Varanasi: सोमवार को जिनकी तबीयत कुछ नासाज थी उन्हें उसी हाल में दिन काटना पड़ा तो रविवार की छुट्टी के बाद जिन्होंने सोमवार को डॉक्टर को दिखाने की सोची थी उनकी यह सोच धरी रह गई. क्योंकि सोमवार को प्राइवेट डॉक्टर्स स्ट्राइक पर थे. शहर के तकरीबन सभी क्लीनिक्स नर्सिंग होम्स खुले नहीं. लगभग 1200 डॉक्टर्स ने सोमवार को पेशेंट्स नहीं देखे. हड़ताल डॉक्टर्स ने की और तकलीफ से पेशेंट्स कराहते रहे. हालांकि डॉक्टर्स ने इमरजेंसी सेवा को हड़ताल से दूर रखा था.


किया जबरदस्त protest


इंडियन मेडिकल काउंसिल (आईएमए) की ओर से अपनी मांगों को लेकर पूरे देश में प्राइवेट डॉक्टर्स एक दिन की हड़ताल पर थे। आईएमए की बनारस इकाई की ओर से भी इसे समर्थन दिया गया। डॉक्टर्स ने द नेशनल कमीशन ह्यूमन रिसोर्स फॉर हेल्थ (एनसीएचआरएच) बिल 2011 का जबरदस्त विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस कमीशन में एक भी डॉक्टर मेंबर नहीं है और इसकी ओर से डॉक्टर्स पर लिये गये एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। आईएमए के सेक्रेटरी डॉ। आलोक भारद्वाज ने बताया कि डॉक्टर्स को एक दायरे में बांध दिया गया तो उनके अधिकार सीमित हो जाएंगे और पेशेंट्स का इलाज नहीं कर पाएंगे। इसलिए हम इसका तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक इसे वापस नहीं ले लिया जाता। आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ। केसी गुप्ता ने बताया कि हम क्लीनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट थोपने का भी विरोध कर रहे हैं। इसका स्वरूप कुछ इस तरह का बनाया गया है कि इससे कोई भी डॉक्टर क्लीनिक व नर्सिंग होम नहीं खोल पाएगा। साथ ही इसके लागू होने पर मेडिकल सर्विसेज महंगी हो जाएंगी और पेशेंट्स को कई गुना अधिक पैसे चुकाने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम इसे लागू नहीं होने देंगे। साथ ही डॉक्टर्स ने एमसीआई को भंग करने की भी मांग की। लखनऊ के धरने में हुए शामिलसुबह आईएमए लखनऊ की ओर से दिये गये धरने में बनारस के लगभग 200 डॉक्टर्स शामिल रहे। अध्यक्षता आईएमए प्रेसिडेंट डॉ। केसी गुप्ता ने की। मांगों के बारे में आईएमए सेक्रेटरी डॉ। आलोक भारद्वाज ने बताय। इस मौके पर डॉ। आलोक ओझा, डॉ। अरविन्द सिंह, डॉ। विभा मिश्रा, डॉ। राहुल चंद्रा, डॉ। पीके तिवारी, डॉ। एमके गुप्ता, डॉ। अनिल ओहरी आदि मौजूद थे। आमिर के शो के बाद गवर्नमेंट हुई active आमिर खान के शो में डॉक्टर्स पर दिखाए गए एपिसोड के बाद से गवर्नमेंट और आईएमए के डॉक्टर्स दोनों में खलबली मची हुई है। गवर्नमेंट नये एनसीएचआरएच बिल के जरिए डॉक्टर्स की हर एक्टिविटी पर नजर रखने की तैयारी की है। तो क्लीनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट के जरिए क्लीनिक और नर्सिंग होम खोलने के नियम को भी सख्त करने जा रही है। आईएमए इन्हीं का विरोध कर रहा है। गवर्नमेंट हॉस्पिटल पहुंचे patients

वहीं दूसरी तरफ गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स पूरी तरह से गुलजार रहे। हड़ताल से बेअसर गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में रोज से ज्यादा पेशेंट्स पहुंचे। जेनरली जो नहीं भी गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स जाते हैं उन्हें भी सोमवार को इन्हीं हॉस्पिटल्स का सहारा लेना पड़ा। कबीरचौरा स्थित मंडलीय हॉस्पिटल में सोमवार को सुबह से ही पेशेंट्स की काफी भीड़ थी। आम दिनों में यहां 700 से 800 पेशेंट्स पहुंचते हैं जबकि सोमवार को यहां 1080 पेशेंट्स ओपीडी में अलग-अलग डॉक्टर्स को दिखाने पहुंचे।  "मैं अपने बेटी को हमेशा प्राइवेट डॉक्टर को दिखाती हंू लेकिन आज कोई भी प्राइवेट क्लीनिक नहीं खुली थी। उसकी तबीयत ज्यादा खराब है इसलिए मैं यहां मंडलीय हॉस्पिटल में आयी हंू।पूनम गुप्ता, छित्तनपुरा "मुझे सुई लगवानी थी। कई क्लीनिक्स में गया लेकिन सब बंद दिखीं। हड़ताल का पता ही नहीं था। कई लोगों से पूछने के बाद पता चला कि प्राइवेट डॉक्टर्स की हड़ताल है। इसलिए इतनी दूर मंडलीय हॉस्पिटल आना पड़ा।बबलू, जलालीपुरा

Posted By: Inextlive