लाभार्थी परेशान कैसे मिलेगा आयुष्मान
-स्वास्थ्य कर्मियों तक को नहीं आयुष्मान की पूरी जानकारी
-प्राइवेट हॉस्पिटल में अब तक तैनात नहीं हुए आयुष्मान मित्र केस-1 महमूरगंज निवासी रीता जायसवाल ने बताया कि मेरी बेटी को पांच साल की उम्र से सांस फूलने की बीमारी है। कई साल से उसका इलाज चल रहा है। इलाज पर खर्च बढ़ता जा रहा है। जिसकी वजह से माली हालत बिगड़ गई है। सोचा कि चलो आयुष्मान से इलाज में कराने में राहत मिलेगी, लेकिन यहां तो किसी को कोई जानकारी ही नहीं है। केस-2 सारनाथ निवासी राजीव सक्सेना ने बताया कि उनके पिता पिछले पांच साल से हार्ट की समस्या से पीडि़त है। इलाज में लाखों रूपए खर्च हो चुके है। इस योजना से काफी उम्मीद पाले हुए है, लेकिन किसी भी अस्पताल में इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल रही। टोल फ्री नंबर तक नहीं मिल रहा।ये दो केस तो सिर्फ यह बताने के लिए है कि बेहद जोर शोर से गरीबों के लिए शुरु किए गए आयुष्मान भारत योजना शुरु होते ही डगमगाने लगा है। योजना के तहत बनारस के 09 प्राइवेट हॉस्पिटल चुने गए हैं.इसे लागू हुए भी एक सप्ताह से ज्यादा हो गया, लेकिन अधिकतर हॉस्पिटल में न तो आरोग्य केंद्र बने हैं, न आयुष्मान मित्र नियुक्त हुए हैं, जबकि योजना शुरू होने से पहले सभी अस्पतालों के संचालकों को इसके सभी नियमों की जानकारी दे दी गई थी। फिर भी यहां आने वाले लाभार्थियों को योजना से जुड़ी पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है। यही नहीं अस्पतालों में योजना से जुड़ी कही कोई सुविधा नजर नहीं आ रही है।
न केन्द्र न मित्र आयुष्मान भारत के लिए नियुक्त हुए प्राइवेट हॉस्पिटल्स में कुछ में आरोग्य केंद्र तो बना है, लेकिन आरोग्य मित्र नहीं तैनात किए गए है। जिसकी वजह से लाभार्थियों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही। वहीं कुछ ऐसे अस्पताल भी है जहां अभी योजना का ऐसा कोई बोर्ड तक नहीं लगाया गया है, जिससे लोगों को पता लग सके कि वहां उन्हे आयुष्मान का लाभ मिल भी पाएगा या नहीं। यही नहीं हॉस्पिटल में योजना के तहत न अलग केबिन बनाना भी जरुरी है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। इसके अलावा आरोग्य मित्र, कम्यूटर, फिंगर स्कैनर और वेब कैमरा जैसा कोई उपकरण भी नहीं उपलब्ध किया गया है। ज्यादातर अस्पतालों की दलील है कि कुछ ही दिनों में सारी व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी। जिम्मेदार नहीं जानते, किसका इलाज कहां होगायोजना के तहत 1350 बीमारियों का इलाज किया जाएगा, लेकिन कुछ स्वास्थ्य अफसरों को भी नहीं पता कि किस बीमारी का इलाज किस अस्पताल में होगा। इससे लाभार्थियों को इलाज करवाने के लिए परेशान होना तय है।
डुप्लीकेट कार्ड हो जाएगा तैयार बीमारियों के इलाज का पैकेज इस योजना में रखा गया है। योजना के गोल्डन कार्ड धारक जरूरत पड़ने पर देश के किसी भी स्थान पर अनुबंधित चिकित्सालयों में अपना मुफ्त इलाज करा सकेगा। गोल्डन कार्ड खोने की स्थिति या मौके पर नहीं होने पर बायोमैट्रिक मशीन से अंगूठा लगाकर कार्ड का डुप्लीकेट तैयार कर चिकित्सा सुविधा ली जा सकेगी। एक नजर 16 हॉस्पिटल शामिल है जिले के 07 सरकारी 09 प्राइवेट हॉस्पिटल 2,100174 लाभार्थियों को मिलेगा लाभ 05 लाख तक का होगा इलाज 15 प्राइवेट अस्पतालों से अनुबंध की प्रक्त्रिया चल रही है 95 चिकित्सालयों ने अनुबंध की सहमति दी है जो प्राइवेट हॉस्पिटल आयुष्मान मित्र तैनात नहीं करेंगे, उनकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। सभी सरकारी हॉस्पिटल में केन्द्र बनाने के साथ आयुष्मान मित्र तैनात किए जा चुके है। ताकि यहां लाभार्थियों को भटकना न पड़े। डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ