आम लोगों को नगर निगम की लापरहवाही सड़कों पर बिखरी गंदगी और वेस्ट कलेक्शन में की जाने वाली लापरवाही के रूप में ही नजर आती है। लेकिन वास्तव में इसके अलावा भी नगर निगम में कई ऐसे काम हैं जिनमें गैरजिम्मेदाराना लापरवाही बरती जा रही है। लापरवाही का एक ऐसा ही मामला तब सामने आया जब राइट ऑफ सर्विस एक्ट के तहत निगम के इस काम से जुड़े 25 अधिकारियों और कर्मचारियों पर डीएम ने जुर्माना लगाया। यह मामला प्रॉपर्टी ट्रांसफर से संबंधित है। जुर्माने की यह कार्रवाई उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग के आदेश पर की गई है।

देहरादून ब्यूरो। डीएम डॉ। आर। राजेश कुमार के अनुसार उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग की ओर से इस बारे में आदेश दिये गये थे। इस मामले में नगर आयुक्त नगर निगम देहरादून के कार्यालय के स्तर से 1 जनवरी, 2019 से 30 जून, 2021 तक प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लम्बित कुल 1017 मामलों के निस्तारण में देरी के लिए जिम्मेदार कार्मिकों के विरुद्ध धारा-9 (3) के तहत कार्रवाई करने निर्देश दिये गये थे।

25 अधिकारी-कर्मचारियों पर जुर्माना
डीएम डॉ। आर राजेश कुमार के अनुसार उत्तराखंड सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत सम्पत्ति हस्तान्तरण में विलम्ब के लिए जिम्मेदार 25 अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए सभी पर 500-500 रुपये जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगाया गया है, जिनकी सूची नगर आयुक्त की ओर से उपलब्ध करवाई गई थी। आयोग के निर्देश के बाद नगर आयुक्त से जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया था।

ट्रेजरी में जमा करेंगे जुर्माना
सेवा का अधिकार आयोग के आदेश का पालन करते हुए कार्यालय नगर निगम, देहरादून में सम्पत्ति हस्तान्तरण की सेवाएं देने में देरी करने के लिए दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा का अधिकार अधिनियम 2011 की धारा 9 (3) के अन्तर्गत जुर्माना राशि भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा, देहरादून में ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा करवाने के लिए कहा गया है। यह भी आदेश दिये गये हैं कि जुर्माना जमा करने की सूचना डीएम ऑफिस को भी दी जाए, ताकि की गई कार्रवाई से आयोग को अवगत करवाया जा सके।

मामले पिछले वर्ष तक के
प्रॉपर्टी ट्रांसफर के जिन मामलों को लेकर जुर्माना लगाया गया है। वे 1 जनवरी 2019 से लेकर 30 जून 2021 के बीच के यानी डेढ़ वर्ष के हैं। उससे पहले अथवा बाद में इस तरह के मामलों में लापरवाही होती रही है, या नहीं। फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। फिलहाल आयोग की ओर से लगाया गया यह साबित करने के लिए काफी है कि नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी अपने कामों में हद दर्जे की लापरवाही कर रहे हैं। यह लापरवाही सिर्फ सफाई व्यवस्था तक ही सीमित न होकर नगर निगम से संबंधित अन्य कामों में भी बरती जा रही है।

Posted By: Inextlive