ज्ञानवापी तलगृह में पूजा के अधिकार पर हाई कोर्ट में दो घंटे चली सुनवाई मंदिर पक्ष ने कहा- जिला जज ने धारा 151 के तहत विवेकाधिकार का उपयोग किया उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह दी


वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तलगृह में पूजा का अधिकार देने वाले तत्कालीन जिला जज के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को दो घंटे सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ के समक्ष मस्जिद पक्ष ने तर्क रखा कि कि जिला जज ने बिना अर्जी पूजा का अधिकार दिया है, तो मंदिर पक्ष ने कहा कि आग्रह पर धारा 151 के तहत विवेकाधिकार से यह आदेश जिला जज ने दिया है। अर्जी मंजूर होने के बाद उसी पर बिना किसी अर्जी के दोबारा आदेश दिया जा सकता है, इसी कानूनी मुद्दे पर बुधवार सुबह 10 बजे से सुनवाई होगी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह भी दी है।

अर्जी की स्वीकार

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने अपील दाखिल कर डीएम को परिसर का रिसीवर नियुक्त करने संबंधी जिला जज के 17 जनवरी, 2024 के आदेश को भी चुनौती दी है। पूजा का अधिकार देने वाले 31 जनवरी, 2024 के आदेश की चुनौती अपील में भी संशोधन अर्जी दाखिल की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.

मस्जिद पक्ष की दलील

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता एसएफए नकवी व पुनीत गुप्ता ने तर्क दिया कि जिला जज ने वादी की अर्जी को जब 17 जनवरी को मंजूर कर डीएम को रिसीवर नियुक्त करने की मांग मान ली तो बिना किसी अर्जी के 31 जनवरी 2024 का आदेश कैसे पारित किया? इसे रद किया जाए। यह भी कहा कि वादी कभी भी पूजा नहीं करता था और यह कहना सही नहीं है कि 1993 में लोहे की बैरिकेङ्क्षडग के कारण पूजा करने से रोक दिया गया। प्रश्न यह भी उठा कि क्या परिसर मस्जिद पक्ष के कब्जे में था? हस्तक्षेप के लिए क्या मस्जिद पक्ष के कब्जे का कोई साक्ष्य है?

मंदिर पक्ष का जवाब

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि 17 जनवरी को अर्जी मंजूर करते हुए जिला जज ने पहली मांग पर डीएम को रिसीवर नियुक्त करने का निर्देश दिया है। डीएम ने 24 जनवरी को परिसर अपने कब्जे व सुरक्षा में ले लिया। इसके बाद यही अर्जी 25, 29 व 30 जनवरी को पेश हुई। मस्जिद पक्ष ने न तो वाद पर लिखित जवाब दिया है और न ही अर्जी पर कोई आपत्ति दी।

आदेश के पालन पर भी सवाल

मस्जिद पक्ष की तरफ से कहा गया कि उन्हें जिला जज के 31 जनवरी के आदेश की प्रति एक दिन पहले ही मिली है। ऐसे में डीएम को जिला जज का आदेश कैसे प्राप्त हो गया, जिसका पालन उन्होंने महज सात-आठ घंटे में कर दिया? मंदिर पक्ष ने कहा, अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद बैरिकेङ्क्षडग कर पूजा रोकी गई थी। उससे पहले यहां पूजा होती रही है। जिला जज को अधिकार है कि वह बिना किसी अर्जी के विवेकाधिकार से आदेश दे सकते हैं।

सर्वे की मांग पर आपत्ति

ज्ञानवापी के बंद तलगृहों का एएसआइ से सर्वे कराने की मांग के प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई हुई। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सर्वे की मांग पर आपत्ति की गई। अदालत ने सुनवाई के लिए 15 फरवरी की तारीख दी है.

Posted By: Inextlive