पीएम नरेन्द्र मोदी से सैटरडे को दून में 58 करोड़ रुपये की जिस चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया वह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की एक योजना है। इस योजना को लेकर पिछले तीन वर्षों से चर्चा हो रही है। इससे पहले दो बार योजना की लॉचिंग और उद्घाटन की औपचारिकता पूरी की जा चुकी है लेकिन अब तक धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के अनुसार इस योजना के तहत पेरेंट्स के सुझाव लिये गये हैं और उन्हें पूछा गया है कि वे सिटी की सड़कें फुटपाथ और चौराहों को कैसा देखना चाहते हैं ताकि वे बच्चों के लिए सुरक्षित हों।

देहरादून (ब्यूरो)। स्मार्ट सिटी के चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट के तहत 2019 में आम लोगों से ऑनलाइन सुझाव लिये गये थे। दावा किया गया था कि देहरादून देश का पहला चाइल्ड फ्रेंडली शहर होगा। जिसमें बच्चे सुरक्षित स्कूल से घर और आसपास आ-जा सकेंगे। 29 फरवरी 2020 को बचपन बचाओ आंदोलन के कैलाश सत्यार्थी को बुलाकर तत्कालीन सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की मौजूदगी में इस योजना की औपचारिक लॉचिंग की गई थी। इतना ही नहीं पिछले वर्ष 18 दिसंबर को मेयर ने चाइल्ड फ्रेंडली फुटपाथ का ईसी रोड पर उद्घाटन भी किया था। इसके बावजूद अब तक यह महत्वाकांक्षी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है।

34 स्कूल जोड़े जाएंगे
डीएससीएल के अनुसार शुरुआती दौर में चाइल्ड फ्रेंडली योजना से सिटी के 34 स्कूल्स को जोड़ा जा रहा है। इन स्कूलों के करीब 22 हजार बच्चों को इस योजना का लाभ मिलेगा। पिछले महीने डीएससीएल ने पुणे से स्पेशलिस्ट की एक टीम को भी दून बुलाया था। इस टीम ने सिटी के विभिन्न हिस्सों को दौरा किया था और सड़कों व फुटपाथ को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने के लिए अपने सुझाव दिये थे।

क्या है चाइल्ड फ्रेंडली प्रोजेक्ट
अथीना इंफोनॉमिक्स कंपनी के टेक्निकल सहयोग से बनने वाली डीएससीएल की फुटपाथ संबंधी योजना में बच्चों के साथ ही बुजुर्गीं, महिलाओं और विशेष जरूरत वाले लोगों को भी शामिल किया जाना है। प्रोजेक्ट के तहत फुटपाथ और सड़कों को इस तरह से डिजाइन किया जाना है कि बच्चे फुटपाथों के जरिये कुछ न कुछ सीखते हुए अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर जा सकें। इसके साथ ही सीनियर सिटीजंस, विशेष जरूरत वाले लोगों और महिलाओं के लिए फुटपाथ सुविधाजनक हों। चाइल्स फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट सिटी के 6 किमी के दायरे में बनाने की योजना है। इसके लिए फुटपाथ, सड़क और चौराहे इस तरह से बनाने की योजना है ताकि बच्चे अकेले ही सुरक्षित तरीके से घर से स्कूल जा सकें और घर लौट सकें। उन्हें फुटपाथ और सड़कों पर चलने अथवा सड़क पार करने में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

Posted By: Inextlive