-बनारस आए जापानी दल ने माइक्रोबल टेक्नोलॉजी के जरिए नदी की सफाई को बताया बेहतर

-कई देशों में नदियों को साफ करने में हो चुका है प्रयोग सफल

VARANASI

गंगा की सफाई के लिए अब जापान भी गंभीर है। सरकार के साथ मिलकर आस्था की केन्द्र इस नदी से प्रदूषण को दूर करना चाहता है। इस सिलसिले में ही जापान का दल बनारस पहुंचा है। उसने नदी को साफ करने की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन भी किया। गंगा को साफ करने के लिए जापान ने लेटेस्ट माइक्रोबल टेक्नोलॉजी देने पर सहमति जताई है। इस टेक्नोलॉजी को प्रदूषण नियंत्रण के लिए मुफीद बताया गया है।

ट्रांसफर करेंगे टेक्नोलॉजी

गंगा की सफाई के लिए महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की संभावना तलाशने को इंडियन एसोसिएशन ऑफ जापान का डेलीगेशन बनारस आया है। डेलीगेशन के सदस्यों ने बीएचयू के एक्सप‌र्ट्स की टीम के साथ टेक्नोलॉजी पर चर्चा भी की।

जापान के नदी विज्ञानी ताकेओ टी के मुताबिक उनकी टीम ने माइक्रोबल तकनीक विकसित की है जिससे नदियों को असानी से साफ किया जा सकता है। इसके लिए जेनरेटर से पानी में माइक्रोबबल बनाए जाते हैं। ये माइक्रोबल अपने साथ पानी में घुले तत्वों को ऊपरी सतह पर ले आते हैं। बाद में इसे बाहर निकाल लिया जाता है। इस टेक्नोलॉजी की बदौलत क्योटो शहर की वोल्गा नदी को पूरी तरह साफ किया जा चुका है। अमेरिका, चीन और कोरिया में भी इसका सफल प्रयोग हो रहा है। दावा किया कि इस तकनीक से नदी-तालाब ही नहीं, समुद्र के पानी को भी पीने के लायक बनाया जा सकता है। नदी विज्ञानी और गंगा बेसिन अथॉरिटी के मेंबर प्रो। बी.डी। त्रिपाठी ने जापानी तकनीक को पर्यावरण के अनुकूल बताया है। पवित्र गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए माइक्रोबल टेक्नोलॉजी के अलावा जैविक मिश्रण के उपयोग की सलाह दी गयी है। यह अजैविक पदाथरें को समाप्त करता है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ जापान का बीएचयू के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर समझौता भी हो चुका है।

Posted By: Inextlive