पिंक बसों की 'सिपाही' ही खतरे में..
इन शहरों के लिए चल रही बसें
- दिल्ली - इलाहाबाद - गोरखपुर - वाराणसी - आगरा जल्द यहां के लिए भी - अलीगढ़ - हरिद्वार - लंबी दूरी तक जाने वाली पिंक बसों की महिला कंडक्टर्स की रातें गुजर रही हैं बसों में - महिला कंडक्टर्स के लिए अभी नहीं है रेस्ट रूम की व्यवस्था lucknow@inext.co.in LUCKNOW:महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर जिन पिंक बसों को चलाया जा रहा है, उनकी महिला कंडक्टर ही सेफ नहीं हैं. लंबी दूरी तक जाने वाली इन बसों की महिला कंडक्टर को ड्राइवर के साथ बस में ही विश्राम करना पड़ता है. जिन शहरों के लिए पिंक बसों का संचालन किया जा रहा है, वहां रेस्ट रूम न होने से यह समस्या सामने आ रही हैं. हालांकि विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बस अड्डों पर जल्द ही महिला कंडक्टर्स के लिए रेस्ट रूम की व्यवस्था की जाएगी.
शाम तक आ जाते थे घर
इन बसों में चलने वाली महिला कंडक्टर्स के अनुसार पहले हमें जिन रूट पर भेजा जाता था, वहां से हम शाम को घर आ जाते थे. दिन भर में हमें 200 से 250 किमी का सफर करना पड़ता था. पिंक बसों के आने के बाद हालात बदल गए. ये बसें इस तरह चलाई जा रही हैं कि ये रात या तड़के सुबह ही अपनी मंजिल पर पहुंचती हैं. वहीं इनका हॉल्ट होता है. ऐसे में हमें वहीं रात गुजारनी पड़ती है.
लगता है डर महिला कंडक्टर्स ने बताया कि पिंक बस रात में जहां पहुंचती है वहां उनके लिए कोई रेस्ट रूम नहीं है. ऐसे में हमें ड्राइवर के साथ ही बस में रुकना पड़ता है. ऐसे में हर समय डर का माहौल बना रहता है. ऐसे में हम दो दिन में एक बार ही सो पाते हैं. मामला सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. महिला यात्रियों की कमी के चलते अधिकारियों की फटकार भी हमें सुननी पड़ती है. इनकम न होने पर एआरएम के साथ बाकी अधिकारी प्रताडि़त करते हैं. शाम तक हो घर वापसी महिला कंडक्टर्स का कहना है कि हमसे पिंक बसों की जगह सामान्य बसों में ड्यूटी कराई जाए, जिससे हम शाम तक घर पहुंच सकें. पिंक बसों का प्लान इस तरह किया जाए कि रात में घर के बाहर न रहना पड़े.कौशांबी, हरिद्वार के साथ ही कई बस अड्डों के पास किराए पर रूम लिए जा रहे हैं. यहां सिर्फ महिला कंडक्टर्स ही रुक सकेंगी. जल्द ही उन सभी शहरों में महिला रेस्ट रूम की व्यवस्था की जाएगी जहां पिंक बसों का संचालन हो रहा है.
पल्लव बोस, क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ परिक्षेत्र, परिवहन निगम