सरकारी से ज्यादा प्राइवेट में मिल रहे आयुष्मान
-केन्द्र सरकार की योजना सरकारी अस्पतालों में ही फिसड्डी
-आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डेन कार्ड प्राप्त मरीजों की संख्या प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ज्यादा -क्या फ्री इलाज के लिए ठीक नहीं है सरकारी अस्पतालप्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्राजेक्ट में से एक आयुष्मान भारत योजना की हवा सरकारी अस्पतालों में निकल रही है। बनारस में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को इलाज के लिए सरकारी से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल रास आ रही है। योजना के तहत इलाज कराने वालों की संख्या जितनी सरकारी अस्पतालों में नहीं है, उससे कही ज्यादा प्राइवेट हॉस्पिटल्स में है। हैरानी की बात ये है कि बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल व ट्रामा सेंटर जैस बड़े अस्पताल को छोड़कर प्राइवेट हॉस्पिटल में जा रहे है। सबसे खराब फिगर मंडलीय व लाल बहादुर हॉस्पिटल का है। अब यहां मरीज खुद जा रहे है या ले जाए जा रहे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल तो जो दिख रहा है हम वहीं बता रहे है।
कही कोई खेल तो नहींसूत्रों की माने तो सरकार की ओर से पांच लाख रूपए का इलाज तो मुफ्त में मिल रहा है, लेकिन कही न कही इस मामले में कुछ खेल जरुर हो रहा है। वर्ना ऐसा न होता कि लोग सिटी से दूर जाकर हाइवे के करीब या अन्य दूर दराज क्षेत्र के प्राइवेट हॉस्पिटल में लोग इलाज कराएंगे। सही मायने जब इसकी जांच होगी तो कई पर्दे हट जाएंगे।
सवाल तो उठेंगे ही जानकारों की माने तो आयुष्मान भारत के मरीजों का प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने की एक वजह यह भी है कि सरकारी अस्पतालों में उन्हें वैसी व्यवस्था नहंी मिलती, जो प्राइवेट हॉस्पिटल में होती है। यहां जहां मरीजों को चिकित्सकीय व्यवस्था के साथ उनकी केयर भी की जाती है। वहंी सरकारी अस्पतालों में मरीजों का न तो ठीक से इलाज किया जाता है और न ही कोई व्यवस्था दी जाती है। लेकिन इन सब के बीच यदि किसी एक ही अस्पताल में आयुष्मान मरीजों की बड़ी संख्या मिले तो सवाल उठना तो लाजमी है। सभी राजकीय अस्पताल फिसड्डीएक तरफ जहां शासन शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट प्राइवेट जैसी व्यवस्था देने के लिए उन्हें ई-हॉस्पिटल के रूप में डेवलप कर रही है। लेकिन सरकार का यह प्रयास भी विफल हो रहा है। इन अस्पतालों में मरीज इलाज कराने के लिए नहंी जा रहे है। मंडलीय, डीडीय, लाल बहादुर शास्त्री एवं महिला चिकित्सालय तकमें मरीज इलाज कराने से परहेज कर रहे है। हालांकि सेंट्रल गवर्नमेंट के एसएस हॉस्पिटल व कैंसर हॉस्पिटल की हालत कुछ ठीक है।
अक्टूबर से अब तक कितने इलाज 394 टोटल मरीज सरकारी अस्पताल में 186 एसएस बीएचयू हॉस्पिटल 88 होमी भामा कैंसर हॉस्पिटल 50 ट्रामा सेंटर 30 डीडीयू हॉस्पिटल 21 मंडलीय हॉस्पिटल 12 महिला चिकित्सालय 07 लाल बहादुर हॉस्पिटल --- 631 मरीज कुल प्राइवेट हॉस्पिटल में प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीज 233 हेरिटेज हॉस्पिटल 50 विवेक हॉस्पिटल 36 इंद्रा हॉस्पिटल 31 शांति राम नेत्र सेंटर 20 अलाएंस हॉस्पिटल 22 अनंत हॉस्पिटल इसी प्रकार से 79 हॉस्पिटल में मरीजों को इलाज हुआ हुआ है। सरकारी अस्पतालों में तो मरीजों को फ्री इलाज की सुविधा मिल ही रही है। रही बात हेरिटेज की तो यहां सबसे पहले यह सुविधा शुरु की गई थी। इसलिए फीगर ज्यादा है। डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ