जिस दिन पैसेंजर को बेडरोल देने की शुरुआत हो जाएगी उस दिन इंतजाम भारी पड़ेगा। फिर दूसरे शहरों से ही बेडरोल मंगाना पड़ेगा। एजेंसी ने हटाए कर्मचारीलॉड्री में बेडरोल की धुलाई व सप्लाई का जिम्मा संभाले एजेंसी ने काम ठप होने पर अपने कर्मचारियों को हटा दिया है। एक समय एजेंसी ने लॉड्री के लिए 28 व रेलवे की ओर से 18 कर्मचारी तैनात होते थे। लेकिन कोरोना के चलते ठप रही लॉड्री व उसके नयी जगह शिफ्ट होने पर कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गयी है। एजेंसी की ओर से जहां तीन कर्मचारी इस समय तैनात हैं तो रेलवे की ओर से 10 कर्मचारी लॉड्री का काम देख रहे हैं।
कोरोना से पहले ट्रेन में डिमांड -बेडशीट 4565 -पीलो कवर 2265 -फेस टॉवेल 1400 -कंबल 3825 लॉड्री में लगी हैं इतनी मशीनें -वॉशर 05 -आयरनर 05 -ड्रायर 04 -बायलर 04 रेलवे के कर्मचारियों की संख्या -सीनियर सेक्शन इंजीनियर 01 -सीनियर टेक्निशियन 01 -टेक्निशियन थ्री 08 -मैकेनिकल 08 लॉड्री में कनेक्शन जोड़ने के लिए पत्र लिखा गया है। वहीं बिल्डिंग बनाने वाली एजेंसी को भी लॉड्री में बिजली सप्लाई के लिए कहा गया है। कनेक्शन न होने से बेडरोल की सफाई के लिए मशीनों का संचालन नहीं हो पा रहा है। टीएन सिंह, एसएसई चार महीने बाद भी लॉड्री को बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाया है। जिससे डेली गंदी हो रही बेडशीट व पीलो कवर की धुलाई में अड़चन आ रही है। एजेंसी के कर्मचारी मशीनों के चलने का इंतजार कर रहे हैं। मशीन के चलते ही एजेंसी कर्मचारियों को तैनात कर देगी। अमित पांडेय, इंचार्ज खगोल कोऑपरेटिव सोसाइटी