महाबली हरीश रावत के दो ही सिपहसलार चुनाव जीत पाए। प्रदेश में नंबर टू कही जाने वाली इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह ही चुनाव जीत पाए। शुरुआती दौर में तो इंदिरा हृदयेश अपने प्रतिद्वंद्वी बीजेपी प्रत्याशी जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला से काफी पीछे चल रही थीं लेकिन बाद के राउंड्स में हृदयेश ने बढ़त ले ली और आखिर जीत दर्ज करा ली। लेकिन यहां सबसे बड़ी बात ये है कि रावत कैबिनेट के बाकी मंत्री हार गए।


चुनाव हार गएपीडीएफ कोटे से रावत मंत्रिमंडल में मंत्री रहे प्रीतम पंवार ने चुनाव जीता है लेकिन वे कांग्रेस से नहीं हैं। दूसरी तरफ पीडीएफ के संयोजक रहे मंत्री प्रसाद नैथानी चुनाव हार गए। पीडीएफ कोटे से हरीश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरीश चंद्र दुर्गापाल भी चुनाव हार गए। धर्मपुर सीट से लगातार तीन बार विधायक रहने वाले रावत सरकार के दमदार नेता और कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल को भी इस बार हार का मुंह देखना पड़ा है। पीडीएफ कोटे से कैबिनेट मंत्री रहे और टिहरी सीट से चुनाव लडऩे वाले निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश धनै भी हार गए। ये तो वही बात हो गई कि हम तो डूबे, तुम्हें भी ले डूबे सनम।हरीश चंद्र दुर्गापाल: दो मंत्री थे आमने-सामने


इस बार के चुनाव में कई बातें बड़ी दिलचस्प रहीं। कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए हरक सिंह रावत ने अपने ही सबसे करीबी रहे कांग्रेसी नेता और रावत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सुरेंद्र सिंह नेगी को हरा दिया। दोनों कोटद्वार सीट से आमने-सामने थे।करन सिंह महरा: मोदी लहर के बाद भी हारे भट्ट

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की हार से कई बड़े सवाल भी खड़े हुए हैं। पूरे प्रदेश में पीएम मोदी की जोरदार लहर रही, इसके बावजूद अजय भट्ट चुनाव हार गए। अजय भट्ट को पार्टी हमेशा बचाती रही। कमजोर नेता प्रतिपक्ष साबित होने के बाद भी पार्टी ने न तो भट्ट को प्रतिपक्ष के नेता पद से हटाया और न ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से। बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस की परंपरागत सीटों पर भी बीजेपी के कमजोर प्रत्याशी चुनाव जीत गए और दो बार से रानीखेत के विधायक रहे बीजेपी के कद्दावर नेता भट्ट धूल चाट गए।

अजय भट्ट: National News inextlive from India News Desk

Posted By: Inextlive