एनजीटी ने डीएम वाराणसी से मांगी अवैध बालू खनन की रिपोर्ट मामले में जस्टिस ब्रजेश से_ी की बेंच के समक्ष सुनवाई शुरू

वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी में घाट उस पार गंगा नदी में 12 करोड़ से बनाए गए नहर के ढहने के बाद पूरा प्रोजेक्ट अवैध खनन का अडडा बन चुका है। मामले में अब वाराणसी डीएम से रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। नियम विरुद्ध अवैध बालू खनन को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वाराणसी के डीएम को सभी आवश्यक दस्तावेज व बालू खनन की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। प्रधान पीठ, राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली की कोर्ट में दो सदस्यीय पीठ न्यायमूर्ति ब्रजेश सेठ्ठी तथा अन्य सदस्य पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ। अफरोज अहमद के समक्ष वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए दायर याचिका अवधेश दीक्षित बनाम भारत सरकार मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरभ तिवारी की ओर से एनजीटी के समक्ष पक्ष रखा गया.

प्रशासन की भूमिका संदिग्ध

अधिवक्ता, सौरभ तिवारी की ओर से पेश की गई दलीलों से एनजीटी संतुष्ट नजर आई। दलील में अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने पीठ को बताया कि स्थानीय प्रशासन की भूमिका पूरे मामले में संदिग्ध है, जिसकी वजह से हजारों ट्रैक्टर बालू का रोज उठान पर्यावरण के नियमों को ताख पर रखकर किया गया तथा गंगा के तट तथा पारिस्थितिकी को भयंकर नुकसान पहुंचाया गया है।

रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ब्रजेश सेठ्ठी ने इन तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए अधिवक्ता सौरभ तिवारी को बताया कि वाराणसी डीएम से मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है। वही, इस मामले को लेकर अगली सुनवाई सुनिश्चित करते हुए तारीख तय की जाएगी।

नियम विरूद्ध बनी नहर

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ। अवधेश दीक्षित की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि पिछले वर्ष बरसात के पहले गंगा नदी में लगभग 12 करोड़ की लागत से नहर की खोदाई पर्यावरणीय नियम कानूनों के विरुद्ध की गई। इसके बाद गंगा पार नहर निर्माण से निकली बालू को निकालने के लिए 1 जून 2021 को टेंडर निकाला गया, लेकिन गंगा नदी में आई बाढ़ के बाद गंगा में न तो नहर बची और न ही नहर खुदाई से निकला बालू। इसके बावजूद डीएम के आदेश की आड़ में बगैर अनुमति पत्र के खनन का काम शुरू कर दिया गया।

नहर में बह गए 12 करोड़ रुपए

गंगा पार अवैध रुप से बनाए गए नहर में लगभग 12 करोड़ की राशि फूंकी गई थी। नहर बनाने के समय स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था, इसके बावजूद नहर का निर्माण करा दिया गया, लेकिन बरसात के मौसम में बह चुकी नहर जो कि अस्तित्वहीन हो चुकी है, उसके ड्रेज्ड मैटेरियल के उठान के नाम पर नदी के पर्यावरण से छेड़छाड़ करते हुए बालू उठान के नाम पर भयंकर लूट और भ्रष्टाचार किया गया।

बीत चुकी थी टेंडर की तय अवधि

गंगा पार से नहर में बालू उठाव के लिए डीएम की ओर से टेंडर की स्वयं निर्धारित अवधि बीत चुकी थी। इसके बाद भी एक फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाते हुए विगत माह में बालू उठाव की अनुमति जारी की गई। यह सभी कृत्य बड़ी अनियमितता, मनमानेपन और भ्रष्टाचार का प्रमाण है। अवधेश दीक्षित ने बताया कि हजारों ट्रैक्टर गंगा बालू का खनन रोज होता रहा व गंगा नदी की तलहटी खोद दी गयी। स्थिति तो ये रहा की खनन विभाग के पास खनन का आकलन ही नहीं है.

Posted By: Inextlive