पद्मश्री डॉ. लालजी सिंह नहीं रहे
-2011 से 2014 तक बीएचयू के वीसी पद की सं5ाली थी जि6मेदारी, सीसीएमबी हैदराबाद के थे डायरे1टर
-लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर हुआ हार्टअटैक, बीएचयू में इलाज के दौरान हुआ निधन VARANASI बीएचयू के पूर्व वीसी पद्मश्री डॉ। लालजी का रविवार की शाम निधन हो गया। हार्ट अटैक के बाद आनन-फानन में उन्हें बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान रात करीब 10 बजे उन्होंने अंतिम सांसें लीं। इसकी सूचना मिलते ही कार्यवाहक वीसी डॉ। नीरज त्रिपाठी सहित बीएचयू के अधिकारी वहां पहुंच गए। तीन दिन पहले आये थे गांवबीएचयू के पीआरओ डॉ। राजेश सिंह ने बताया कि जौनपुर के ब्लॉक सिकरारा कलवारी गांव निवासी डॉ। लालजी सिंह तीन दिन पहले अपने गांव आए थे। वह रविवार की शाम हैदराबाद जाने के लिए फ्लाइट पकड़ने बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे थे। उनकी फ्लाइट शाम साढ़े पांच बजे थी। इससे पहले ही करीब चार बजे उन्हें हृदयाघात हो गया। उन्हें उपचार के लिए बीएचयू अस्पताल लाया गया। जहां पर डॉ। धर्मेद्र जैन की देखरेख में इलाज चल रहा था। वह यहां पर 22 अगस्त 2011 से 22 अगस्त 2014 तक वीसी थे। उन्हें डीएनए फिंगर प्रिंट का जनक भी कहा जाता था। उनकी जिनोम नाम से कलवारी में ही एक संस्था है। इसमें रिसर्च का कार्य होता है। डॉ। लालजी सिंह वर्तमान में सीसीएमबी, हैदराबाद के डायरेक्टर भी थे। बताया जाता है कि तंदूर हत्याकांड को सुलझाने में उनका बहुत योगदान था।
डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक की थी पहचान डॉ। लालजी सिंह का जन्म पांच जुलाई 1947 को हुआ था। इंटरमीडिएट की शिक्षा लेने के बाद बीएचयू से उच्च शिक्षा प्राप्त किये। वर्ष 1971 में यहीं से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के लिए कोलकाता चले गए। जहां उन्होंने विज्ञान में 1974 तक फेलोशिप के तहत रिसर्च किया। इसके बाद अमेरिका चले गए। वापस आने के बाद सीसीएमबी हैदराबाद में निदेशक पद पर लंबे समय तक योगदान दिया। विभिन्न क्षेत्रों में देश सेवा में योगदान देने के साथ ही कई चर्चित राज खोला। यूं तो उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त हैं, लेकिन डीएनए के जरिए राजीव गांधी हत्याकांड, बेअंत सिंह, नैना साहनी व तंदूर हत्या कांड जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों का राजफाश किया। वन्य जीव संरक्षण, रेशम कीट, जीनोम विश्लेषण, मानव जीनोम एवं प्राचीन डीएनए अध्ययन आदि में महारथ हासिल था। गांव में ही जीनोम फाउंडेशन की स्थापना कर अब तक हजारों लोगों के रक्त का नमूना लेकर आनुवंशिकीय रोगों के इलाज में सहायता कर रहे थे।कई पुरस्कारों से सम्मानित
डॉ। लालजी सिंह की पहचान दुनिया में डीएनए फिंगर प्रिंट साइंटिस्ट के रूप में थी। डॉ। सिंह को पद्मश्री, पूर्वाचल रत्न, विज्ञान गौरव, फिक्की पुरस्कार, विदेशी अकादमियों में फेलोशिप, भारतीय एकेडमी आफ साइंसेज समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।