मोबाइल की लत से गर्दन के साथ आंखों में बढ़ रही समस्या अस्पतालों में बढ़ रहे मरीज

वाराणसी (ब्यूरो)डिजिटल युग में आज हर किसी के हाथ में मोबाइल आ चुका है। ज्यादातर लोग अपना मैक्सिमम टाइम मोबाइल पर ही स्पेंड कर रहे हैं। वर्किंग हो या नॉन वर्किंग सभी लोग मोबाइल में ही अपनी दुनिया ढूढ़ रहे हैं। लेकिन अगर इसके फायदे हैं तो सेहत के लिए कई साइड इफेक्ट भी हैं। जो अब लगातार बढ़ भी रहे हैं। गलत तरीके से मोबाइल इस्तेमाल न सिर्फ लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचा रहा, बल्कि सर और गर्दन को भी मुश्किल में डाल रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि डॉक्टर्स की स्टडी में बात सामने आई है। अस्पतालों में ऐसे केस बढ़ रहे हैं। मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले पेशेंट्स की गर्दन का लचीलापन कम पाया गया है। यही नहीं इसकी वजह से लोगों आज भौतिक चिकित्सा के क्षेत्र मसल्स की जकडऩ की मांसपेशियां भी टाइट हो जा रही हैं, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ जा रहीं हैं।

गर्दन का लचीलापन हो रहा कम

डॉक्टर्स को मानें तो गर्दन का लचीलापन कम होने से गर्दन की हड्डी पर एक्स्ट्रा दबाव बना रहेगा जो आगे चलकर सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, सर्वाइकल रेडीकुलोपैथी (जिसमें गर्दन से लेकर हाथ के निचले हिस्से अन्य पंजे तक दर्द जाता है) सर्वाइको जैनिक हैडेक, गर्दन के हड्डी के बीच में डिस्क का दबना जैसी प्रॉब्लम खड़ी कर सकता है। इससे आगे चलकर हाथ को हाथ में खून का दौरा कम हो जाता है और हाथ में ताकत कम लगती.

गर्दन झुकाने पर एक्स्ट्रा भार

फिजियोथेरेपिस्ट का कहना है कि हमारे सिर का भार 4 से 5 किलोग्राम होता है। जैसे-जैसे हम गर्दन को आगे की तरफ झुकाते हैं। वैसे-वैसे हमारे गर्दन पर पडऩे वाला भार बढ़ जाता है। इससे गर्दन की हड्डी और मांसपेशियों पर अतिरिक्त भार पडऩा शुरू हो जाता है। यह भार अलग-अलग होता है, जैसे सिर एकदम सीधा रखे हैं तो आपके गर्दन पर 4 किलो का भार पड़ेगा। यदि गर्दन को और आगे झुकाते हैं और लगभग 15 डिग्री तक ले जाते हैं तो इस पर 12 किलो का भार पड़ेगा और आगे झुकाने पर 30 डिग्री के लगभग आपके शरीर पर 17 किलोग्राम का भार पड़ेगा, 45 डिग्री झुकाने पर 22 किलोग्राम का भार पड़ेगा, 60 डिग्री झुकाने पर 27 किलोग्राम का भार पड़ेगा और अधिकतर लोग 60 झुका कर बर्साइटिस हो मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। जिससे उनको आगे चलकर दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

इसके लिए फायदेमंद है फिजियोथेरेपी

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी व डाउन सिंड्रोम संतुलन विकार जैसी अनेक स्थितियों में कारगर हो सकती है। फिजियोथेरेपी दर्द को कम करने के साथ-साथ तनाव को भी दूर करने में मदद करती है। फिजियोथेरेपिस्ट लोगों के शारीरिक गतिविधियों, कार्य क्षमता को विकसित करने, उसे बनाए रखने वाली सेवाएं प्रदान करते हैं। साथ ही किसी भी तरह की चोट व शारीरिक अक्षमता में सुधार लाने में मदद करते हैं। वे तीव्र दर्द, चोट और पुरानी बीमारी से निजात दिलाकर शारीरिक गतिविधि में सुधार लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी टेक्निक है, जिससे क्रिटिकल बीमारियों का इलाज आसानी से बिना मेडिसिन व बिना सर्जरी के अत्याधुनिक मशीनों व मैनुअल थेरेपी की मदद से किया जाता है। फिजियोथेरेपी का फायदा हर उम्र के लोग उठा सकते हैं.

इन सब में लेते हैं फिजियोथेरेपी

-ऑस्टियोआर्थराइटिस

-घुटने, कोहनी का दर्द

-पीठ दर्द

-गर्दन का दर्द

-मासपेशियों में खिंचाव

-गुइलेन-बैरे सिंड्रोम अस्थमा

-फाइब्रोमायल्गिया

-पैरालिसिस

इस तरह से करें बचाव

गर्दन को बहुत ज्यादा आगे झुकाकर मोबाइल का इस्तेमाल न करें। देर तक गर्दन को एक ही पोजिशन में न रखें। यदि आप लंबे समय तक लैपटॉप पर कुछ पढ़ रहे हंै या कोई काम कर रहे हैं तो बीच-बीच में गर्दन को ऊपर नीचे दाएं-बाएं घुमाएं। रोजाना गर्दन की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें.

मंडलीय अस्पताल में डेली 8 से 10 मरीज इस तरह की समस्या को लेकर आते हैं। इन लोगों का फिजियोथेरेपी के माध्यम से इलाज किया जाता है। फिजियोथेरेपी का फायदा बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी उम्र के लोग उठा सकते हैं.

डॉअभिषेक कुमार, आर्थोपेडिक्स

Posted By: Inextlive