गुजरात सरकार पर एक महिला की जासूसी करने के आरोपों की पड़ताल को उसी महिला द्वारा रुकवाने की अर्ज़ी पर सवाल उठाए जा रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वक़ील प्रशांत भूषण के मुताबिक, ना सिर्फ़  ऐसी अर्ज़ी देना ग़लत है बल्कि ऐसा गुजरात सरकार के दबाव के तहत किया गया है.जिस  महिला की गतिविधियों पर कथित तौर पर गुजरात सरकार के कहने पर नज़र रखी जा रही थी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी है कि केंद्र सरकार को मामले की जाँच कराने से रोका जाए क्योंकि उनके पिता के कहने पर गुजरात सरकार उनपर नज़र रख रही थी और उनके फोन टैप किए जा रहे थे.पर बीबीसी से बातचीत में प्रशांत भूषण ने कहा कि जांच होना ज़रूरी है क्योंकि, “सिर्फ इस महिला के फोन टैप नहीं हुए थे, प्रदीप शर्मा समेत कई लोगों के फ़ोन टैप होने के आरोप सामने आए हैं, इसलिए जांच होना ज़रूरी है.”


निलंबित आईएएस  अफ़सर प्रदीप शर्मा ने महिला की जासूसी कराने के इस मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह के शामिल होने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जाँच की माँग की है.

जासूसी का यह मामला तब सामने आया जब गुजरात के एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जीएल सिंघल ने 2009 में फ़ोन पर कई बार हुई बातचीत रिकॉर्ड कर ली और मीडिया ने उसे जारी किया.

इस  रिकार्डिंग में एक पुलिस अधिकारी से यह कहते सुना जा सकता है कि 'साहेब' ने एक लड़की की गतिविधियों पर हर पल नज़र रखने को कहा है.इसके बाद आरोप लगे कि टेप में 'साहेब' गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे और फ़ोन पर पुलिस अधिकारी को निर्देश देने वाले व्यक्ति पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह थे.जवाब में भाजपा ने कहा था कि महिला के पिता नरेंद्र मोदी के परिचित थे, अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर आशंकित थे और उनके आग्रह पर ही महिला की सुरक्षा के लिए उनकी निगरानी की जा रही थी.अब इन आरोपों की जांच को रोकने की महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा.

Posted By: Subhesh Sharma