संबंधित विभागों को फोटो कॉपी भेज मांगी गई है पूरी जानकारी हाईस्कूल व जन्म प्रमाण पत्रों के फर्जी होने की आई हैं शिकायतें ऑनलाइन जांच में इनके संबंध में नहीं मिल रही कोई जानकारी

वाराणसी (ब्यूरो)कोरोना का प्रोटोकाल खत्म होने के बाद विदेशों में नौकरी की भरमार है। ऐसी स्थिति में पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन विदेश मंत्रालय की सख्ती के बाद आवेदन करने वाले दो हजार आवेदकों के दस्तावेज शक के दायरे में आ गए हैं। इनके दस्तावेजों पर जांच बैठा दी गई है। पासपोर्ट कार्यालय ने संबंधित विभागों को इनकी फोटो कॉपी भेजकर जानकारी मांगी है। जब तक इन प्रमाण पत्रों को जारी करने वाले विभागों से जबाव नहीं आ जाता, तब तक आवेदकों की फाइल रोक दी गई है। अधिकतर दस्तावेज स्कूल और जन्म से संबंधित हैं.

800 आवेदकों के फॉर्म

वाराणसी पासपोर्ट कार्यालय से 10 जिलों के लोगों के पासपोर्ट बनाए जाते हैं। यहां रोजाना 800 आवेदकों के फॉर्म जमा किए जाते हैं। इन 10 जिलों में ऐसे लोग भी हैं जो दूसरे राज्यों से आकर यहां बस गए हैं या फिर नौकरी करते हैं। बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं। इनमें आवेदकों की ओर से लगाए गए दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन नहीं हो पा रहा है। यह सभी दस्तावेज शक के दायरे में हैं। पिछले दो महीने में ऐसे करीब डेढ़ हजार आवेदकों के दस्तावेजों की फोटो कॉपी जारी करने वाले विभागों को जांच के लिए भेजी जा चुकी है.

जांच होती मुश्किल

यह दस्तावेज बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों से जारी किए गए हैं। खास बात यह है कि इन आवेदकों ने उन दस्तावेजों के जरिए यहां के पतों के आधार और प्रमाण पत्र बनवाए हैं। उत्तर पूर्व के राज्यों में जन्म लेने वाले और हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने वाले आवेदकों के साथ सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इन राज्यों के दस्तावेजों का डाटा ऑनलाइन नहीं है। इस कारण इनकी जांच नहीं हो पाती। आवेदक अपना आधार कार्ड, वोटर आईकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या फिर बैंक पासबुक फार्म के साथ लगा देते हैं। जिन दस्तावेजों के आधार पर ये दस्तावेज बनाए गए हैं, उनकी सत्यता की जांच होना मुश्किल हो जाता है.

पहले का डाटा नहीं

यूपी बोर्ड में 2007 से पहले का डाटा ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है। वहीं सीबीएसई में 2004 से पहले जारी दस्तावेज की जांच करना मुश्किल है। इससे पहले जारी दस्तावेज में बोर्ड के गलत नाम के साथ गलत अक्षर, गलत मुहर आदि की खामी के कारण उनपर शक होता है। 2003 से पहले का बिहार बोर्ड का ऑनलाइन डाटा उपलब्ध नहीं है।

तो होगी फाइल बंद

अधिकारियों को माने तो बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच भेजी जा रही है। डेढ़ हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनकी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हो पाई है। संबंधित विभाग यह लिखकर भेजते हैं कि दस्तावेज की जानकारी उपलब्ध नहीं है तो फाइल को बंद माना जाएगा.

डाकघर के आवेदन

डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र पर केवल आवेदकों के आवेदन जमा किए जाते हैं। इन सभी की जांच पासपोर्ट विभाग में आने के बाद की जाती है। अधिकतर दस्तावेज पर शक डाकघर में जमा आवेदकों की आवेदनों पर हैं.

जन्म प्रमाण पत्र में खेल

जन्म प्रमाण नगर पालिका और नगर पंचायतों से जारी होते हैं। ऐसे में दूर-दराज के जिलों के लोग सुविधा अनुसार जन्मतिथि का प्रमाण पत्र बनवा लेते हैं। जन्म प्रमाण पत्र का अधिकतर जिलों और प्रदेश में ऑनलाइन डाटा उपलब्ध नहीं है। जांच में उसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता। ऐसे में यदि नया पासपोर्ट है तो उस फाइल को बंद कर दिया जाता है। यदि नवीनीकरण का मामला है तो एक बार जिस जन्म तिथि से पासपोर्ट जारी हो गया उसी से नवीनीकरण होगा.

विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट आवेदन फॉर्म के साथ लगे दस्तावेजों की कड़ाई से जांच करने के आदेश दिए हैं। जिन आवेदकों के मूल दस्तावेजों पर शक होता है, उनकी जांच कराई जा रही है। सबसे अहम जन्म प्रमाण पत्र और हाईस्कूल प्रमाण पत्र हैं।

डीएस रावत, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी

Posted By: Inextlive