-एयर पॉल्यूशन लेवल बताने के लिए सिटी में लगेंगे 50 एयर सेंसर

-मोबाइल पर मिलेगी आपके आस-पास के एयर पॉल्यूशन की डिटेल

एयर पॉल्यूशन से जूझ रहे स्मार्ट सिटी वाराणसी की तस्वीर बदलने वाली है। 36 लाख आबादी वाले शहर का एयर पॉल्यूशन का लेवल बताने के लिए यहां अब 50 एयर सेंसर लगाने का प्लान है। सेंसर के माध्यम से आप इसकी स्थिति की जानकारी कभी भी अपने मोबाइल पर देख सकते हैं। इस व्यवस्था को लेकर काम शुरु हो गया है। अगले महीने से इसको लेकर सर्वे का काम शुरु हो जाएगा। सर्वे के बाद सेंसर को लगाया जाएगा।

वर्तमान में सिर्फ दो यंत्र

फिलहाल शहर में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देखरेख में एयर पॉल्यूशन का हाल बताने के लिए मात्र दो वायु प्रदूषण मापक यंत्र ही लगे हैं। इसमें एक अर्दली बाजार की गली में और दूसरा यंत्र छावनी परिषद ने नेहरू पार्क में लगवाया है। आबादी के हिसाब से यंत्र की संख्या न होने से हर एरिया के पॉल्यूशन लेवल की सही जानकारी नहीं मिल पाती।

एयर ओके टेक्नोलॉजी की डिवाइस

आईआईटी मद्रास के पर्यावरण एवं जल संसाधन इंजीनिय¨रग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एसएम शिवा नागेंद्र ने एयर ओके टेक्नोलाजी सिस्टम की मदद से ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो 24 घंटे आपके मोबाइल पर वायु प्रदूषण में पीएम 2.5, पीएम 10 और एनओ 2 का स्तर बताता रहेगा। इस रिसर्च को एक स्टार्टअप कंपनी मार्केट में ला रही है। कंपनी इस डिवाइस का इस्तेमाल कर शहर के लोगों को बताएगी कि उस स्थान पर अभी एयर पॉल्यूशन का लेवल क्या है। स्टार्टअप कंपनी पॉल्यूशन से घिरे रहने वाले शहर मुंबई, नोएडा, दिल्ली, कानपुर और लखनऊ समेत 70 शहरों में एयर सेंसर लगाएगी जिसमें स्मार्ट सिटी बनारस भी शामिल है।

सितंबर में सर्वे होगा शुरू

स्टार्ट अप के इंजीनियर सितंबर में नगर का सर्वे करेंगे और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से 50 सेंसर लगाएंगे। अधिकारियों की मानें तो सभी सेंसर इस तरह से लगाए जाएंगे कि ज्यादा से ज्यादा पॉपुलेशन कवर हो जाए।

डब्ल्यूएचओ जता चुका है चिंता

कुछ महीने पहलेडब्ल्यूएचओ ने वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित शहरों की सूची जारी की थी, जिसमें बनारस का पोजीशन सबसे खराब था। हालांकि इस दिशा में जिला प्रशासन ने कई कदम उठाए, फिर भी स्थिति में कोई खास सुधार नहंी आया।

एक साथ 50 सेंसर लगने से विभाग को रोड मैप बनाने में मदद मिलेगी। इससे विभाग को पॉल्यूशन की वजह की जानकारी के साथ यह पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में किस समय कितना पॉल्यूशन है।

डॉ। एससी शुक्ला, वैज्ञानिक उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

Posted By: Inextlive