गंगा को निर्मल करने के लिए 'भागीरथÓ प्रोजेक्ट
वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस को धर्म और अध्यात्म की राजधानी के साथ ही पतित पावनी मां गंगा की धरा कहा जाता है, जहां पर गंगा हर वक्त अपने मंद मुस्कान वाले स्वरों के साथ कलरव करती है। गंगा की अविरलता और निर्मलता को बरकरार रखने के लिए भगवानपुर में 55 एमएलडी की क्षमता वाले एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का शिलान्यास निर्माण किया जाएगा। इसका शुभारंभ शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे.
एक साल में पूरा करने का लक्ष्यभगवानपुर एसटीपी को पूरा करने की जिम्मेदारी नमामि गंगे योजना के तहत गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई जल निगम ग्रामीण को दी गई है। इसके लिए प्रशासन से प्रस्ताव पास करते हुए विभाग को भेज दिया गया है। विभाग ने भी इस प्रोजेक्ट के कार्य के लिए भगवानपुर में जमीन का चिन्हाकन करते हुए पूरी तरीके से रोडमैप को तैयार कर लिया है। बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने के लिए इंजीनियरों की मदद से इसी नवरात्रि में कार्य को शुरू करा दिया जाएगा.
रामनगर-लोहता को भी करेगा कमांडशहर में अमूमन रोजाना 300 एमएलडी सीवेज निकलता है। इसमें से शहर के अंदर पूर्व से संचालित 7 एमएलडी के माध्यम से 200 एमएलडी को संशोधित कर लिया जाता था। इसके बाद भी गंगा के अंदर 100 एमएलडी सीवेज सीधे जाता था, जोकि गंगा को प्रदूषित करता था। उसी समस्या को ध्यान में रखते हुए गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से रामनगर में 40 एमएलडी तो लोहता में 25 एमएलडी की क्षमता वाले एसटीपी को बनाया जा रहा है जोकि अगले माह से कार्य करना शुरू कर देंगे। भगवानपुर के एसटीपी की क्षमता को 55 एमएलडी रखा गया है और रामनगर और लोहता के एसटीपी को कमांड सेक्टर आफिस बनाया गया है। इसकी मदद से ही तीनों को कंट्रोल करते हुए एक साथ कार्य को करवाया जायेगा.
18 नालों के सीवेज को करेगा संशोधित भगवानपुर में बनने जा रहे एसटीपी प्लांट की क्षमता को प्रशासन के द्वारा 55 एमएलडी निर्धारित किया गया है। इस बारे में परियोजना अधिकारी का कहना है कि इस प्लांट की मदद से चेन सिस्टम को बनाते हुए शहर के 18 नालों को एक-दूसरे से जोड़ते हुए भगवानपुर एसटीपी तक लाया जाएगा। इसमें सभी नालों को एक रूप में लाते हुए दो बड़े नालों की शक्ल देते हुए भगवानपुर लोकेशन लाते हुए इनको संशोधित किया जायेगा, जिससे गंगा को प्रदूषण मुक्त होने में मदद मिल सके. बदल जाता गंगा का रंगशहर की आबादी को ध्यान में रखते हुए यहां पर भारी मात्रा में नालों के द्वारा सीवर निकलता है। इन्हीं सीवर के पानी के कारण गंगा का रंग बदल जाता है। गंदे नालों के पानी जब भूमिगत जल में मिल जाते हैं तो पानी को पूरी तरीके से प्रदूषित कर देते हंै जोकि पीने योग्य नहीं रह जाता है और लोगो को बीमार कर देता है.
एसटीपी की संख्या हो जाएगी 10 -रामनगर-40 एमएलडी -लोहता-25 एमएलडी -नगवा-50 एमएलडी -दीनापुर-80 एमएलडी -रमना-50 एमएलडी -बरेका-12 एमएलडी -दीपापुर-140 एमएलडी -गोईठहा-120 एमएलडी -भगवानपुर-8 एमएलडी -भगवानपुर प्रस्तावित- 55 एमएलडी भगवानपुर में बनने जा रहे नए एसटीपी के माध्यम से गंगा में जाने वाले 55 एमएलडी सीवेज को संशोधित किया जा सकेगा। इसकी मदद से गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए काफी हद तक सहायता मिलेगी. आशीष सिंह, परियोजना प्रबंधक, गंगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल निगम ग्रामीण