DEHRADUN : दक्षिण भारत के दो इंस्टीट्यूट्स की याचिका पर सुनवाई के बाद आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन एआइसीटीई का यूनिवर्सिटीज से एफिलिएटेड इंस्टीट्यूट्स से दखल समाप्त हो जाएगा. इससे इंस्टीट्यूट्स के लिए एमबीए और एमसीए जैसे कोर्सेज स्टार्ट करना आसान होगा और इसके लिए केवल संबंधित विवि से संबद्धता ही काफी होगी. सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले को यूनिवर्सिटीज भी बेहतर मान रही हैं.

Students को मिलेगा लाभ
अभी तक इंस्टीट्यूट्स को यूनिवर्सिटी एफिलिएशन के साथ ही एआइसीटीई से भी मान्यता लेनी पड़ती थी। इससे इंस्टीट्यूट्स पर दो संस्थाओं को झेलने के साथ ही आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता था। इसका सीधा असर स्टूडेंट्स से वसूली के रूप में नजर आता था। इस फैसले के धरातल पर लागू होने के बाद जाहिर तौर पर यूनिवर्सिटीज का दबाव  इंस्टीट्यूट्स पर बढ़ेगा और स्टूडेंट्स को इसका लाभ होगा। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान(रुसा) पर अमल के साथ ही यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की भूमिका में भी बदलाव होगा। जानकारों की माने तो आने वाले समय में टेक्निकल और प्रोफेशनल एजुकेशन को लेकर यूजीसी की जिम्मेदारी बढ़ेंगी। इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट का हाल में आया फैसला भी है।

AICTE से परमिशन की जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले मे स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त किसी भी कॉलेज को एमबीए और एमसीए कोर्स शुरू करने के  लिए एआइसीटीई की अनुमति की जरूरत नहीं है। ऐसे में अब यूजीसी को इन इंस्टीट्यूट्स में रेगुलेटरी बॉडी के रूप में अहम भूमिका निभानी होगी। इस फैसले का असर देशभर की स्टेट यूनिवर्सिटीज से एफिलिएटेड इंस्टीट्यूट्स पर नजर आएगा। अब ये संस्थान सीधे तौर पर यूजीसी और संबंधित यूनिवर्सिटी की निगरानी में होंगे और एआईसीटीई केवल यूजीसी की एडवाइजरी के रूप में काम करेंगी। उत्तराखंड में स्टेट की टेक्निकल यूनिवर्सिटी समेत केंद्रीय विवि व कुमाऊं विवि से संबद्ध संस्थानों में तमाम तकनीकी और व्यवसायिक कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। इस फैसले के बाद इन कॉलेजेज को भी एआइसीटीई के नाहक दबाव से मुक्ति मिलेगी और इसका असर स्टूडेंट्स पर भी पड़ेगा।

राज्य में कितने संस्थान
उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी देहरादून की बात करें तो यहां इसके अंर्तगत 52 इंस्टीट्यूट आते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अभी तक यूजीसी द्वारा कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है, लेकिन इतना तय है कि नोटिफिकेशन आने के बाद यह सभी 52 इंस्टीट्यूट एआईसीटीई के दायरे से बाहर हो जाएंगे। यही नहीं देशभर के इंस्टीट्यूट्स को कोर्सेज के अप्रूवल के लिए एआईसीटीई के क्रायटेरिया और नॉम्र्स पूरे करने की टेंशन से गुजरना नही पड़ेगा।


अब तक क्या था process
अब तक किसी भी कोर्स को स्टार्ट करने से पहले संस्थान को एआईसीटीई की मुहर जरूरी होती है। बीटेक, एमटेक, एमबीए, एमसीए, बीफार्मा, होटल मैनेजमेंट जैसे सभी कोर्सेज को स्टार्ट करने से पहले ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन यानि एआइसीटीई से अप्रूवल लेना होता है। इसके लिए एआईसीटीई के नॉम्र्स, क्रायटेरिया पूरा करना होना होता है। इसके बाद एक इंस्पेक्शन की प्रक्रिया से गुजरकर संस्थानों को कोर्सेज चलाने की परमिशन मिलती है। सुप्रीम कोर्ट के इस जजमेंट के बाद एआईसीटीई की इस प्रक्रिया से संस्थानों को निजात मिलेगी।
अब तक अधिकारिक आदेश यूजीसी से प्राप्त नहीं हुए हैं, लेकिन इस फैसले के बाद एआइसीटीई का दखल खत्म हो जाएगा। माना जा रहा है कि एमबीए, एमसीए के साथ ही बाकी टेक्निकल कोर्सेज भी एआइसीटीई से बाहर हो जाएंगे। हालांकि इस मामले में यूजीसी से आदेश प्राप्त होने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है। इतना जरूर है कि फैसला लागू होने से यूनिवर्सिटीज, इंस्टीट्यूट्स और स्टूडेंट्स तीनों को लाभ होगा।
-आशीष उनियाल, डिप्टी रजिस्ट्रार
उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी

Posted By: Inextlive