मंदिर पक्ष के एक पैरोकार विसेन ने कहा हमें विश्वास में लिए बिना कर दी कार्बन डेङ्क्षटग की मांग चार महिलाओं का मुकदमा अलग और राखी ङ्क्षसह का मुकदमा अलग कर लें

वाराणसी (ब्यूरो)ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में मंदिर पक्ष के वादियों का आपसी मतभेद अब खुलकर सतह पर आने लगा है। मुकदमे की पांच वादिनी महिलाओं में से एक राखी ङ्क्षसह के पैरोकार जितेंद्र ङ्क्षसह विसेन ने सोमवार को अन्य चार वादिनियों लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने साफ लिखा कि आपने हमें विश्वास में लिए बिना कोर्ट में शिवङ्क्षलग की कार्बन डेङ्क्षटग कराने की मांग उठा दी। इसके लिए पहले बात करनी चाहिए थी। पत्र में लिखा कि आप लोग संख्या में अधिक हैं, चार लोग हैं और हमारा पक्ष संख्या में कम। न्यायालय आपकी बात अवश्य मानेगा। अत: आप लोग न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देकर अपने मुकदमे को अलग करा लें। चार महिलाओं का मुकदमा अलग और राखी ङ्क्षसह का मुकदमा अलग हो जाए। इससे हम सभी स्वतंत्र रूप से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ पाएंगे.

एक और प्रार्थना पत्र दें

विसेन के इस पत्र में मंदिर पक्ष के वादियों की आपसी रार की स्पष्ट झलक है। पत्र में कहा गया है कि आप लोग न्यायालय में एक और प्रार्थना पत्र भी दें। मुकदमे की सुनवाई को लेकर जो बहस हुई थी, उस बहस के आधार पर न्यायालय ने शृंगार गौरी की सुनवाई का आदेश दिया। स्पष्ट करें कि यह आदेश किस बहस को स्वीकार करते हुए दिया गया है। क्या यह आप चारों की बहस को आधार मानकर दिया गया है, या फिर राखी ङ्क्षसह की ओर से जो बहस हुई थी, उसे आधार माना गया.

तालमेल का अभाव

बिसेन ने लिखा है कि आपसी मतभेद और एक-दूसरे से तालमेल के अभाव के कारण मुकदमे को लक्ष्य तक पहुंचाने में बाधा आ रही है। हमारा आपसी मतभेद संपूर्ण सनातन समाज की भावनाओं को आहत कर रहा है। आप लोगो ने शिवङ्क्षलग की आयु, आकृति और प्रकृति आदि के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कार्बन डेङ्क्षटग की मांग की। यह उचित नहीं है। यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी चलाने के समान है.

Posted By: Inextlive