जी हां एकदम ठीक पढ़ा आपने. दोनों ने तीन बार रेस लगाई और हकीकत जानने के बाद अब दोनों मिलकर जिंदगी की रेस लगाते हैं. दोनों जीतते भी हैं. आप कहेंगे यह क्‍या बात हुई! दोनों के बीच सिर्फ एक रेस हुई थी और कछुआ की जीत हुई थी. जी हां आपका सोचना भी ठीक है लेकिन हम भी गलत नहीं कह रहे हैं. हम सब उनकी पहली रेस पढ़ते-सुनते बड़े हुए हैं जबकि उन दोनों ने रेस की दो बाजी और लगाई थी. तीसरी रेस के बाद उन्‍होंने जिंदगी में टीम वर्क का फलसफा समझा. आप भी जानें पहली रेस के बाद दोनों के बीच क्‍या कुछ हुआ...


धैर्य के साथ धीरे-धीरे काम करने वाले की जीतपहली रेस में जब कछुआ जीत गया तो खरगोश को अपनी गलती का अहसास हुआ. वह यह अच्छी तरह समझ गया था कि धीरे-धीरे धैर्य के साथ काम करने वाले की जीत होती है. लेकिन वह भी जानता था कि असल में कछुआ कितने पानी में है. सो उसने दोबारा रेस की सोची. वह कछुआ के पास पहुंचा और एक और रेस के लिए उसे चैलेंज किया. कछुआ को भी अपने पर भरोसा था, सो उसने तुरंत हामी भर ली. दूसरी रेस की तैयारियां शुरू हो गई.तेजी से निरंतर काम करने वाले की जीत निश्चित


नियत समय पर रेस शुरू हुई. स्टार्ट लाइन से कछुआ घिसट कर कुछ कदम आगे ही पहुंचा था कि खरगोश फिनिश लाइन तक पहुंच गया. रेस खत्म हो गई और इस बार खरगोश चैंपियन बन गया. खरगोश यह समझ चुका था कि तेजी से निरंतर काम करने वाले की जीत निश्चित होती है. काश की बात यहीं खत्म हो जाती लेकिन कछुआ भी कम नहीं था. वह भी अपनी क्षमता जानता था. उसने मन ही मन सोचा और एक तीसरी रेस की सोची. इस बार वह खरगोश के पास गया और उसे तीसरी रेस के लिए चैलेंज किया. नए फलसफे से लबरेज खरगोश ने तुरंत हामी भर ली.माहिर खिलाड़ी खुद चुनता है अपने खेल का मैदानइस बार फिर रेस शुरू हुई और खरगोश हवा से बातें करने लगा. खरगोश ने अभी थोड़ा रास्ता ही तय किया कि सामने नदी आ पड़ी. वह ठिठक गया, अब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि फिनिश लाइन नदी के उस पार थी. काफी देर बाद कछुआ आया और तेजी से नदी पार करके उस पार फिनिश लाइन पर पहुंच गया. इस बार रेस का चैंपियन कछुआ था. कछुआ अपनी खूबी पहचानता था इसलिए इस बार उसने खेल का मैदान अपने हिसाब से चुना और मैदान मार लिया.विभिन्न हुनरमंद मिलकर दिलाते ही टीम को जीतदो बार हारकर खरगोश को कछुआ का हुनर समझ में आ चुका था. वह अपनी खूबी भी जानता था. काफी सोच समझ के बाद उसने कछुआ से दोस्ती कर ली. जब से दोनों ने हाथ मिलाया उनकी तो निकल ही पड़ी. शिकारी से बचना हो तो खरगोश कछुआ को मुसीबत की जगह से तेजी से निकाल ले जाता. कभी इस पार सूख पड़ता तो कछुआ उसे नदी पार करवा कर कछार में हरी-हरी घास

खिला लाता. अब दोनों रेस नहीं करते बल्कि एक टीम की तरह मिलकर जिंदगी की हर रेस जीत रहे हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh