एड्स हो जाने का मतलब ये नहीं होता कि आपकी जिंदगी बर्बाद हो गई। आप समाज के लिए बेकार हो गए। आइए जानते हैं एचआईवी से जुड़ी भ्रांतियां और जिंदगी को बेहतर जीने का तरीका...


संक्रम होगा बेअसर : नहीं आता तेज बुखारयह एक भ्रांति है कि एड्स का शिकार व्यक्ति तेज बुखार से ग्रसित रहता है। अब एड्स के इलाज के लिए बेहतरीन दवाइयां मौजूद हैं। इनसे मरीज का बेहतरीन इलाज हो सकता है और उसे वायरल संक्रमण से बचाया जा सकता है। हालांकि इसमें समय लगता है और व्यक्ति को हर छह महीने पर नियमित जांच कराते रहना चाहिए। आइए जानें वर्ल्ड एढ्स डे पर ऐसी ही कुछ जानकारियां...गाय के पेट में छिपा है एड्स का इलाजबिंदास होकर जीएं : बनी रहती है यौन क्षमता


यह सिर्फ एक भ्रम है कि एड्स का शिकार मरीज की यौन जिंदगी बर्बाद हो जाती है। वह एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति की तरह अपनी यौन संबंध को पूरी तरह इंज्वॉय कर सकता है। हां यह जरूर है कि उसे थोड़ी सावधानियां बरतनी पड़ती है जैसे यौन संबंध बनाते वक्त सुरक्षित तरीके का इस्तेमाल जरूरी होता है। उन्हें अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच भी कराते रहनी चाहिए।इस बच्चे ने जगाई एड्स के इलाज की बड़ी उम्मीदनिजता का अधिकार : दोस्तों का जानना जरूरी नहीं

कई लोगों को लगता है कि उन्हें पता होना चाहिए कि वर्कप्लेस या जान-पहचान में किसको एड्स है। जबकि नेशनल एड्स ट्रस्ट का मानना है कि यह बेफिजूल की बात है। चूंकि एड्स सामान्य शिष्टाचार और डे-टू-डे डेली रूटीन वर्क करने या मिलने-जुलने से नहीं फैलता इसलिए किसी को भी इस बीमारी के बारे में बताने या जानने की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह से निजता का सवाल है और लोगों को इसका सम्मान करना चाहिए।

Posted By: Satyendra Kumar Singh