ज्ञानवापी प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज ने शुरू की सुनवाई मुकदमे की पोषणीयता पर प्रतिवादी तो कमीशन की रिपोर्ट पर वादी का रहा जोर

वाराणसी (ब्यूरो)ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में दाखिल मुकदमे की जिला जज डॉ। अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में पहली सुनवाई सोमवार को हुई। मुकदमे की किस अपील पर पहले सुनवाई हो, इसके लिए वादी व प्रतिवादी पक्ष की ओर से जोरदार दलील दी गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति भी प्रस्तुत की गई। जिला जज ने मुकदमे की पत्रावली का अवलोकन करने के बाद किस अपील पर सुनवाई होगी इसके निर्धारण के लिए 24 मई की तिथि तय की है। वादी पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर की कमीशन रिपोर्ट की नकल मांगी है.

दो बजे से शुरू हुई सुनवाई

तय समय दोपहर दो बजे अदालत की कार्यवाही शुरू हुई। इस दौरान वादी, प्रतिवादी पक्ष के साथ प्रशासन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता मौजूद रहे। प्रतिवादी पक्ष के वकील अभयनाथ यादव और मुमताज अहमद ने अदालत से गुहार लगाई कि सबसे पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई की जाए। अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि प्राथमिकता के आधार पर मुकदमे की पोषणीयता पर पहले सुनवाई की जाए।

कमीशन पर करें सुनवाई

वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन व सुधीर त्रिपाठी ने आपत्ति करते हुए कमीशन रिपोर्ट पर पहले सुनवाई की अपील की। कहा कि इस मामले में एडवोकेट कमिश्नर की ओर से कमीशन रिपोर्ट दाखिल की गई है। तहखाने की दीवार हटा कर शेष स्थानों की भी कमीशन कार्यवाही के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। इसका अभी तक निस्तारण नहीं हुआ है। कमीशन रिपोर्ट पर आपत्ति के लिए 23 मई की तिथि तय है। इसलिए इसकी नकल उपलब्ध कराते हुए पहले इस ङ्क्षबदू पर ही सुनवाई की जाए। वादी पक्ष की यह भी दलील थी कि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई पहले करने का निर्देश नहीं दिया है, बल्कि सुझाव दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत की। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद जिला जज ने मुकदमे की पत्रावली का अवलोकन करने के बाद आदेश जारी करने की बात कहते हुए अगली सुनवाई की तिथि 24 मई तय की।

कमीशन रिपोर्ट की नकल

जिला जज की अदालत में वादी पक्ष की ओर से कहा गया कि कमीशन की कार्यवाही के समय फोटो लिए गए हैं और वीडियो भी बनाए गए हैं जो न्यायालय में सील पैक हैं। कमीशन रिपोर्ट के साथ ही इसके वीडियो और फोटो का अवलोकन किए बगैर आपत्ति करना और न करना दोनों ही स्थिति में न्याय संगत न होगा। इसलिए वादीगण को कमीशन रिपोर्ट के साथ दाखिल वीडियो और फोटो की नकल देने का आदेश दिया जाए।

पूजा का अधिकार मांगा

काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ। कुलपति तिवारी ने भी जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। उनका कहना है कि मस्जिद के तहखाने में बाबा विश्वेश्वरनाथ का शिवङ्क्षलग है। इनके पूजा-अर्चना, अराधना व स्चन, मंत्रोच्चारण, साफ-सफाई व भोग आदि का अधिकार उन्हें दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने मुकदमे में पक्षकार बनाने की मांग की है।

शिवरात्रि पर खोला मंदिर

प्रार्थना पत्र में उल्लेख किया है कि उनके पूर्वजों को अहिल्याबाई ने बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा-पाठ व सेवा इत्यादि करने का अधिकार दिया था। जब अहिल्याबाई ने बाबा विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया था उस समय 11 शास्त्री-आचार्यों द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पूजा की गई थी। रानी ने शिवरात्रि से इसका संकल्प किया और शिवरात्रि पर ही मंदिर खोला गया। इसमें उनके पूर्वज भी थे। उनके स्वजन उक्त परंपराओं को आज तक निभते आ रहे हैं। उनके पूर्वजों के कथनानुसार ज्ञानवापी धाम में माता पार्वती को ज्ञान देते समय कोई भी प्रवेश न करे इसलिए नंदी की स्थापना ज्ञानवापी धाम के तहखाने के बाहर किया गया था। बाबा भोले शंकर के शिवङ्क्षलग को विश्वेश्वरनाथ के रूप में भक्त जानने लगे और शिवङ्क्षलग की विश्वेश्वरनाथ के रूप में पूजा-अर्चना होने लगी।

अखिलेश-ओवैसी के खिलाफ अर्जी

ज्ञानवापी प्रकरण में वकील हरिशंकर पांडेय ने अपर मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट (पंचम) की अदालत में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, उनके भाई अकबरूद्दीन ओवैसी समेत सात नामजद और दो हजार अज्ञात के खिलाफ अर्जी दाखिल की है। इसमें उन्होंने कहा है कि इनकी ओर से ङ्क्षहदू जनभावना के खिलाफ लगातार अपमान जनक बयान दिये जा रहे हैं। इससे काशी के श्रद्धालु और समस्त भारत के लोग मर्माहत हैं। इनके खिलाफ कार्यवाही की जाए। उन्होंने 18 मई को अपर पुलिस आयुक्त से शिकायत किया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई थी। जिन सात लोगों का जिक्र अर्जी में है उनमें दारानगर के मौलाना अब्दुल वागी, मुफ्ती ए बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, सैयद मोहम्मद यासिन, लल्लापुरा के युसूफ खान भी शामिल हैं। इसके अलावा सभी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के सभी पदाधिकारीगण हैं.

जिला जज की अदालत में मुकदमे की कार्यवाही शुरू हो गई है। कोर्ट ने अभी यह तय नहीं किया है कि किस अपील पर पहले सुनवाई की जाए। हम चाहते हैं कि पहले एडवोकेट कमिश्नर के कमीशन की कार्यवाही पर सुनवाई हो। इसके लिए कोर्ट से अपील भी की है।

विष्णु जैन, वकील वादी पक्ष

मुकदमे में पहले पोषणीयता तय होनी चाहिए। इसके बाद ही आगे की कार्यवाही तय हो। सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष की बातों का अवलोकन करने के बाद ही प्राथमिकता के आधार पर इसे तय करने का जिला जज को आदेश दिया है। मुकदमा सुनवाई के योग्य है या नहीं यह तय होना जरूरी है.

अभयनाथ यादव, वकील प्रतिवादी पक्ष

Posted By: Inextlive