देहरादून का पुराना रिहायशी इलाका रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र है। यहां एक सड़क का नाम है त्यागी रोड। किसी जमाने में यह रिहायशी क्षेत्र था। रेलवे स्टेशन पास होने के कारण यह रिहायशी इलाका जल्दी की कॉमर्शियल बन गया और पूरे इलाके में छोटे-बड़े दर्जनों होटल बन गये। घरों को होटल में तो तब्दील कर दिया गया लेकिन पार्किंग के लिए कहीं जगह नहीं बची। इन होटलों में लगातार टूरिस्ट और अन्य गेस्ट का आना-जाना लगा रहता है। इन सबकी गाडिय़ां होटल के बाहर रोड के किनारे खड़ी होती है। त्यागी रोड से आना-जाना दूभर हो जाता है।

देहरादून (ब्यूरो)। पहले इस इलाके के घर हुआ करते थे। घरों में अच्छी खासी खाली जगह भी होती थी। बाद में पूरी जमीन का इस्तेमाल होटल बनाने के लिए किया गया। तब होटल सराय एक्ट के तहत चलते थे और इस एक्ट में पार्किंग जैसी कोई व्यवस्था थी नहीं। दरअसल सराय एक्ट उस दौर का था, जब आम लोगों के पास अपनी गाड़ी होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। बाद के दौर में लोग निजी वाहन खरीदने लगे। होटलों में रहने वालों की संख्या बढ़ती रही और बिना पार्किंग की समस्या खड़ी होने लगी।

दर्जनों होटल, पार्किंग नहीं
त्यागी रोड पर दर्जनों छोटे-बड़े होटल हैं, होटलों में रहने खाने की शानदार व्यवस्था भी है, लेकिन गिनती के दो-चार होटलों के पास ही अपनी पार्किंग है। बाकी होटल्स के कर्मचारी हों, मालिक हों या गेस्ट हों, सभी की पार्किंग सड़क ही है। इस रोड पर रात-दिन बड़ी संख्या में वाहन खड़े देखे जा सकते हैं।

वर्कशॉप भी कर रहीे परेशान
त्यागी रोड पर होटलों के साथ ही गाडिय़ों की वर्कशॉप भी बड़ी संख्या में हैं। एक तरह से यह दून का सबसे बड़ा ऑटो रिपेयरिंग मार्केट है। पहाड़ से भी लोग अपनी गाडिय़ों को रिपेयर करवाने के लिए त्यागी रोड ही लाते हैं। हालांकि वर्कशॉप वालों के पास गाडिय़ां खड़ी करने की जगह होती है, लेकिन अक्सर इन वर्कशॉप में एक साथ इतने वाहन आ जाते हैं कि वर्कशॉप में जगह नहीं होती। ऐसे में ये वाहन भी रिपेयरिंग का नंबर आने तक रोड पर ही खड़े कर दिये जाते हैं।

त्यागी रोड ही क्यों, सभी रोड की यही हालत है। राजपुर रोड पर बड़े-बड़े शोरूम हैं, लेकिन ज्यादातर ने पार्किंग की व्यवस्था नहीं की हुई है।
- मो। शहजाद
कोई भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान शुरू होने से पहले पार्किंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। त्यागी रोड पर किसी होटल के पास इतनी जगह नहीं है।
- केशव कुमार
दून में सड़कों को लोग अपनी पुश्तैनी जमीन समझते हैं। कोई यह ध्यान देने की जरूरत नहीं समझता कि इससे लोगों को परेशानी होगी।
- हिमांशु अग्रवाल

Posted By: Inextlive