-एक साल में कई हॉस्पिटल में इलाज के लिए घूम रहे

देहरादून। कोरोना संक्रमण के दौरान दून में थैलीसीमिया और हीमोफीलिया के पेशेंट इधर से उधर भटक रहे हैं। बीते एक साल में ये अलग-अलग हॉस्पिटल में चक्कर काटने को मजबूर हैं। दून हॉस्पिटल में इनके इलाज को व्यवस्थित किए जाने का दावा किया गया था लेकिन कुछ समय बाद ही वहां कोविड हॉस्पिटल बनने से इन पेशेंट्स के लिए समस्या बनी हुई है। पहले दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, फिर कोरोनेशन हॉस्पिटल, इसके बाद प्रेमनगर पीचसी और दूसरे हॉस्पिटल में इन पेशेंट्स को भेजे जाने के डर से परिजन परेशान हैं।

प्रदेशभर से दून पहुंचते है पेशेंट्स

दून में प्रदेशभर के हीमोफीलिया और थैलीसीमिया के पेशेंट ट्रीटमेंट कराने व इंजेक्शंस लगवाने के लिए पहुंचते हैं। दून हॉस्पिटल के कोविड हॉस्पिटल बनने के बाद यहां सभी दूसरे ट्रीटमेंट बंद हैं। इसके बाद इन पेशेंट के लिए कोरोनेशन हॉस्पिटल में व्यवस्था की गई। बीते माह कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो कोरोनेशन हॉस्पिटल की नई बिल्डिग को भी कोविड पेशेंट्स के लिए रिजर्व कर दिया गया। इसके साथ ही यहां पहुंचने वाले अन्य बीमारियों से सबंधित पेशेंट को प्रेमनगर समेत अन्य हॉस्पिटल में भेजा जा रहा हैं। थैलीसीमिया और हीमोफीलिया के पेशेंट का प्रेमनगर पीएचसी में ट्रीटमेंट शुरू हुआ। लेकिन अब यहां भी कोविड हॉस्पिटल बनाने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में इन पेशेंट को डर सताने लगा है कि अब ट्रीटमेंट के लिए कहां जाएं।

हीमोफीलिया के कुल पेशेंट 250

दून में इलाज के लिए पहुंचते है - 155

दून हॉस्पिटल में हीमोफीलिया के ट्रीटमेंट के लिए प्रदेशभर से पेशेंट्स पहुंचते हैं। स्टेट में कुल 250 हीमोफीलिया पेशेंट्स है। 49 पेशेंट्स तो अकेले दून के ही हैं। दून हॉस्पिटल में कोविड पेशेंट्स आने लगे तो हीमोफीलिया सहित कई बीमारियों का इलाज यहां बंद करना पड़ा। जैसे-तैसे कोरोनेशन में व्यवस्था बनी तो प्रेमनगर में व्यवस्था की गई।

दून हॉस्पिटल हीमोफीलिया के इलाज के लिए मेन हॉस्पिटल है, प्रदेश के पेशेंट इस पर निर्भर है। लेकिन, दून को कोविड हॉस्पिटल बना दिया गया है। हीमोफीलिया का इलाज की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पा रही है। हीमोफीलिया पेशेट्स का ब्लड क्लॉट नहीं बनता इसलिए उन्हें फैक्टर की जरूरत पड़ती है। जो नहीं मिल पा रहा हैं।

दीपक ¨सघल, जनरल सेक्रेटरी, हीमोफीलिया सोसाइटी

प्रदेश में थेलीसीमिया के कुल पेशेंट- 305

89 थेलीसीमिया पीडि़त सिर्फ प्रदेश में देहरादून में

यह होता है थैलीसीमिया

थैलीसीमिया के पेशेंट्स को रेगुलर ब्लड चेज करने की जरूरत पड़ती है। लेकिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो इन पेशेंट्स को ब्लड नहीं मिल पाता ऐसे में दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक से ब्लड लिया जाता है। इन पेंशेट का ब्लड 15 से 20 दिन में बदलना होता है। समय पर ब्लड न मिलने से पेशेंट्स को दिक्कत होती है।

मेरे बच्चे को हम डीएल रोड स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल से ही ट्रीटमेंट करा रहे है। जब सरकारी हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाती तो हमने प्राइवेट में ही इलाज कराना उचित समझा।

नवीन गोयल, परिजन थैलीसीमिया पेशेंट

प्रेमनगर के हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल बनाने की बात चल रही है। लेकिन जब तक किसी भी पेशेंट को वहां के सीएमएस की ओर से रेफर नहीं किया जाता है, तब तक उन्हें वहीं इलाज के लिए जाना होगा।

डॉ। अनूप डिमरी, सीएमओ देहरादून

Posted By: Inextlive