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एक रैली से मिली थी जिंदगी की रोशनी मेडिकल फील्ड से कोई वास्ता न होने के बाद भी आखिर कैसे वह इस पुनीत काम से जुड़ गए? इस सवाल के जवाब में वह बताते हैं कि, 1990 में वेस्ट बंगाल से वालंटियर ब्लड डोनेशन को प्रमोट करने के लिए एक रैली इलाहाबाद आई थी। तत्कालीन सीएमओ डॉ। सुरेंद्र वर्मा व डॉ। वीपी मित्तल व स्टैडिंग जज जस्टिस सुधीर चंद वर्मा रैली का वेलकम कर रहे थे। उसी दौरान उन्हें ब्लड डोनेशन के इंपॉर्टेंस का अंदाजा लगा। उसके बाद इन चारों ने मिलकर सिटी में भी वालंटियर ब्लड डोनर फोरम की शुरुआत की। तब से हर साल इस फोरम के मेंबर्स की तादाद बढ़ती जा रही है.
5000 से ज्यादा डोनर्स जुड़ चुके हैंअमित बनर्जी बताते हैं कि प्रजेंट में उनके फोरम में पांच हजार से ज्यादा डोनर्स जुड़ चुके हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एनसीसी कैडेट्स भी फोरम के मेंबर हैं। अभी तक सैकड़ों-हजारों जरुरतमंदों की मदद कर चुके अमित बनर्जी कहते हैं कि ब्लड डोनेट करने के बाद एक सुकून का अनुभव होता है। उसके बाद लगता है कि किसी की जिंदगी को बचाने में आपका महत्व भी रहा है.
मोटिवेट करना है जरूरीअमित बनर्जी कहते हैं कि उम्र की बाधा के चलते भले ही वह खुद ब्लड डोनेट न कर पा रहे हों, लेकिन लगातार वह यूथ को ब्लड डोनेट करने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके फोरम के ही एक मेंबर समर भट्टाचार्य पिछले 32 साल से अपने हर बर्थडे पर ब्लड डोनेट करते आ रहे हैं। अमित कहते हैं कि गवर्नमेंट ब्लड डोनेट करने के लिए पब्लिक को अवेयर कर रही है। लेकिन, अभी भी लोगों में ब्लड डोनेट करने को लेकर गलत फहमी बनी हुई है। इसे दूर किया जाना जरूरी है.
Profile of Amit Banerjee-Life time member of Indian Red Cross Society-Life time member of West Bangal Donars Forum-Life time member of Federation of Blood Donars of India (WB)।