वाराणसी का नया खाका खींचने में जुटी कमिश्नरेट पुलिस शासनादेश आते ही तहसीलों के अधिकार घट जाएंगे

वाराणसी (ब्यूरो)सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस कमिश्नर सिस्टम का दायरा बढ़ाकर पूरे जिले में लागू कर दिया है। इसकी जानकारी होते ही पुलिस कमिश्नर ने ग्रामीण क्षेत्र में नई व्यवस्था को लेकर खाका खींच लिया है। शासनादेश आते ही इसे इंप्लीमेंट कर दिया जाएगा। कमिश्नर सिस्टम लागू करने के पीछे तर्क दिया जा रहा कि शहर की तरह अब ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट पुलिसिंग के साथ कानून व्यवस्था सुदृढ़ होगी। भूमाफिया के साथ ही जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर आपराधिक समेत अन्य तरह के संगठित अपराध पर लगाम लगेगी। गिरोह बनाकर अपराध करने वालों पर शिकंजा कसेगा। शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई होगी। स्मार्ट पुलिसिंग वर्क से लोगों को शीघ्र न्याय भी मिलेगा। कुल मिलाकर पुलिस के अधिकार बढ़ जाएंगे, लेकिन इस व्यवस्था से प्रशासनिक व्यवस्था पर असर पड़ेगा। डीएम और तीनों तहसीलों के अधिकार घट जाएंगे। एसडीएम स्तर की कार्यवाही अब एसीपी स्तर से होंगी.

ग्रामीणों को होगा लाभ

आजादी से पहले अंग्रेजों के दौर में कमिश्नर प्रणाली लागू थी। इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया। इस वक्त यह व्यवस्था देश के 72 से अधिक महानगरों में लागू है। भारतीय पुलिस अधिनियम, 1861 के भाग 4 के तहत जिला अधिकारी के पास पुलिस पर नियंत्रण करने के कुछ अधिकार होते हैं। इसमें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को कानून और व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ शक्तियां देती है। पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह बता रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में भी इस व्यवस्था से लोगों का समय बचेगा। दफ्तरों के चक्कर कम हो जाएंगे। अभी तक कई ऐसी अनुमतियां होती थीं जिनके लिए लोगों को पुलिस, राजस्व अधिकारियों के पास अलग-अलग जाना पड़ता था। पुलिस कमिश्नर सिस्टम से कई व्यवस्था एक जगह हो जाएंगी, जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी.

ग्रामीणों को पुलिस कोर्ट में आना पड़ेगा

शहर के बाद ग्रामीण इलाकों में धारा-151 और 107/16 के तहत पाबंद किए जाने की कार्रवाई पुलिस कोर्ट में होगी। इसमें पुलिस के कानून-व्यवस्था संबंधित मिले अधिकारों को अनुपालन कराने के लिए निर्णय होगा। बाकी अन्य आपराधिक मामलों के लिए न्यायिक न्यायालय ही सुनवाई करेगी। ग्रामीण क्षेत्र में अब तक गैंगस्टर, गुंडा एक्ट में जिला बदर की कार्रवाई डीएम स्तर से होती थी। अब ये अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होंगे। अब संपूर्ण जिले में धारा 144 लागू करने का अधिकार भी सीपी के पास रहेगा। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीआरपीसी की धारा 141, 143, 148, 149, 150, 133 की कार्यवाही भी एसडीएम के बजाय पुलिस अधिकारी करेंगे। दंगे जैसी स्थिति में लाठीचार्ज या फायरिंग करने के लिए कलेक्टर या एसडीएम से अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी।

151 की कार्रवाई

पुरानी व्यवस्था : मजिस्ट्रेट अपने स्तर से कार्रवाई कर अधिकतर मामलों में तत्काल जमानत देते हैं.

नई व्यवस्था : मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस कमिश्नर को दिए गए अधिकार के तहत कार्रवाई होगी.

गुंडा एक्ट

पुरानी व्यवस्था : ऐसे मामलों में लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है.

नई व्यवस्था : इस तरह के मामलों को निपटाने में तेजी आएगी.

107-116 की कार्रवाई

पुरानी व्यवस्था : यह सिर्फ रस्म अदायगी बनकर रह गई थी। इसके तहत पाबंद किए गए लोग यदि दूसरी घटना में शामिल होते थे तो कोई कार्रवाई नहीं होती थी.

नई व्यवस्था : अब पुलिस सीधे तौर पर निर्धारित पाबंदियों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए अपने स्तर से ही निर्णय ले सकेगी। कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी.

कमिश्नरेट होने के फायदे

-शहरी क्षेत्र में 26 मार्च 2021 को पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने से संगठित अपराध करने वाले गिरोहों पर बड़ी कार्रवाई हुई है।

-भूमाफिया और अंतरप्रांतीय गिरोहों पर शिकंजा कसा।

-धन दोगुना की स्कीम चलाकर ठगी करने वाले गिरोह पर कार्रवाई से ऐसी गतिविधियां रुकी.

-पुलिस कोर्ट खुलने से 99 अपराधियों पर गुंडा एक्ट लगा.

-गैंगस्टर एक्ट में 23 केस हुए, जिनमें 17 धोखाधड़ी या ठगी करने वाले गिरोह हैं।

-12 आरोपितों की 32.15 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई.

-कई सूदखोरों की पहचान कर जेल भेजा गया। इनके चंगुल व भय से लोगों को मुक्त कराया गया.

ग्रामीण क्षेत्र में लागू होने वाली नई व्यवस्था तैयार है। शासनादेश आते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र में अभी पुरानी व्यवस्था ही चल रही है। कमिश्नरेट का दायरा बढऩे से जिम्मेदारियां भी बढ़ेंगी.

संतोष कुमार सिंह, एडिशनल पुलिस कमिश्नर

Posted By: Inextlive