काम के लोड से परेशान जूनियर डॉक्टर्स से शुरू की स्ट्राइकओपीडी में नही किया पार्टिसिपेट निकाला कैंडल मार्चपीजी के एडमिशन नही होने से नीट एस्पिरेंट्स भी बने हड़ताल का हिस्साएसआरएन हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर्स को लगातार 36 से 40 घंटे काम करना पड़ रहा है. समय के साथ यह समस्या अधिक विकराल होती जा रही है. क्योंकि पहले ही कोविड के चलते सेशन लेट हो गया है और अभी तक पीजी फस्र्ट ईयर के एडमिशंस भी शुरू नही हुए हैं. ऐसे में 66 फीसदी जूनियर डॉक्टर्स को अकेले सौ फीसदी की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है. इससे नाराज होकर शनिवार से जूनियर डॉक्टर्स की देशव्यापी हड़ताल शुरू हो गई. पहले दिन उन्होंने एसआरएन की ओपीडी का बहिष्कार कर दिया. भविष्य में मांगे नही माने जाने पर वह अधिक कड़े कदम उठा सकते हैं.

प्रयागराज (ब्यूरो)। बता दें कि सितंबर में नीट पीजी एग्जाम के रिजल्ट आए थे. इसके बाद काउंसिलिंग होनी थी और फिर एडमिशंस शुरू किए जाते. आरक्षण प्रक्रिया को लेकर मामला कोर्ट में चला गया है और न्यायालय की ओर से काउंसिलिंग की सुनवाई की डेट दो बार बढ़ा दी है. अब छह जनवरी नेक्स्ट सुनवाई की तारीख तय है. ऐसे में सरकार उस समय भी फैसला करती है तब भी तीन माह एडमिशन में लग जाएंगे. तब तक पीजी का मौजूदा सेशन दस माह तक लेट हो जाएगा. जिसका खामियाजा प्रजेंट जेआर को भुगतना पड़ेगा.

नॉन पीजी से कराएं मदद
शनिवार शाम को जूनियर डॉक्टर्स और नीट पीजी एस्पिरेंट्स ने साथ मिलकर कैंडल मार्च निकाला. इस दौरान जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि जब तक फस्र्ट इयर के जेआर नही आ रहे हैं तब तक नॉन पीजी हमें मदद के लिए दिए जाएं. उन्होंने कहा कि अगले तीन माह में फाइनल इयर के जूनियर डॉक्टर्स का कोर्स पूरा हो जाएगा. इसके बाद उनकी हालत अधिक खराब हो जाएगी. यह भी कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से देशभर में 1.60 लाख डाक्टर्स काउंसिलिंग के इंतजार में घर पर बैठे हैं जबकि अस्पतालों में डॉक्टर्स की भारी कमी है. ऐसे में कोरोना की थर्ड वेव आई तो मरीजों का इलाज करना मुश्किल होगा. बता दें कि सेकंड और थर्ड इयर जेआर का सेशन पहले ही कोरोना के चलते लेट हो चुका है. जो एग्जाम जनवरी में होने थे वह सिंतबर में कराए गए हैं.

बढ़ सकती है मरीजों की मुसीबतें
शनिवार को जूनियर डॉक्टर्स द्वारा ओपीडी का बहिष्कार करने के बाद एमएलएन मेडिकल कॉलेज और एसआरएन अस्पताल प्रशासन परेशानी में आ गया. अचानक सीनियर कंसल्टेंट्स को मोर्चा संभालना पड़ा. ऐसे में कई मरीज का पर्चा बनने के बावजूद नंबर नही आया. उन्हे घर वापस लौटना पड़ा. हालांकि वार्ड और इमजरेंसी में जूनियर डॉक्टर्स काम करते रहे. लेकिन भविष्य में अपनी मांगों को लेकर वह यहां से भी हाथ खीच सकते हैं. ऐसे में मरीजों की फजीहत हो सकती है. उन्होंने सरकार और न्यायपालिका से इस मामले का जल्द हल निकालने की अपील की है.

ओपीडी प्रभावित नही हुई है. सीनियर कंसल्टेंट्स ने मरीजों को अटेंड किया है. जूनियर डॉक्टर्स से बातचीत चल रही है. जल्द ही इस समस्या का हल निकल सकता है.
प्रो. एसपी सिंह
प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Prayagraj Desk