वाराणसी जनपद के 7 हजार शिक्षक चुनावी ड्यूटी पर कोविड की मार के बाद अब इलेक्शन पिछड़ रही बच्चों की पढ़ाई टीचर्स कर रहे ग्रामीणों को वोट डालने के लिए अवेयर 2.5 हजार से अधिक टीचर्स वैक्सीन मानिटरिंग में पहले से जुटे हैैं

वाराणसी (ब्यूरो)कोविड महामारी की मार से स्कूल-कॉलेज भी नहीं बच पाए थे। कोविड ओमिक्रॉन के संक्रमण के चलते यूपी भर के सभी परिषदीय और प्राइवेट स्कूल एक महीने से अधिक समय तक बंद रहे। कोविड की बंदिशों की वजह से कक्षा-1 से 8 वीं तक के स्कूली बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर नकरात्मक असर पड़ा। प्रदेश भर में दो चरणों में यानी पहले चरण में 7 फरवरी को कक्षा 9 से 12वीं तक और 14 फरवरी को नर्सरी से 8वीं तक के स्कूल खोल दिए गए। इससे बच्चों की पढ़ाई एक बार फिर अपने स्टडी मोड में आ गई। लेकिन, बच्चों को क्या पता है कि, महज कुछ ही दिनों में क्लास में अध्ययन और अध्यापन की धर कुंद हो जाएगी। इधर, जनपद भर के सात हजार परिषदीय टीचर्स की इलेक्शन में ड्यूटी लगने की वजह से एक बार फिर बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक गई है। इतना ही नहीं करीब दो हजार से अधिक टीचर पहले से ही कोविड वैक्सिनेशन में मॉनिटरिंग कर रहे हैैं.

सवाल सिलेबस का

कोविड पेंडेमिक में लंबे समय तक बंद रहेे स्कूलों के खुले हुए अधिक दिन नहीं हुए। इसी बीच यूपी विधानसभा इलेक्शन में 7वें फेज यानी 7 मार्च को बनारस में वोटिंग होनी है। इलेक्शन बूथों पर परिषदीय टीचर्स की ड्यूटी मतदान कर्मी के रूप में तैनात किया गया है। इसके लिए अभी से इलेक्शन की कार्य प्रणाली आदि की ट्रेनिंग के लिए टीचरों को आना-जाना लगा हुआ है। इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। साथ ही बड़ी तादात में टीचरों की चुनावी ड्यूटी से सिलेबस को मानक के अनुरूप पूरा होना अधर में लटकता दिख रहा है।

नजदीक है परीक्षा की घड़ी

परिषदीय स्कूल, प्राइवेट के साथ हाईस्कूल व इंटर तक के स्टूडेंट की प्रैक्टिकल, सेमेस्टर और बोर्ड एग्जाम में महज गिनती के दिन रह गए है। पहले तो सिलेबस पूरा नहीं हुआ और अब चुनावी ड्यूटी से पढ़ाई-लिखाई का बंटाधार होता दिख रहा है। ऐसे चुनौतिपूर्ण समय में लाखों स्टूडेंट को एग्जाम रिजल्ट प्रभावित होने का डर सता रहा है।

कैंपस में पहुंचते ही चहकने लगे थे बच्चे

स्कूल्स के ओपन होने की खुशी बच्चों के परैैंट्स को भी हुई। महीने भर से अधिक समय तक अपने फ्रेंड्स से दूर रहे बच्चे स्कूल ओपन होते ही घुलने मिलने लगे थे। इसी बीच अब चुनावी मसला। धीरे-धीरे कक्षाओं में स्टूडेंट्स की संख्या में इजाफा हो रहा था। करीब 60 फीसदी से अधिक स्टूडेंट स्कूल में पहुंचने लगे थे। ऐसे में टीचर्स यानी गुरुजी को ड्यूटी पर जाने से कक्षाएं प्रभावित हो रही हैैं। साथ ही इनकी संख्या भी घट रही हैै।

आंकड़ों पर एक नजर

वाराणसी में इलेक्शन ड्यूटी का विवरण

परिषदीय के टीचरों की संख्या (चुनावी ड्यूटी में)- 7000 टीचर

कोविड वैक्सिनेशन में टीचर्स की ड्यूटी-2500 टीचर

परिषदीय स्कूल-1343

प्राथमिक स्कूल-791

उच्च प्राथमिक स्कूल-133

कंपोजिट स्कूल- 220

प्राइवेट स्कूल- 170

इलेक्शन ड्यूटी में बसों की संख्या- 1600

30 से 40 फीसदी सेलेबस को गिनती के दिनों में कवर कराना है। ऑनलाइन क्लासेस के कई स्टूडेंट के डाउट्स को दूर करने की कोशिश की जा रही है। रही बात सरकारी स्कूल के बच्चों की तो प्रशासन को अदर ऑप्शन पर विचार करना चाहिए, ताकि इनकी शिक्षा अधर में नहीं लटके।

रचना श्रीवास्तव, डायरेक्टर, सिल्वर ग्रोव स्कूल

जो समय बचे हैैं, इनमें ही स्टूडेंट्स को स्मार्ट तरीके से सिलेबस कवर कराया जाएगा ताकि बोर्ड या सेशन एग्जाम में हाई माक्र्स ओब्टेन कर सकें। साथ ही प्रशासन को चाहिए कि इलेक्शन ड्यूटी में प्राइवेट टीचरों को भी लगाएं। इससे की परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन एकदम से बंद नहीं हो।

ललित सिंह, वाइडीएम कॉलेज

Posted By: Inextlive