प्रदेश की निराश्रित प्रताडि़त और एकल कामकाजी महिलाओं व छात्राओं के लिए दून के सर्वे चौक में बनाया गया वीरांगना तीलू रौतेली कामकाजी छात्रावास का संचालन निजी हाथों को सौंप दिया गया है। खास बात यह है कि प्राइवेट हाथों में जाते ही जरूरतमंद और एकल महिलाओं के लिए बनाया गया तमाम सुविधाओं से लैस छात्रावास दोगुने से भी अधिक महंगा हो गया है। पहले छात्रावास का किराया 3000 तक था जो अब बढ़कर 6500 रुपये तक पहुंच गया है। आरोप है कि कंपनी द्वारा मानकों को ताक पर रख एक-एक कमरे में कई-कई छात्राओं को ठूंसा जा रहा है जिससे छात्राओं को दिक्कतें उठानी पड़ रही है। वर्तमान में छात्रावास में 130 छात्राएं और कामकाजी महिलाएं रह रही हैं। छात्रावास प्रबंधन पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

देहरादून, ब्यूरो:
छात्रावास के निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद लगातार शिकायतें आ रही हैं कि कई महिलाओं को यहां एक साथ रहना पड़ रहा हंै। लखनऊ से आई एक महिला के परिजन ने विरोध कर इसकी शिकायत बाल विकास विभाग से की। शिकायत के बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देश के बाद कंपनी ने महिला को अलग कमरे में शिफ्ट किया।

पीजीएचएस कंपनी को सौंपी गई जिम्मेदारी
छह मंजिला इस महिला छात्रावास का निर्माण अगस्त 2019 में पूरा हुआ। इसमें कुल 96 कमरे हैं। मार्च 2020 से कोरोनाकाल में इसे पहले क्वारंटीन सेंटर और फिर बाद में कोविड केयर सेंटर बनाया गया था। तब इस छात्राओं ने कई महिलाओं की जान बचाने का काम किया। फरवरी 2022 में विभाग ने इस छात्रावास के संचालन की जिम्मेदारी प्लेटिनम व्यू होम सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (पीजीएचएस) को सौंपी है।

पहले ये था किराया
पहले छात्रावास में कामकाजी महिलाओं को सिंगल रूम के लिए किराये के तौर पर 3000 रुपये, जबकि एक कमरे में दो महिलाओं के रहने पर 1500 रुपये चार्ज किए जाते थे।

अब ये है किराया
महिला छात्रावास में रहने वालों को 6500 रुपये प्रतिमाह किराया देना होगा। इसके अलावा मैस से खाने के लिए 3000 रुपये मासिक का भुगतान करना होगा, जिसमें प्रतिदिन दो टाइम की चाय, सुबह नाश्ता, दोपहर और रात का खाना दिया जाएगा।

सुरक्षा की दृष्टि से बनाया गया है छात्रावास
दून के सर्वे चौक स्थित बने तीलू रौतेली बिल्डिंग में बाहर से एजुकेशन और जॉब के लिए दून आने वाली महिलाओं और छात्राओं के रहने की व्यवस्था की गई है। कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा को दे ाते हुए छात्रावास का निर्णय लिया गया था।


कंपनी को कुछ समय पूर्व ही छात्रावास का टेंडर मिला है। छात्रावास में कुछ निर्माण और रिपेयर का काम चल रहा है, जिस वजह से थोड़ी अव्यवस्था बनी हुई, रिपयेरिंग वर्क पूरा होता ही व्यवस्था ठीक कर दी जाएगी।
वर्षा चौधरी, इंचार्ज, पीजीएचएस प्राइवेट लिमिटेड

छात्रावास को पीपीई मोड पर दिया गया है, एक कमरे में दो के रहने की व्यवस्था है। शिकायत मिलने के बाद कंपनी को जगह न होने पर कमरा आवंटित न करने के निर्देश दिए गए हैं।
अखिलेश मिश्रा, डीपीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग, देहरादून

महिलाओं के बल पर बने इस प्रदेश में सरकार को छात्रावास की सुविधा मुफ्त में देनी चाहिए। पहले से प्रताडि़त महिला जब यहां छात्रावास में रहने आएगी वह इतना किराया कैसे देंगी। छात्रावास का किराया बढ़ाया जाना गलत है।
साधना शर्मा, अध्यक्ष उमा (उत्तराचंल महिला एसोसिएशन)

त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में महिलाओं की परिस्थितियों को देखते इस छात्रावास को बनाया गया। ऐसे में जो महिला यहां रहने के लिए आएंगी। वह इतना ज्यादा किराया कहां से देगी। कंपनी को चाहिए कि वह छात्रावास में रहने वाली महिलाओं व छात्राओं का नॉमिनल किराया लें।
रमा गोयल, अध्यक्ष हर्षल फाउंडेशन

यहां प्रदेश की राजधानी होने के कारण दूर-दूर से महिलायें नौकरी करने के लिए पहुंचती है। यहां उनके रहने के लिए सुरक्षित माहौल देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार इसकी व्यवस्थाओं पर कड़ी नजर रखे, ताकि महिलाओं को कोई परेशानी न आए।
कमला पंत, अध्यक्ष, राज्य आंदोलनकारी एवं उत्तराखंड महिला मंच

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Posted By: Inextlive