वर्ल्‍ड फूड डे पूरे विश्‍व में 16 अक्‍टूबर को सेलीब्रेट किया जाता है। ऐसे में हम आपको उन देशों के बारे में बताने जा रहे जिनके पास खाने के लिए खाना नहीं है। भारत चीन जैसे देश भी इस सूची में शामिल हैं। वर्ल्‍ड फूड डे के मौके पर सभी देशों को भुखमरी से निपटने की शपथ लेनी चाहिए।

 

 

दुनिया में करोड़ों लोग हैं भूखे

यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट की माने तो दुनिया में 79.5 फीसदी लोगों के पास खाना नहीं है। सिर्फ भारत में ही करीब 20 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं। यह आंकड़ा चीन में भुखमरी के शिकार लोगों से कहीं ज्यादा है। संयुक्त राष्ट्र की भूख संबंधी एक सालाना रिपोर्ट में इस आंकड़े का खुलासा किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपनी रिपोर्ट 'द स्टेट ऑफ फूट इनसिक्योरिटी इन द व‌र्ल्ड 2015' में कहा  कि वैश्विक स्तर पर यह संख्या 2014-15 में घटकर 79.5 करोड़ रह गई है जो 1990-92 में एक अरब थी। 

 

भारत में 20 करोड़ लोग भूखे सोते हैं

चीन में भूखे सोने वालों की संख्या में कमी आई है। भारत में भी 1990 तथा 2015 के दौरान भूखे रहने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है। साल 1990-92 में भारत में यह संख्या 21.01 करोड़ थी, जो 2014-15 में घटकर 19.46 करोड़ रह गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अपनी जनसंख्या में भोजन से वंचित रहने वालों की संख्या घटाने के महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। एएफओ के अनुसार अब भी 19.4 करोड़ लोग भूखे सोते हैं। भूखे लोगों की संख्या में कमी लाने के मामले में चीन ने भारत से कहीं बेहतर काम किया है। 1990-91 में चीन में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या 28.9 करोड़ से घटकर 2014-15 में 13.38 करोड़ रह गई। 

 

भुखमरी को कम करने का हो रहा है प्रयास

एफएओ की निगरानी वाले 129 में से 72 देशों ने 2015 तक भुखमरी को घटाकर आधे करने के मिलेनियम डिवेलपमेंट टारगेट को हासिल कर लिया। रिपोर्ट में इस क्षेत्र में शानदार उन्नति के लिए लैटिन अमेरिका और कैरेबियन, साउथ ईस्ट और सेंट्रल एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों का विशेष जिक्र है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी चीजों के विश्लेषण से यह बात सामने आती है कि समावेशी आर्थिक विकास, कृषि क्षेत्र में निवेश और सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ राजनीतिक स्थायित्व से भुखमरी को कम किया जा सकता है।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra